पवित्र बाइबल

परमेश्वर की पवित्रता और एलीशाफा का बलिदान

एक समय की बात है, जब इस्राएल के लोग सीनै पर्वत के पास डेरा डाले हुए थे। वे परमेश्वर की उपस्थिति में थे, और उन्हें उसकी आज्ञाओं का पालन करना था। परमेश्वर ने मूसा को बुलाया और उसे उन नियमों और विधियों के बारे में बताया, जिनका पालन करके वे उसके साथ संबंध बनाए रख सकते थे। ये नियम उनके जीवन के हर पहलू को छूते थे, और उनमें से एक था होमबलि चढ़ाने का नियम, जो लैव्यव्यवस्था के पहले अध्याय में वर्णित है।

परमेश्वर ने मूसा से कहा, “इस्राएल के लोगों से कहो कि जब कोई तुम में से यहोवा के लिए होमबलि चढ़ाए, तो वह अपनी इच्छा से कोई पशु चढ़ाए। यह पशु बिना किसी दोष के होना चाहिए, क्योंकि यह परमेश्वर के लिए एक सुगंधित भेंट है।”

एक दिन, एक युवक जिसका नाम एलीशाफा था, ने अपने झुंड में से एक सुंदर और स्वस्थ बछड़े को चुना। वह जानता था कि यह बछड़ा बिना किसी दाग-धब्बे के है, और वह इसे परमेश्वर को भेंट करने के लिए तैयार था। एलीशाफा ने बछड़े को मिलापवाले तम्बू के पास ले जाया, जहां परमेश्वर की उपस्थिति विद्यमान थी। वहां पर याजक हारून और उसके पुत्र मिलापवाले तम्बू के द्वार पर खड़े थे, जो परमेश्वर की सेवा करने के लिए नियुक्त किए गए थे।

एलीशाफा ने बछड़े को याजक के सामने लाया और उसके सिर पर हाथ रखा। यह क्रिया उसके और बछड़े के बीच एक प्रतीकात्मक संबंध स्थापित करती थी, जिससे यह स्पष्ट होता था कि बछड़ा उसके पापों के लिए बलिदान होगा। याजक ने बछड़े को वेदी के पास ले जाया, जो तम्बू के प्रांगण में स्थित थी। वेदी लकड़ी की बनी हुई थी और उस पर पीतल की परत चढ़ी हुई थी। यह परमेश्वर के सामने होमबलि चढ़ाने का स्थान था।

याजक ने बछड़े को वेदी के पास ले जाकर उसे मार डाला। उसने बछड़े का लहू लिया और उसे वेदी के चारों ओर छिड़का। यह लहू पापों के प्रायश्चित का प्रतीक था, और यह दिखाता था कि पाप का दंड मृत्यु है। फिर याजक ने बछड़े को टुकड़ों में काटा और उसके अंगों को वेदी पर रखा। उसने लकड़ी को वेदी पर रखकर आग लगाई, और बछड़े के मांस को आग पर चढ़ाया। धुआं ऊपर उठता हुआ परमेश्वर के पास पहुंचा, और यह उसके लिए एक सुगंधित भेंट बन गया।

याजक ने बछड़े के सभी अंगों को धोया और उन्हें वेदी पर चढ़ाया। यह दिखाता था कि बलिदान पूरी तरह से शुद्ध और परमेश्वर के योग्य होना चाहिए। जब सारा बलिदान वेदी पर चढ़ा दिया गया, तो याजक ने प्रार्थना की और परमेश्वर से कहा कि वह इस बलिदान को स्वीकार करे और एलीशाफा के पापों को क्षमा करे।

एलीशाफा ने यह सब देखा और महसूस किया कि परमेश्वर की पवित्रता और न्याय के सामने उसका अपराध कितना गंभीर है। उसे यह भी एहसास हुआ कि परमेश्वर की कृपा और दया के बिना वह कभी भी उसकी उपस्थिति में खड़ा नहीं हो सकता। बलिदान के माध्यम से, उसे यह विश्वास हुआ कि परमेश्वर ने उसके पापों को क्षमा कर दिया है और उसके साथ संबंध बहाल कर दिया है।

यह कहानी हमें सिखाती है कि परमेश्वर की पवित्रता और न्याय के सामने हम सभी पापी हैं, और हमें उसकी कृपा और दया की आवश्यकता है। बलिदान का नियम यह दिखाता है कि पाप का दंड मृत्यु है, लेकिन परमेश्वर ने हमारे लिए एक मार्ग तैयार किया है जिसके द्वारा हम उसके साथ संबंध बना सकते हैं। यीशु मसीह, जो हमारा सच्चा बलिदान है, ने अपने लहू से हमारे पापों का प्रायश्चित किया है, और उसके माध्यम से हम परमेश्वर के साथ शांति पा सकते हैं।

LEAVE A RESPONSE

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *