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मिस्र: गर्व से पतन और परमेश्वर की कृपा की ओर बहाली

यशायाह 19 की कहानी मिस्र के बारे में है, जो एक शक्तिशाली और गर्वित राष्ट्र था, लेकिन परमेश्वर के न्याय और अनुग्रह दोनों का सामना करता है। यह कहानी मिस्र की गिरावट, परमेश्वर के हस्तक्षेप, और अंत में उसकी बहाली को दर्शाती है। यह एक ऐसी कहानी है जो परमेश्वर की सर्वोच्चता और उसकी योजना को प्रकट करती है।

### मिस्र का पतन

एक समय की बात है, मिस्र एक महान और शक्तिशाली राष्ट्र था। उसकी नील नदी उसकी जीवनरेखा थी, जो उसकी भूमि को उपजाऊ बनाती थी और उसके लोगों को समृद्धि प्रदान करती थी। मिस्र के लोग अपने देवताओं की पूजा करते थे और अपनी शक्ति पर गर्व करते थे। वे सोचते थे कि उनका राज्य कभी नहीं डगमगाएगा। लेकिन परमेश्वर ने यशायाह नबी के माध्यम से एक संदेश दिया, जो मिस्र के लिए एक चेतावनी और एक भविष्यवाणी थी।

यशायाह ने घोषणा की, “देखो, यहोवा एक तेज बादल पर सवार होकर मिस्र आ रहा है। मिस्र के मूर्तियाँ उसके सामने कांप उठेंगी, और मिस्र के लोगों का मन पिघल जाएगा।” यशायाह ने बताया कि परमेश्वर मिस्र को उसके गर्व और अहंकार के लिए दंड देगा। मिस्र की नील नदी सूख जाएगी, और उसका पानी सूखकर मिट्टी हो जाएगा। मछुआरे और नाविक दुखी होंगे, क्योंकि नदी में मछलियाँ मर जाएंगी और पानी का व्यापार ठप्प हो जाएगा।

मिस्र के किसानों को भी बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। उनके खेत बंजर हो जाएंगे, और उनकी फसलें नष्ट हो जाएंगी। मिस्र के बुनकर और कारीगर भी दुखी होंगे, क्योंकि उनका काम ठप्प हो जाएगा। मिस्र के नेता और बुद्धिमान लोग भी अपनी समझ खो देंगे। वे भ्रमित और निराश हो जाएंगे, क्योंकि परमेश्वर ने उनकी बुद्धि को अंधकार में डाल दिया है।

### मिस्र में अराजकता

मिस्र में अराजकता फैल गई। राजा के दिल में डर समा गया, और उसके सलाहकारों ने उसे गलत सलाह दी। मिस्र के लोग एक-दूसरे से लड़ने लगे, और देश में गृहयुद्ध छिड़ गया। शहरों में हिंसा और अराजकता फैल गई, और लोग भयभीत हो गए। मिस्र की शक्ति और गर्व धूल में मिल गया, और वह एक कमजोर और टूटे हुए राष्ट्र के रूप में खड़ा था।

यशायाह ने बताया कि यह सब परमेश्वर की योजना का हिस्सा था। परमेश्वर ने मिस्र को दंड दिया, क्योंकि वह अपनी शक्ति और मूर्तियों पर भरोसा करता था। लेकिन परमेश्वर की योजना केवल दंड देने तक सीमित नहीं थी। उसकी योजना में मिस्र की बहाली और उद्धार भी शामिल था।

### मिस्र की बहाली

यशायाह ने भविष्यवाणी की कि एक दिन परमेश्वर मिस्र को फिर से बहाल करेगा। वह मिस्र के लोगों को उनके पापों से मुक्त करेगा और उन्हें एक नया हृदय देगा। मिस्र के लोग परमेश्वर की आराधना करेंगे और उसके नाम को महिमा देंगे। परमेश्वर मिस्र में एक वेदी बनाएगा, और वहाँ से वह अपनी आशीषें बहाएगा।

यशायाह ने कहा, “उस दिन मिस्र, असीरिया और इस्राएल के बीच एक मार्ग होगा। ये तीनों राष्ट्र एक साथ परमेश्वर की आराधना करेंगे, और वह उन्हें आशीष देगा। परमेश्वर मिस्र को अपनी प्रजा कहेगा, और मिस्र उसे अपना परमेश्वर कहेगा।”

यह भविष्यवाणी परमेश्वर की महान योजना को दर्शाती है। वह न केवल इस्राएल को बचाने आया है, बल्कि सभी राष्ट्रों को अपनी ओर खींचने आया है। मिस्र, जो एक बार परमेश्वर के विरुद्ध खड़ा था, अब उसकी प्रजा बन जाएगा। यह परमेश्वर की अनुग्रह और दया का प्रमाण है।

### परमेश्वर की महिमा

यशायाह की भविष्यवाणी के अंत में, परमेश्वर की महिमा प्रकट होती है। वह घोषणा करता है, “धन्य है मिस्र, मेरी प्रजा, और असीरिया, मेरे हाथों का काम, और इस्राएल, मेरी मीरास।” परमेश्वर सभी राष्ट्रों को एक साथ लाता है और उन्हें अपनी आशीष से भर देता है। यह एक ऐसा दृश्य है जो परमेश्वर की सर्वोच्चता और उसकी योजना की पूर्णता को दर्शाता है।

इस कहानी से हम सीखते हैं कि परमेश्वर सभी राष्ट्रों पर शासन करता है। वह गर्व और अहंकार को दंड देता है, लेकिन वह अनुग्रह और दया से भी भरा हुआ है। उसकी योजना हमेशा पूरी होती है, और वह सभी को अपनी ओर खींचता है। मिस्र की कहानी हमें याद दिलाती है कि परमेश्वर की महिमा सभी राष्ट्रों में प्रकट होगी, और उसकी आशीषें सभी को मिलेंगी।

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