एक समय की बात है, जब दाऊद, इस्राएल का राजा, अपने जीवन के कठिन समय से गुजर रहा था। वह शाऊल, पूर्व राजा, के हाथों से बचकर भाग रहा था, क्योंकि शाऊल उसे मार डालना चाहता था। दाऊद ने अपने हृदय में परमेश्वर की स्तुति की और उसकी सहायता के लिए प्रार्थना की। उसने परमेश्वर को अपना सहारा और शक्ति का स्रोत माना। यह वही समय था जब दाऊद ने भजन संहिता 18 की रचना की, जो उसकी प्रार्थना और परमेश्वर की महिमा का वर्णन करता है।
दाऊद ने कहा, “हे यहोवा, तू मेरी शक्ति है! मैं तुझसे प्रेम करता हूँ। तू मेरी चट्टान, मेरा किला, और मेरा छुड़ाने वाला है। तू मेरा परमेश्वर है, मेरी शरण की चट्टान, जिस पर मैं भरोसा करता हूँ। तू मेरी ढाल और मेरे उद्धार का सींग है, मेरा ऊँचा गढ़ है।”
दाऊद ने अपने जीवन के उन पलों को याद किया जब वह मृत्यु के भयानक जाल में फंसा हुआ था। उसने महसूस किया कि वह निराशा और भय के गहरे गड्ढे में गिर गया था। उसके चारों ओर शत्रुओं के जाल बिछे हुए थे, और वह अपने आप को असहाय महसूस कर रहा था। लेकिन उसने परमेश्वर की ओर रुख किया और चिल्लाकर प्रार्थना की। उसकी आवाज़ स्वर्ग तक पहुँची, और परमेश्वर ने उसकी सुन ली।
दाऊद ने वर्णन किया कि कैसे परमेश्वर ने उसकी सहायता की। वह बोला, “तब पृथ्वी काँप उठी और कंपन हुआ, पहाड़ों की नींव हिल गई, क्योंकि परमेश्वर का क्रोध भड़क उठा था। उसके नथनों से धुआँ उठा, और उसके मुख से आग निकली जो सब कुछ जला डालती थी। उसने आकाश को झुकाया और नीचे उतरा, उसके पैरों के नीचे घने बादल थे। वह करूबों पर सवार होकर उड़ा, और हवा के पंखों पर तेजी से चला।”
दाऊद ने महसूस किया कि परमेश्वर ने उसे अंधकार से बाहर निकाला और उसे प्रकाश में ले आया। उसने कहा, “तू ने मुझे मेरे शत्रुओं से बचाया, और उन लोगों से भी जो मुझसे अधिक शक्तिशाली थे। तू ने मुझे उस दिन बचाया जब मैं निराश था, क्योंकि तू मुझसे प्रसन्न था।”
दाऊद ने परमेश्वर की धार्मिकता और न्याय की प्रशंसा की। उसने कहा, “यहोवा ने मेरे अनुसार मेरी धार्मिकता के अनुसार मुझे बदला दिया। उसने मेरे हाथों की शुद्धता के अनुसार मुझे प्रतिफल दिया। क्योंकि मैंने यहोवा के मार्गों को माना, और अपने परमेश्वर से दूर होकर अधर्म नहीं किया। मैंने उसके सभी नियमों को अपने सामने रखा, और उसकी विधियों से दूर नहीं हटा। मैं उसके सामने निष्कलंक रहा, और अपने अधर्म से बचा रहा। इसलिए यहोवा ने मेरी धार्मिकता के अनुसार मुझे बदला दिया, और मेरी शुद्धता के अनुसार उसकी दृष्टि में।”
दाऊद ने परमेश्वर की दया और अनुग्रह को याद किया। उसने कहा, “तू दयालु के प्रति दयालु है, और सिद्ध के प्रति सिद्ध। तू शुद्ध के प्रति शुद्ध है, और कुटिल के प्रति चतुर है। क्योंकि तू दीन-हीन लोगों को बचाता है, परन्तु अभिमानी लोगों को नीचा दिखाता है। तू मेरे दीपक को प्रज्वलित करता है; यहोवा मेरा परमेश्वर मेरे अंधकार को प्रकाशमय करता है।”
दाऊद ने परमेश्वर की सहायता से अपने शत्रुओं पर विजय पाई। उसने कहा, “तू मेरी सहायता से मैं एक दल पर टूट पड़ता हूँ, और मेरे परमेश्वर की सहायता से मैं एक भीत को लाँघ जाता हूँ। परमेश्वर का मार्ग सिद्ध है; यहोवा का वचन खरा है। वह उन सबों के लिए ढाल है जो उसकी शरण लेते हैं। क्योंकि यहोवा के सिवा और कौन परमेश्वर है? हमारे परमेश्वर के सिवा और कौन चट्टान है?”
दाऊद ने परमेश्वर की महिमा की और उसकी स्तुति की। उसने कहा, “परमेश्वर है जो मुझे शक्ति देता है, और मेरे मार्ग को सिद्ध करता है। वह मेरे पैरों को हरिणी के समान बनाता है, और मुझे मेरे ऊँचे स्थानों पर खड़ा करता है। वह मेरे हाथों को युद्ध करना सिखाता है, जिससे कि मेरी बाँह पीतल का धनुष खींच सके। तू ने मुझे उद्धार की ढाल दी है, और तेरा दाहिना हाथ मुझे सम्भाले हुए है। तेरी दया ने मुझे बड़ा किया है।”
दाऊद ने अपने जीवन में परमेश्वर के कार्यों को याद किया और उसकी स्तुति की। उसने कहा, “तू ने मुझे मेरे शत्रुओं से बचाया है, और मुझे उन लोगों के ऊपर खड़ा किया है जो मुझ पर उठ खड़े हुए थे। तू ने मुझे हिंसक मनुष्य से छुड़ाया है। इसलिए हे यहोवा, मैं जाति-जाति में तेरा धन्यवाद करूँगा, और तेरे नाम का भजन गाऊँगा।”
दाऊद ने परमेश्वर को अपने राजा के रूप में स्वीकार किया और उसकी महिमा की। उसने कहा, “वह अपने राजा के लिए बड़ी विजय देता है, और अपने अभिषिक्त के प्रति दया करता है, दाऊद के प्रति और उसके वंश के प्रति युगानुयुग।”
इस प्रकार, दाऊद ने परमेश्वर की महिमा की और उसकी स्तुति की, क्योंकि उसने उसे उसके सभी संकटों से बचाया था। दाऊद ने महसूस किया कि परमेश्वर उसके साथ है, और वह उसकी शरण में सुरक्षित है। उसने परमेश्वर के प्रेम और अनुग्रह को अपने जीवन में अनुभव किया, और उसकी स्तुति करते हुए उसने कहा, “यहोवा जीवित है; धन्य है मेरी चट्टान; और मेरा उद्धार करने वाला परमेश्वर प्रशंसा के योग्य है।”