**कहानी: कोरह, दातान और अबीराम का विद्रोह (गिनती 16)**
उस समय जब इस्राएली जंगल में भटक रहे थे, मूसा और हारून उनके नेता थे। परमेश्वर ने मूसा को चुना था कि वह उन्हें मिस्र की दासता से छुड़ाकर वादा किए हुए देश कनान की ओर ले जाए। परन्तु, लोगों के मन में अक्सर असंतोष और शिकायतें उठती रहती थीं। उन्हें लगता था कि मूसा और हारून अपनी सत्ता का दुरुपयोग कर रहे हैं। इसी असंतोष ने एक बड़े विद्रोह को जन्म दिया, जिसका नेतृत्व कोरह, दातान और अबीराम ने किया।
कोरह लेवी वंश से था, और उसके साथ दातान और अबीराम रूबेन के वंश से थे। ये सभी प्रभावशाली और सम्मानित लोग थे, और उन्होंने मूसा और हारून के अधिकार को चुनौती दी। एक दिन, कोरह ने इस्राएल के 250 प्रमुख लोगों को इकट्ठा किया, जो समाज में प्रतिष्ठित थे। उन्होंने मूसा और हारून के सामने खड़े होकर कहा, “तुम लोग अपने आप को बहुत ऊँचा समझते हो! सारी मंडली पवित्र है, और यहोवा उनके बीच में रहता है। फिर तुम लोग यहोवा की मंडली पर क्यों प्रधानता करते हो?”
मूसा ने यह सुनकर अपना मुँह जमीन की ओर झुकाया और प्रार्थना की। फिर उसने कोरह और उसके साथियों से कहा, “कल सुबह यहोवा यह प्रकट करेगा कि वह किसे चुनता है और कौन पवित्र है। तुम और तुम्हारे सभी साथी धूपदान लेकर यहोवा के सामने खड़े हो जाओ। हारून भी अपना धूपदान लेकर खड़ा होगा। फिर यहोवा यह दिखाएगा कि वह किसे चुनता है।”
अगले दिन, कोरह और उसके 250 साथी धूपदान लेकर मिलाप वाले तम्बू के सामने खड़े हो गए। मूसा और हारून भी वहाँ आए। तब यहोवा की महिमा सारी मंडली के सामने प्रकट हुई। यहोवा ने मूसा और हारून से कहा, “तुम इस मंडली से अलग हो जाओ, क्योंकि मैं इन्हें एक ही क्षण में नष्ट कर दूँगा।”
मूसा और हारून ने यह सुनकर प्रार्थना की और कहा, “हे परमेश्वर, क्या तू एक ही पाप के कारण सारी मंडली पर क्रोधित होगा?” यहोवा ने मूसा की प्रार्थना सुनी और उससे कहा, “मंडली से कहो कि वे कोरह, दातान और अबीराम के तम्बुओं से दूर हो जाएँ।”
मूसा ने लोगों को चेतावनी दी, “यहाँ से दूर हो जाओ, क्योंकि ये लोग पापी हैं। उनके तम्बुओं को छूने से तुम भी दोषी ठहरोगे।” लोग डर गए और कोरह, दातान और अबीराम के तम्बुओं से दूर हो गए। तब मूसा ने कहा, “अब तुम जान जाओगे कि यहोवा ने मुझे भेजा है और ये सब काम मैं अपनी ओर से नहीं कर रहा हूँ। यदि ये लोग साधारण मनुष्यों की मृत्यु की तरह मरेंगे, तो समझ लेना कि यहोवा ने मुझे नहीं भेजा। परन्तु यदि यहोवा कुछ नया करेगा और धरती अपना मुँह खोलकर इन्हें निगल जाएगी, तो तुम जान जाओगे कि इन लोगों ने यहोवा का तिरस्कार किया है।”
मूसा के ये वचन पूरे होने में देर नहीं लगी। जैसे ही उसने बोलना बंद किया, धरती फट गई और कोरह, दातान और अबीराम को उनके परिवारों और सारे सामान के साथ निगल लिया। वे जीते-जी अधोलोक में उतर गए। फिर आकाश से आग बरसी और उन 250 लोगों को जला डाला, जो धूप चढ़ा रहे थे।
इस घटना से सारी मंडली भयभीत हो गई। लोग चिल्लाने लगे, “हम सब मर जाएँगे!” परन्तु यहोवा का क्रोध अभी शांत नहीं हुआ था। उसने मंडली में महामारी भेज दी। मूसा ने तुरंत हारून से कहा, “धूपदान लेकर मंडली के बीच जाओ और उनके लिए प्रायश्चित करो, क्योंकि यहोवा का क्रोध भड़क उठा है।” हारून ने वैसा ही किया। वह मंडली के बीच खड़ा हो गया और धूप चढ़ाने लगा। इस तरह महामारी रुक गई, परन्तु उससे पहले 14,700 लोग मर चुके थे।
यह घटना इस्राएलियों के लिए एक बड़ी चेतावनी थी। यहोवा ने दिखा दिया कि वह किसी को भी अपने चुने हुए नेताओं का विरोध करने की अनुमति नहीं देगा। मूसा और हारून को परमेश्वर ने चुना था, और उनके अधिकार को चुनौती देना परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह करने के समान था।
इस घटना के बाद, यहोवा ने हारून के अधिकार को और स्थिर करने के लिए एक चमत्कार किया। उसने मूसा से कहा कि वह इस्राएल के सभी गोत्रों के प्रमुखों से एक-एक डंडा लेकर मिलाप वाले तम्बू में रखे। हारून का डंडा लेवी के गोत्र के लिए रखा गया। यहोवा ने कहा, “जिस व्यक्ति को मैं चुनूँगा, उसका डंडा फूल उठेगा।” अगले दिन, जब मूसा ने तम्बू में जाकर देखा, तो हारून का डंडा फूल उठा था और उसमें बादाम के फल लगे थे। यहोवा ने यह चमत्कार दिखाकर साबित कर दिया कि हारून ही उसका चुना हुआ याजक है।
इस तरह, कोरह, दातान और अबीराम के विद्रोह ने इस्राएलियों को यह सीख दी कि परमेश्वर के चुने हुए नेताओं का आदर करना और उनकी आज्ञा मानना कितना महत्वपूर्ण है। यह घटना उनके लिए एक सबक थी कि परमेश्वर की इच्छा के विरुद्ध जाने का परिणाम कितना भयानक हो सकता है।