एज्रा 8 की कहानी हमें उस समय की ओर ले जाती है जब एज्रा, यहूदियों के एक समूह के साथ, बाबुल से यरूशलेम की ओर यात्रा कर रहा था। यह यात्रा केवल एक भौतिक यात्रा नहीं थी, बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा भी थी, जो परमेश्वर की इच्छा और उनके वादों को पूरा करने के लिए की गई थी। एज्रा एक याजक और शास्त्री था, जो परमेश्वर की व्यवस्था को जानने और सिखाने में निपुण था। उसने अपने साथ यहूदियों के एक समूह को लिया, जो परमेश्वर के घर को फिर से बनाने और उसकी सेवा करने के लिए तैयार थे।
यात्रा शुरू होने से पहले, एज्रा ने अपने साथियों को इकट्ठा किया और उनसे कहा, “हमें परमेश्वर पर भरोसा रखना चाहिए। वह हमारे साथ है और हमें सुरक्षित यरूशलेम पहुंचाएगा।” उसने यह भी कहा कि वे राजा से सैनिक सुरक्षा मांगने से बचें, क्योंकि वे परमेश्वर की सुरक्षा में विश्वास रखते थे। यह एक बड़ा विश्वास का कदम था, क्योंकि यात्रा लंबी और खतरनाक थी, लेकिन एज्रा और उसके साथियों ने परमेश्वर पर पूरा भरोसा रखा।
यात्रा के दौरान, एज्रा ने अपने साथियों को परमेश्वर की व्यवस्था और आज्ञाओं को याद दिलाया। उसने उन्हें बताया कि परमेश्वर ने उन्हें चुना है और उनके जीवन में एक महान उद्देश्य रखा है। वे यरूशलेम जा रहे थे ताकि वे परमेश्वर के घर को फिर से बना सकें और उसकी सेवा कर सकें। यह एक पवित्र मिशन था, और एज्रा चाहता था कि उसके साथी इस मिशन को गंभीरता से लें।
यात्रा के दौरान, एज्रा और उसके साथियों ने कई चुनौतियों का सामना किया। रास्ते में उन्हें खतरनाक इलाकों से गुजरना पड़ा, जहां डाकू और लुटेरों का खतरा था। लेकिन एज्रा ने अपने साथियों को प्रोत्साहित किया और कहा, “परमेश्वर हमारे साथ है। वह हमें बचाएगा और हमें सुरक्षित यरूशलेम पहुंचाएगा।” उनका विश्वास मजबूत था, और वे परमेश्वर की सुरक्षा में चलते रहे।
जब वे यरूशलेम के नजदीक पहुंचे, तो एज्रा ने अपने साथियों को इकट्ठा किया और उनसे कहा, “हमें परमेश्वर का धन्यवाद करना चाहिए। उसने हमें सुरक्षित यहां तक पहुंचाया है।” उन्होंने एक बलिदान चढ़ाया और परमेश्वर की स्तुति की। यह एक आनंद और उत्सव का समय था, क्योंकि वे परमेश्वर के वादे को पूरा होते देख रहे थे।
यरूशलेम पहुंचने के बाद, एज्रा ने परमेश्वर के घर के लिए चंदा इकट्ठा किया। उसने लोगों से कहा, “हमें परमेश्वर के घर के लिए उदार होना चाहिए। यह हमारा कर्तव्य है कि हम उसकी सेवा करें और उसके घर को सुंदर बनाएं।” लोगों ने उदारता से दान दिया, और एज्रा ने उन दानों को सावधानी से संभाला। उसने यह सुनिश्चित किया कि हर चीज ईमानदारी और पवित्रता के साथ की जाए।
एज्रा ने यह भी सुनिश्चित किया कि परमेश्वर के घर के लिए जो भी सामग्री लाई गई थी, वह सुरक्षित रूप से पहुंचाई जाए। उसने विश्वसनीय लोगों को इस काम के लिए चुना और उन्हें जिम्मेदारी दी। एज्रा ने कहा, “हमें परमेश्वर के घर के लिए जिम्मेदारी से काम करना चाहिए। यह हमारी पवित्र सेवा है।”
इस तरह, एज्रा और उसके साथियों ने परमेश्वर के घर को फिर से बनाने और उसकी सेवा करने का काम शुरू किया। उनका विश्वास और उनकी मेहनत परमेश्वर के सामने प्रसन्नता का कारण बनी। एज्रा की कहानी हमें सिखाती है कि परमेश्वर पर भरोसा रखना और उसके वादों को पूरा करने के लिए तैयार रहना कितना महत्वपूर्ण है। वह हमारे साथ है और हमें हर कदम पर मार्गदर्शन देता है।