मिस्र की धरती पर एक बार फिर से परमेश्वर का प्रकोप छाने वाला था। फिरौन ने इस्राएलियों को जाने देने से इनकार कर दिया था, और अब परमेश्वर ने मूसा और हारून को फिरौन के पास भेजा, ताकि वे उसे चेतावनी दें। परमेश्वर ने कहा था, “अगर फिरौन ने मेरी बात नहीं मानी, तो मैं उसके देश में मेंढकों का आक्रमण करूंगा। नदियों, तालाबों और हर जलाशय में मेंढक भर जाएंगे। वे घरों में, बिस्तरों पर, भट्टियों में और खाने के बर्तनों में भी घुस जाएंगे।”
मूसा और हारून ने फिरौन के सामने परमेश्वर का संदेश सुनाया। फिरौन ने उनकी बात नहीं मानी। तब परमेश्वर ने मूसा से कहा, “हारून को आज्ञा दो कि वह अपनी लाठी उठाकर नदी, नहरों और तालाबों के ऊपर फैला दे।” हारून ने ऐसा ही किया। उसने अपनी लाठी फैलाई, और देखते ही देखते पूरे मिस्र में मेंढकों का आक्रमण हो गया। नील नदी से निकलकर मेंढक हर तरफ फैल गए। वे राजमहल में घुस गए, फिरौन के शयनकक्ष में चढ़ गए, और उसके बिस्तर पर बैठ गए। वे रसोईघर में पहुंचे, खाने के बर्तनों में कूदे, और यहां तक कि लोगों के शरीर पर भी चढ़ गए।
मिस्रवासी घबरा गए। उन्होंने कभी ऐसा दृश्य नहीं देखा था। मेंढक हर जगह थे। वे चिल्लाते, भागते, और मेंढकों को हटाने की कोशिश करते, लेकिन वे और अधिक बढ़ते जा रहे थे। फिरौन ने मूसा और हारून को बुलाया और कहा, “परमेश्वर से प्रार्थना करो कि वह इन मेंढकों को हटा दे। मैं तुम्हारे लोगों को जाने दूंगा, ताकि वे परमेश्वर की उपासना कर सकें।”
मूसा ने फिरौन से कहा, “मैं तुम्हारे लिए प्रार्थना करूंगा। तुम बता सकते हो कि कब तुम्हें चाहिए कि मेंढक हट जाएं।” फिरौन ने कहा, “कल।” मूसा ने उत्तर दिया, “जैसा तुम कहते हो, वैसा ही होगा। तुम जान जाओगे कि हमारे परमेश्वर के समान कोई नहीं है।”
मूसा और हारून ने परमेश्वर से प्रार्थना की। परमेश्वर ने उनकी प्रार्थना सुनी। मेंढक मरने लगे। वे घरों, आंगनों, खेतों और हर जगह से मरकर इकट्ठे किए गए। मिस्रवासियों ने उन्हें ढेर लगा दिया। पूरे देश में मेंढकों के मरने की दुर्गंध फैल गई।
लेकिन जैसे ही फिरौन ने देखा कि संकट टल गया है, उसने अपना मन फिर से कठोर कर लिया। उसने इस्राएलियों को जाने देने से इनकार कर दिया। परमेश्वर की चेतावनी के बावजूद, फिरौन ने अपना हृदय कठोर बना लिया। और इस तरह, मिस्र की धरती पर परमेश्वर का प्रकोप जारी रहा।