सुलैमान का गीत अध्याय 7 में वर्णित प्रेम और सौंदर्य की कहानी को हम एक विस्तृत और जीवंत रूप में प्रस्तुत करते हैं। यह कहानी प्रेम के गहन भावों और परमेश्वर के सृष्टि के प्रति प्रेम को दर्शाती है। यहाँ हम इस अध्याय को एक कहानी के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जो हृदय को छू लेने वाली है।
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एक सुंदर सुबह, जब सूर्य की किरणें धरती को सोने की तरह चमका रही थीं, राजा सुलैमान अपने महल के बगीचे में टहल रहे थे। वह प्रकृति के सौंदर्य और परमेश्वर की सृष्टि के प्रति गहराई से प्रभावित थे। उनका मन प्रेम और आनंद से भरा हुआ था। तभी उनकी नज़र शुलमीथ पर पड़ी, जो उनकी प्रिय थी। वह बगीचे में खड़ी थी, जैसे प्रकृति की रानी, उसकी सुंदरता और गरिमा से सारा वातावरण मंत्रमुग्ध हो गया।
सुलैमान ने शुलमीथ की ओर देखा और उसके सौंदर्य का वर्णन करने लगे। उन्होंने कहा, “हे प्रिये, तेरे पैर सुंदर जूतियों में सजे हुए हैं, जैसे नृत्य करते हुए कलाकार के पैर। तेरे जंघाओं का आकार कलात्मक है, जैसे किसी कुशल कारीगर ने उन्हें गढ़ा हो। तेरी नाभि एक गोल प्याले के समान है, जिसमें मिश्रित मदिरा कभी खत्म नहीं होती। तेरा पेट गेहूं के ढेर के समान है, जो सुगंधित फूलों से घिरा हुआ है।”
सुलैमान की आँखों में शुलमीथ का सौंदर्य और भी निखर गया। उन्होंने आगे कहा, “तेरे स्तन दो हरिण शावकों के समान हैं, जो कमल के फूलों के बीच चरते हैं। तेरी गर्दन हाथीदांत के बुर्ज के समान है, जो चमकदार और मजबूत है। तेरी आँखें हेशबोन के तालाबों के समान हैं, जो शांति और गहराई से भरे हुए हैं। तेरी नाक दमिश्क की लबानोन की ऊँची चोटी के समान है, जो सुगंधित वायु को महकाती है। तेरा सिर कार्मेल पर्वत के समान है, जो ऊँचा और गौरवशाली है। तेरे बालों का रंग बैंगनी है, जैसे राजा के वस्त्रों की छाया।”
शुलमीथ ने सुलैमान के शब्दों को सुना और उसका हृदय प्रेम से भर गया। वह जानती थी कि सुलैमान का प्रेम केवल उसके शारीरिक सौंदर्य के लिए नहीं है, बल्कि उसके आंतरिक गुणों और उसकी आत्मा के लिए है। उसने मुस्कुराते हुए कहा, “हे मेरे प्रिय, तुम्हारे शब्द मेरे हृदय को छू गए हैं। मैं तुम्हारे साथ हूँ, और मैं तुम्हारे प्रेम में खो जाना चाहती हूँ।”
सुलैमान ने शुलमीथ का हाथ पकड़ा और उसे बगीचे में ले गए। वहाँ वे एक साथ चलने लगे, प्रकृति के सौंदर्य का आनंद लेते हुए। उन्होंने फूलों की सुगंध को महसूस किया, पक्षियों के गीत सुने, और नदी की मधुर ध्वनि को सुना। यह ऐसा लग रहा था जैसे पूरी सृष्टि उनके प्रेम का जश्न मना रही हो।
सुलैमान ने कहा, “हे प्रिये, तुम मेरे लिए उस बगीचे के समान हो, जहाँ हर प्रकार के फल और फूल उगते हैं। तुम्हारे प्रेम की सुगंध मुझे मदहोश कर देती है। मैं तुम्हारे साथ हमेशा रहना चाहता हूँ, और तुम्हारे प्रेम में डूब जाना चाहता हूँ।”
शुलमीथ ने सुलैमान की ओर देखा और कहा, “हे मेरे प्रिय, तुम्हारा प्रेम मेरे लिए जीवन का सार है। मैं तुम्हारे साथ हूँ, और मैं तुम्हारे प्रेम में हमेशा के लिए खो जाना चाहती हूँ।”
उनका प्रेम परमेश्वर के प्रेम का प्रतीक था। जैसे सुलैमान शुलमीथ से प्रेम करता था, वैसे ही परमेश्वर अपनी सृष्टि से प्रेम करता है। यह प्रेम शुद्ध, निस्वार्थ और अनंत है। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि प्रेम सबसे बड़ा उपहार है, और यह परमेश्वर की ओर से हमें दिया गया है।
सुलैमान और शुलमीथ का प्रेम हमें याद दिलाता है कि परमेश्वर हमसे कितना प्रेम करता है। उसका प्रेम हमारे जीवन को सुंदर और अर्थपूर्ण बनाता है। हमें भी उसके प्रेम में डूब जाना चाहिए और उसकी सृष्टि के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए।
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यह कहानी सुलैमान के गीत के अध्याय 7 से प्रेरित है, जो प्रेम और सौंदर्य के गहन भावों को दर्शाती है। यह हमें परमेश्वर के प्रेम की याद दिलाती है और हमें उसके साथ गहरे संबंध बनाने के लिए प्रेरित करती है।