यिर्मयाह 17 की कहानी हिंदी में:
यहूदा के राज्य में, यिर्मयाह नबी परमेश्वर के वचन को सुनाने के लिए बुलाया गया था। उस समय, यहूदा के लोग परमेश्वर से दूर हो चुके थे और मूर्तियों की पूजा करने लगे थे। उनके हृदय कठोर हो गए थे, और वे अपने पापों में डूबे हुए थे। यिर्मयाह को परमेश्वर ने उन्हें चेतावनी देने और उन्हें सही मार्ग पर लौटने के लिए प्रेरित किया।
एक दिन, यिर्मयाह ने यहूदा के लोगों को संबोधित किया और कहा, “परमेश्वर यहोवा यह कहता है: ‘यहूदा के लोगों का पाप उनके हृदय में लिखा हुआ है, जैसे किसी लोहे की कलम से पत्थर पर खोदा गया हो। वह उनकी वेदी के कोनों पर और उनके हरे-भरे वृक्षों के नीचे स्थित मूर्तियों पर अंकित है।'”
यिर्मयाह ने आगे कहा, “तुम्हारी संपत्ति और तुम्हारे सभी खजाने लूटे जाएंगे, और तुम्हारे उच्च स्थानों को तुम्हारे पापों के कारण नष्ट कर दिया जाएगा। तुमने अपने हाथों से बनाई हुई मूर्तियों पर भरोसा किया है, और इसलिए तुम्हें अपने पापों का दंड भुगतना पड़ेगा।”
फिर यिर्मयाह ने एक दृष्टांत सुनाया, “परमेश्वर यहोवा यह कहता है: ‘जो मनुष्य मनुष्य पर भरोसा करता है और अपने हृदय को परमेश्वर से दूर करता है, वह ऐसा है जैसे जंगल में एक झाड़ी, जो सूखी भूमि में उगती है। वह कभी भी अच्छे समय का अनुभव नहीं करेगी, बल्कि निर्जल स्थानों में रहेगी, जहाँ कोई भी उसे देखने नहीं आएगा।'”
“लेकिन,” यिर्मयाह ने आगे कहा, “जो मनुष्य परमेश्वर पर भरोसा करता है और उसकी आशा रखता है, वह ऐसा है जैसे एक वृक्ष जो पानी के किनारे लगाया गया हो। उसकी जड़ें नदी के पास फैलती हैं, और जब गर्मी आती है, तो उसे कोई चिंता नहीं होती। उसके पत्ते हरे-भरे रहते हैं, और वह सूखे के समय में भी फल देता है।”
यिर्मयाह ने यहूदा के लोगों को चेतावनी दी कि उनका हृदय धोखेबाज है और बुराई से भरा हुआ है। उसने कहा, “कौन इसे समझ सकता है? केवल परमेश्वर ही हृदयों को जांचता है और मन के विचारों को जानता है। वह हर एक को उसके कर्मों के अनुसार बदला देगा।”
यिर्मयाह ने लोगों से कहा, “जो लोग अन्याय से धन इकट्ठा करते हैं, वे अपने जीवन के मध्य में ही उसे खो देंगे। वे मूर्ख हैं, क्योंकि उन्होंने परमेश्वर को छोड़कर मनुष्य पर भरोसा किया है।”
अंत में, यिर्मयाह ने परमेश्वर की प्रार्थना की, “हे यहोवा, तू ही मेरी आशा है। तू ही मेरी शरणस्थान है। मुझे चंगा कर और बचा ले, क्योंकि तू ही मेरी स्तुति है।”
यिर्मयाह की यह कहानी यहूदा के लोगों के लिए एक शक्तिशाली संदेश थी। उसने उन्हें याद दिलाया कि परमेश्वर पर भरोसा रखना और उसकी आज्ञाओं का पालन करना ही सच्ची बुद्धिमानी है। जो लोग परमेश्वर से दूर हो जाते हैं और मूर्तियों की पूजा करते हैं, वे अपने पापों के कारण दुख और विनाश का सामना करेंगे। लेकिन जो लोग परमेश्वर पर भरोसा करते हैं और उसकी आशा रखते हैं, वे हमेशा सुरक्षित और आशीषित रहेंगे।