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यशायाह 51: आशा और सांत्वना के वाणी – बेबीलोन की गुलामी से मुक्ति की ओर

यशायाह 51 की कहानी हिंदी में विस्तार से:

प्रभु यहोवा ने यशायाह नबी के माध्यम से अपने लोगों से बात की। उस समय इस्राएल के लोग बेबीलोन की गुलामी में थे और उनका मन निराशा और भय से भरा हुआ था। परन्तु प्रभु ने उन्हें सांत्वना देने और उनके विश्वास को मजबूत करने के लिए यशायाह के मुख से ये वचन कहे।

प्रभु ने कहा, “हे धर्म के पीछे चलने वालो, हे यहोवा की खोज करने वालो, मेरी सुनो! उस चट्टान की ओर देखो जिसमें से तुम खोदे गए हो, और उस गड्ढे की ओर जिसमें से तुम निकाले गए हो। अपने पूर्वज अब्राहम को स्मरण करो, और सारा को जिसने तुम्हें जन्म दिया। वह अकेला था जब मैंने उसे बुलाया, परन्तु मैंने उसे आशीष दी और उसे बहुतायत से बढ़ाया।”

प्रभु ने अपने लोगों को याद दिलाया कि वह उनका सृष्टिकर्ता और उद्धारकर्ता है। उसने कहा, “मैं ही यहोवा हूँ, और मेरे अलावा कोई उद्धारकर्ता नहीं है। मैंने तुम्हें सांत्वना दी है, और मैं तुम्हारे लिए जंगल में जल के सोते खोलूंगा, और मरुस्थल में नदियां बहाऊंगा। मैं तुम्हारे बंधनों को तोड़ दूंगा और तुम्हें स्वतंत्र करूंगा।”

प्रभु ने अपने लोगों से कहा कि वे डरें नहीं, क्योंकि वह उनके साथ है। उसने कहा, “हे मेरे लोगो, तुम जो मेरी व्यवस्था को जानते हो, हे मेरे लोगो, तुम जो मेरे वचन को अपने हृदय में रखते हो, डरो मत! मनुष्यों की निन्दा से मत डरो, और उनके अपमान से भयभीत मत हो। क्योंकि कीड़े उन्हें नष्ट कर देंगे, और पतंगे उन्हें खा जाएंगे, परन्तु मेरा धर्म सदा बना रहेगा, और मेरा उद्धार पीढ़ी से पीढ़ी तक चलेगा।”

प्रभु ने अपने लोगों को याद दिलाया कि उसकी शक्ति असीम है। उसने कहा, “जाग उठ, जाग उठ! तू शक्ति धारण कर, हे यहोवा की भुजा! जैसे प्राचीनकाल में तू ने जागकर राहब के ड्रैगन को कुचल डाला था, वैसे ही अब भी जाग उठ। क्या तू वही नहीं है जिसने समुद्र को सुखा दिया, महान गहराई के जल को? क्या तू वही नहीं है जिसने छुड़ाए हुओं के लिए समुद्र में मार्ग बनाया, ताकि छुड़ाए हुए लोग उस में से होकर निकल जाएं?”

प्रभु ने अपने लोगों को आश्वासन दिया कि उनका भविष्य उज्ज्वल है। उसने कहा, “यहोवा के छुड़ाए हुए लोग लौटकर आएंगे, और आनन्द के गीत गाते हुए सिय्योन में प्रवेश करेंगे। उनके सिर पर सदा का आनन्द होगा, और वे हर्ष और आनन्द प्राप्त करेंगे। शोक और विलाप दूर हो जाएंगे। मैं, मैं ही तुम्हें सांत्वना देता हूँ। तू क्यों नाशवान मनुष्य से डरता है, जो घास के समान है? और मनुष्य के पुत्र से क्यों भयभीत होता है, जो मुरझाए हुए फूल के समान है?”

प्रभु ने अपने लोगों को याद दिलाया कि उसकी योजनाएं अटल हैं। उसने कहा, “मैंने अपना वचन तेरे मुंह में रखा है, और अपने हाथ की छाया से तुझे ढांपा है, ताकि मैं आकाश को बिछा सकूं, और पृथ्वी की नींव डाल सकूं, और सिय्योन से कहूं, ‘तू मेरी प्रजा है।'”

प्रभु ने अपने लोगों को बताया कि उनकी पीड़ा और संघर्ष का अंत निकट है। उसने कहा, “जाग उठ, जाग उठ! उठ खड़ी हो, हे यरूशलेम! तू ने यहोवा के हाथ से उसका क्रोध का कटोरा पिया है, तू ने उसके कुपित होने का कटोरा पीकर उसे पी लिया है। तेरे सब पुत्रों में से कोई उसे मार्ग दिखाने वाला नहीं है, और तेरे सब पुत्रों में से कोई उसका हाथ पकड़कर उसे ले चलने वाला नहीं है।”

प्रभु ने अपने लोगों को आश्वासन दिया कि वह उनके साथ है और उन्हें बचाएगा। उसने कहा, “इसलिए हे दुःख सहने वालो, और मतवाले, परन्तु शराब से नहीं, यह सुनो! तेरा प्रभु यहोवा, तेरा परमेश्वर जो अपनी प्रजा के लिए झगड़ा लड़ता है, यह कहता है: ‘देख, मैंने तेरे हाथ से वह कटोरा जो तुझे मतवाला करता था, उठा लिया है, अर्थात मेरे क्रोध का कटोरा। तू फिर उसे कभी न पिएगी। मैं उसे तेरे सताने वालों के हाथ में दे दूंगा, जिन्होंने तुझ से कहा था, ‘झुक जा, कि हम तेरे ऊपर से होकर चलें।’ और तू ने अपनी पीठ भूमि पर बिछा दी, और वे तेरे ऊपर से होकर चले।”

प्रभु ने अपने लोगों को याद दिलाया कि उसकी विजय निश्चित है। उसने कहा, “इसलिए हे यहोवा के लोगो, जाग उठो और उसकी महिमा का गीत गाओ! क्योंकि वह तुम्हारे लिए लड़ेगा और तुम्हें विजय देगा। उसकी दया और प्रेम सदा तुम्हारे साथ रहेगा।”

इस प्रकार, यशायाह 51 के माध्यम से प्रभु ने अपने लोगों को आशा और सांत्वना दी, और उन्हें याद दिलाया कि वह उनका सृष्टिकर्ता, उद्धारकर्ता और सहायक है। उसने उन्हें बताया कि उनकी पीड़ा का अंत निकट है और उनका भविष्य उज्ज्वल है। प्रभु की प्रतिज्ञाएं अटल हैं, और वह अपने लोगों को कभी नहीं छोड़ेगा।

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