पवित्र बाइबल

अय्यूब: ईश्वर की महिमा और उद्देश्यों का ज्ञान

एक समय की बात है, जब अय्यूब अपने दुःख और परीक्षाओं से गुज़र रहा था। उसने ईश्वर से प्रश्न किया कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। वह अपने दुःख में डूबा हुआ था और ईश्वर से उत्तर की प्रतीक्षा कर रहा था। तब ईश्वर ने बादलों के बीच से अय्यूब से बात की और उसे अपनी महिमा और सृष्टि की विशालता का एहसास कराया।

ईश्वर ने कहा, “अय्यूब, तू कौन है जो मेरी योजनाओं को समझने का दावा करता है? यदि तू वास्तव में बुद्धिमान है, तो मेरे प्रश्नों का उत्तर दे। जब मैंने पृथ्वी की नींव रखी, तब तू कहाँ था? क्या तू उस समय मौजूद था जब मैंने सितारों को आकाश में सजाया और समुद्र की लहरों को सीमाओं में बाँधा?”

ईश्वर की आवाज़ गर्जन की तरह गूँजी, और अय्यूब ने अपने हृदय में उसकी शक्ति को महसूस किया। ईश्वर ने आगे कहा, “क्या तूने कभी समुद्र की गहराई को नापा है? क्या तू उस स्थान तक पहुँच सकता है जहाँ अंधकार का निवास है? क्या तू जानता है कि सूर्य कहाँ से उगता है और कहाँ अस्त होता है? क्या तूने कभी बर्फ के भंडारों को देखा है जो मेरे पास संचित हैं?”

अय्यूब ने ईश्वर की बातें सुनीं और उसका हृदय भय से भर गया। वह समझ गया कि ईश्वर की महिमा और ज्ञान उसकी समझ से परे है। ईश्वर ने आगे कहा, “क्या तूने कभी आकाश के पक्षियों को उड़ते देखा है? क्या तू जानता है कि वे कैसे अपने घोंसले बनाते हैं और अपने बच्चों को पालते हैं? क्या तूने कभी जंगली जानवरों को देखा है जो मेरे आदेश पर शिकार करते हैं और अपने बच्चों को पालते हैं?”

ईश्वर की बातें अय्यूब के हृदय में गहराई तक उतर गईं। वह समझ गया कि ईश्वर की सृष्टि में हर चीज़ का एक उद्देश्य है और उसकी योजनाएँ मनुष्य की समझ से परे हैं। ईश्वर ने अय्यूब से कहा, “अय्यूब, तू मेरी सृष्टि की महिमा को समझ नहीं सकता, फिर तू मेरी योजनाओं को कैसे समझ सकता है? मैंने हर चीज़ को एक उद्देश्य के साथ बनाया है, और मेरी इच्छा सर्वोत्तम है।”

अय्यूब ने ईश्वर के सामने अपना सिर झुकाया और कहा, “हे प्रभु, मैं तेरी महिमा और शक्ति को समझ नहीं सकता। मैंने बिना ज्ञान के बातें की हैं, और अब मैं तेरे सामने नम्र होता हूँ। तू ही सर्वशक्तिमान है, और तेरी योजनाएँ अचूक हैं।”

ईश्वर ने अय्यूब की नम्रता को देखा और उसे आशीर्वाद दिया। उसने अय्यूब के जीवन में फिर से आनंद और समृद्धि लौटा दी। अय्यूब ने ईश्वर की महिमा का गुणगान किया और उसकी इच्छा के आगे समर्पण कर दिया।

इस प्रकार, अय्यूब की कहानी हमें सिखाती है कि ईश्वर की योजनाएँ हमारी समझ से परे हैं, और हमें उस पर विश्वास करना चाहिए, चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों। ईश्वर हमारे जीवन में हर चीज़ को एक उद्देश्य के साथ करता है, और उसकी इच्छा सर्वोत्तम है।

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