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परमेश्वर की अनंत करुणा: भजन संहिता 136 की कहानी

एक समय की बात है, जब परमेश्वर के प्रेम और उसकी करुणा की महिमा को गाने के लिए एक भजनकार ने भजन संहिता 136 की रचना की। यह भजन इस्राएल के लोगों के लिए एक स्मरण था कि परमेश्वर का प्रेम अनंत और उसकी करुणा सदैव बनी रहती है। यह भजन उनके इतिहास के महत्वपूर्ण पलों को याद दिलाता है, जब परमेश्वर ने अपनी शक्ति और प्रेम से उनकी रक्षा की और उन्हें आशीर्वाद दिया।

भजन संहिता 136 की शुरुआत इस प्रकार होती है: “यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है; क्योंकि उसकी करुणा सदा बनी रहती है।” यह वाक्य इस्राएल के लोगों के हृदय में गूंजता था, क्योंकि वे जानते थे कि परमेश्वर का प्रेम उनके साथ हर पल रहा है। वे उसकी महानता और उसके कार्यों को याद करते थे, जो उसने उनके लिए किए थे।

भजनकार आगे कहता है, “उस महान परमेश्वर का धन्यवाद करो; क्योंकि उसकी करुणा सदा बनी रहती है।” यह वाक्य परमेश्वर की सर्वशक्तिमानता को दर्शाता है। वह सृष्टि का रचयिता है, जिसने आकाश और पृथ्वी को बनाया। उसने सूर्य, चंद्रमा और तारों को रचा, जो आकाश में चमकते हैं और समय को नियंत्रित करते हैं। उसकी करुणा हर रचना में झलकती है, और उसका प्रेम हर जीवित प्राणी के लिए है।

भजनकार आगे इस्राएल के इतिहास की ओर मुड़ता है और परमेश्वर के उन कार्यों को याद करता है, जो उसने अपने लोगों के लिए किए थे। वह कहता है, “उसने मिस्र के देश से इस्राएल को छुड़ाया; क्योंकि उसकी करुणा सदा बनी रहती है।” यह घटना इस्राएल के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण स्मरण थी। जब वे मिस्र की दासता में थे, तब परमेश्वर ने मूसा को भेजा और उन्हें बंधन से मुक्त किया। उसने मिस्र के फिरौन के हृदय को कठोर किया और उसके ऊपर दस विपत्तियाँ भेजीं, जिससे वह इस्राएल के लोगों को जाने देने के लिए मजबूर हो गया।

भजनकार आगे कहता है, “उसने लाल सागर को फाड़ डाला; क्योंकि उसकी करुणा सदा बनी रहती है।” यह घटना इस्राएल के लोगों के लिए एक चमत्कार थी। जब वे लाल सागर के किनारे खड़े थे और फिरौन की सेना उनका पीछा कर रही थी, तब परमेश्वर ने मूसा के हाथ को उठाया और सागर को दो भागों में विभाजित कर दिया। इस्राएल के लोग सूखी जमीन पर चलकर सागर को पार कर गए, लेकिन जब फिरौन की सेना उनका पीछा करने लगी, तो सागर का पानी वापस आ गया और उन्हें डुबो दिया। यह परमेश्वर की शक्ति और उसकी करुणा का प्रमाण था।

भजनकार आगे कहता है, “उसने जंगल में उनका मार्गदर्शन किया; क्योंकि उसकी करुणा सदा बनी रहती है।” जंगल में इस्राएल के लोगों को परमेश्वर ने बादल के खंभे से दिन में और आग के खंभे से रात में मार्गदर्शन किया। उसने उन्हें मन्ना और बटेर से भोजन दिया और चट्टान से पानी निकालकर उनकी प्यास बुझाई। परमेश्वर की करुणा उनके साथ हर कदम पर थी, और वह उनकी हर आवश्यकता को पूरा करता था।

भजनकार आगे कहता है, “उसने शक्तिशाली राजाओं को हराया; क्योंकि उसकी करुणा सदा बनी रहती है।” जब इस्राएल के लोग वादी भूमि में प्रवेश करने लगे, तो उन्हें शक्तिशाली राजाओं और उनकी सेनाओं का सामना करना पड़ा। लेकिन परमेश्वर ने उन्हें विजय दिलाई। उसने अमोरी के राजा सीहोन और बाशान के राजा ओग को हराया और उनकी भूमि इस्राएल के लोगों को दे दी। यह परमेश्वर की शक्ति और उसकी करुणा का प्रमाण था।

भजनकार अंत में कहता है, “उसने हमें हमारे शत्रुओं के हाथ से छुड़ाया; क्योंकि उसकी करुणा सदा बनी रहती है।” परमेश्वर ने इस्राएल के लोगों को उनके शत्रुओं से बचाया और उन्हें एक सुरक्षित स्थान दिया। उसने उन्हें आशीर्वाद दिया और उनकी रक्षा की। उसकी करुणा उनके साथ हर पल रही, और वह उनका सच्चा रक्षक और मित्र था।

भजन संहिता 136 इस्राएल के लोगों के लिए एक स्तुति और धन्यवाद का भजन था। यह उन्हें याद दिलाता था कि परमेश्वर का प्रेम अनंत है और उसकी करुणा सदा बनी रहती है। वह उनका सृष्टिकर्ता, रक्षक और मित्र है, जो हर परिस्थिति में उनके साथ रहता है। इस भजन के माध्यम से, इस्राएल के लोगों ने परमेश्वर की महिमा की और उसके प्रेम और करुणा के लिए धन्यवाद दिया।

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