एक समय की बात है, जब इस्राएल के लोग यहोवा के नियमों और आज्ञाओं के अनुसार जीवन यापन कर रहे थे। वे मूसा के द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करते थे और यहोवा की उपासना में लगे हुए थे। परन्तु, उनके बीच कुछ ऐसे लोग भी थे जो यहोवा के मार्ग से भटक गए थे और दूसरे देवताओं की पूजा करने लगे थे। यहोवा ने मूसा के माध्यम से इस्राएल के लोगों को चेतावनी दी थी कि वे किसी भी तरह के मूर्तिपूजक प्रभाव से दूर रहें और केवल उसी की आराधना करें।
एक दिन, एक छोटे से गाँव में एक व्यक्ति रहता था जिसका नाम अमीयाब था। अमीयाब एक बुद्धिमान और सम्मानित व्यक्ति था, और गाँव के लोग उसकी बातों को गंभीरता से लेते थे। एक दिन, अमीयाब ने गाँव के लोगों को इकट्ठा किया और कहा, “भाइयों और बहनों, मैंने एक अद्भुत स्वप्न देखा है। स्वप्न में एक देवता मुझे दिखाई दिया और उसने मुझसे कहा कि यहोवा हमारा एकमात्र ईश्वर नहीं है। हमें अन्य देवताओं की भी पूजा करनी चाहिए, ताकि हमारे जीवन में समृद्धि और शांति आ सके।”
गाँव के कुछ लोग अमीयाब की बातों से प्रभावित हो गए और उसके पीछे चल पड़े। वे यहोवा के नियमों को भूलकर अन्य देवताओं की पूजा करने लगे। परन्तु, गाँव में कुछ ऐसे भी लोग थे जो यहोवा के प्रति वफादार थे और उन्होंने अमीयाब की बातों पर विश्वास नहीं किया। उन्होंने मूसा के द्वारा दिए गए निर्देशों को याद किया, जिसमें यहोवा ने कहा था, “यदि कोई भविष्यद्वक्ता या स्वप्न देखने वाला उठे और तुम्हें चमत्कार दिखाए, और कहे कि हम अन्य देवताओं की पूजा करें, जिन्हें तुम नहीं जानते, तो तुम उसकी बात न मानना। यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हारी परीक्षा ले रहा है, कि तुम उससे प्रेम रखते हो या नहीं।”
गाँव के वफादार लोगों ने अमीयाब और उसके अनुयायियों को समझाने की कोशिश की, परन्तु वे नहीं माने। तब उन्होंने निर्णय लिया कि वे इस मामले को यहोवा के सामने लेकर जाएंगे। उन्होंने गाँव के बुजुर्गों और न्यायाधीशों को इकट्ठा किया और अमीयाब के कार्यों की जांच की। जब उन्होंने पाया कि अमीयाब ने यहोवा के नियमों का उल्लंघन किया है और लोगों को गुमराह किया है, तो उन्होंने उसे दंडित करने का निर्णय लिया।
यहोवा के नियम के अनुसार, अमीयाब और उसके अनुयायियों को गाँव के बाहर ले जाया गया और उन्हें पत्थरवाह किया गया। यह एक कठोर दंड था, परन्तु यहोवा ने इस्राएल के लोगों को स्पष्ट निर्देश दिया था कि वे किसी भी तरह के मूर्तिपूजक प्रभाव को अपने बीच सहन न करें। इस घटना के बाद, गाँव के लोगों ने यहोवा की आराधना में और भी अधिक लगन दिखाई और उसके नियमों का पालन करने का संकल्प लिया।
इस प्रकार, इस्राएल के लोगों ने सीखा कि यहोवा ही उनका एकमात्र ईश्वर है और उसके नियमों का पालन करना ही उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी सीखा कि किसी भी तरह के गुमराह करने वाले प्रभाव से सावधान रहना चाहिए और केवल यहोवा की आज्ञाओं का पालन करना चाहिए। यह कहानी इस्राएल के लोगों के लिए एक सबक बन गई और उन्हें यहोवा के प्रति अपनी निष्ठा बनाए रखने के लिए प्रेरित किया।