पवित्र बाइबल

नश्वर से अमर की ओर: पौलुस का स्वर्गीय संदेश

2 कुरिन्थियों 5 के आधार पर एक विस्तृत और गहन कहानी:

एक बार की बात है, जब प्रेरित पौलुस ने कुरिन्थुस की मण्डली को एक पत्र लिखा। यह पत्र उनके हृदय की गहराई से निकला हुआ था, जिसमें उन्होंने मसीही विश्वास के मूल सिद्धांतों को समझाया था। पौलुस ने लिखा, “क्योंकि हम जानते हैं कि यदि हमारा पृथ्वी का यह तम्बू, जो हमारा घर है, ढह जाए, तो हमारे पास परमेश्वर की ओर से एक भवन है, जो मानव हाथों से नहीं बना, बल्कि स्वर्ग में सदैव बना रहने वाला है।”

पौलुस ने आगे समझाया कि इस शरीर में हम कराहते हैं, क्योंकि हम इस नश्वर शरीर के बंधनों से मुक्त होकर स्वर्गीय घर में प्रवेश करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “हम इसलिए कराहते हैं कि हम इस नश्वर शरीर से छुटकारा पाकर अमरता को पहन लें। परमेश्वर ने हमें इसी के लिए तैयार किया है, और उसने हमें पवित्र आत्मा को बयाना दिया है।”

पौलुस ने मण्डली को याद दिलाया कि हम इस शरीर में रहते हुए प्रभु से दूर हैं, क्योंकि हम विश्वास से चलते हैं, न कि दृष्टि से। उन्होंने कहा, “हम सदैव आशावान हैं, और हम यह जानकर साहस रखते हैं कि जब तक हम इस शरीर में हैं, तब तक हम प्रभु से दूर हैं। क्योंकि हम विश्वास से चलते हैं, न कि दृष्टि से।”

पौलुस ने आगे बताया कि हम सबको मसीह के न्याय सिंहासन के सामने प्रकट होना है, ताकि हर एक व्यक्ति अपने शरीर के अनुसार उन कर्मों का बदला पाए, जो उसने किए हैं, चाहे वे अच्छे हों या बुरे। उन्होंने कहा, “इसलिए हम प्रभु का भय मानते हैं और लोगों को समझाने का प्रयास करते हैं। हम परमेश्वर के सामने प्रकट हैं, और मुझे आशा है कि हम तुम्हारे विवेक में भी प्रकट हैं।”

पौलुस ने मण्डली को यह भी समझाया कि यदि हम मसीह में हैं, तो हम एक नई सृष्टि हैं। पुरानी बातें बीत गई हैं, और देखो, सब कुछ नया हो गया है। उन्होंने कहा, “यह सब परमेश्वर की ओर से है, जिसने हमें मसीह के द्वारा अपने साथ मेल मिलाप कराया और हमें मेल मिलाप का सेवकाई दी।”

पौलुस ने आगे बताया कि परमेश्वर मसीह में था, जो संसार को अपने साथ मेल मिलाप करा रहा था, और उनके पापों का हिसाब नहीं लगा रहा था। उन्होंने कहा, “और उसने हमें मेल मिलाप का सन्देश सौंपा है। इसलिए हम मसीह के दूत हैं, मानो परमेश्वर हमारे द्वारा समझा रहा हो। हम मसीह की ओर से विनती करते हैं, ‘परमेश्वर के साथ मेल मिलाप कर लो।'”

पौलुस ने मण्डली को यह भी समझाया कि परमेश्वर ने उसे, जो पाप से अज्ञात था, हमारे लिए पाप ठहराया, ताकि हम उसमें होकर परमेश्वर की धार्मिकता बन जाएं। उन्होंने कहा, “इसलिए हम परमेश्वर के साथ कार्य करने वाले हैं, और हम तुमसे विनती करते हैं कि तुम परमेश्वर के अनुग्रह को व्यर्थ न जाने दो।”

इस प्रकार, पौलुस ने कुरिन्थुस की मण्डली को यह सिखाया कि हमें अपने नश्वर शरीर के बंधनों से मुक्त होकर स्वर्गीय घर की ओर देखना चाहिए। हमें मसीह में एक नई सृष्टि बनना चाहिए और परमेश्वर के साथ मेल मिलाप करना चाहिए। यही सन्देश हमें आशा और साहस देता है, क्योंकि हम जानते हैं कि हमारा अंतिम लक्ष्य परमेश्वर के साथ अनन्तकाल तक रहना है।

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