पवित्र बाइबल

परमेश्वर की आज्ञा और बलिदान का महत्व

गिनती 28 के अनुसार, यहूदी परंपरा में बलिदान और पूजा के महत्व को दर्शाने वाली एक विस्तृत कहानी है। यह कहानी इस्राएलियों के जंगल में भटकने के दौरान की है, जब वे मूसा के नेतृत्व में सीनै पर्वत से प्रतिज्ञा की हुई भूमि की ओर बढ़ रहे थे। परमेश्वर ने मूसा को बलिदान और पूजा के नियम दिए थे, ताकि उनके लोग उनके साथ संबंध बनाए रख सकें और उनकी इच्छा के अनुसार चल सकें।

एक दिन, मूसा ने इस्राएलियों को इकट्ठा किया और उनसे कहा, “हे इस्राएल के लोगों, परमेश्वर ने हमें आज्ञा दी है कि हम उनके लिए नियमित बलिदान चढ़ाएं। यह बलिदान हमारे लिए उनके प्रेम और कृपा का स्मरण दिलाएंगे। हमें उनकी आज्ञा का पालन करना चाहिए, ताकि हम उनकी आशीषों के भागी बन सकें।”

मूसा ने आगे कहा, “प्रतिदिन सुबह और शाम को, तुम्हें एक निर्दोष मेम्ने का बलिदान चढ़ाना होगा। यह बलिदान परमेश्वर को सुगंधित और प्रसन्न करने वाला होगा। साथ ही, तुम्हें उसके साथ अन्न का भेंट और तेल का भेंट भी चढ़ाना होगा। यह सब परमेश्वर के लिए एक पवित्र और स्वीकार्य भेंट होगी।”

लोगों ने मूसा की बातों को ध्यान से सुना और उन्हें मानने का निर्णय लिया। वे जानते थे कि परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना उनके लिए आशीष का मार्ग है। इसलिए, उन्होंने प्रतिदिन सुबह और शाम को बलिदान चढ़ाना शुरू किया। मेम्ने के बलिदान के साथ, वे अन्न और तेल का भेंट भी चढ़ाते थे। यह सब परमेश्वर के लिए एक सुगंधित और प्रसन्न करने वाला भेंट था।

फिर, मूसा ने लोगों को सब्त के दिन के बारे में बताया। उन्होंने कहा, “सब्त के दिन, तुम्हें दो निर्दोष मेम्नों का बलिदान चढ़ाना होगा। यह बलिदान सामान्य दिनों के बलिदान से अधिक होगा, क्योंकि सब्त का दिन परमेश्वर के लिए विशेष है। इस दिन, तुम्हें आराम करना चाहिए और परमेश्वर की आराधना करनी चाहिए।”

लोगों ने सब्त के दिन के बलिदान को भी माना और उसे पूरी श्रद्धा के साथ मनाया। वे जानते थे कि परमेश्वर ने उन्हें आराम का दिन दिया है, ताकि वे उनके साथ समय बिता सकें और उनकी महिमा का गुणगान कर सकें।

इसके बाद, मूसा ने लोगों को महीने के पहले दिन के बारे में बताया। उन्होंने कहा, “हर महीने के पहले दिन, तुम्हें दो बछड़ों, एक मेढ़े, और सात निर्दोष मेम्नों का बलिदान चढ़ाना होगा। यह बलिदान परमेश्वर के लिए एक विशेष भेंट होगी, जो उन्हें प्रसन्न करेगी। साथ ही, तुम्हें अन्न और तेल का भेंट भी चढ़ाना होगा।”

लोगों ने महीने के पहले दिन के बलिदान को भी पूरी श्रद्धा के साथ मनाया। वे जानते थे कि यह बलिदान परमेश्वर के साथ उनके संबंध को मजबूत करेगा और उन्हें उनकी आशीषों के भागी बनाएगा।

फिर, मूसा ने लोगों को फसह के पर्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा, “फसह के पर्व पर, तुम्हें सात दिनों तक बलिदान चढ़ाना होगा। पहले दिन, तुम्हें दो बछड़ों, एक मेढ़े, और सात निर्दोष मेम्नों का बलिदान चढ़ाना होगा। यह बलिदान परमेश्वर के लिए एक विशेष भेंट होगी, जो उन्हें प्रसन्न करेगी। साथ ही, तुम्हें अन्न और तेल का भेंट भी चढ़ाना होगा।”

लोगों ने फसह के पर्व को भी पूरी श्रद्धा के साथ मनाया। वे जानते थे कि यह पर्व उनके लिए परमेश्वर की कृपा और उद्धार का स्मरण दिलाएगा। उन्होंने परमेश्वर की आज्ञा का पालन किया और उनकी आराधना की।

इस प्रकार, इस्राएलियों ने परमेश्वर की आज्ञा का पालन किया और उनके लिए नियमित बलिदान चढ़ाए। वे जानते थे कि यह बलिदान उनके लिए परमेश्वर के प्रेम और कृपा का स्मरण दिलाएंगे। उन्होंने परमेश्वर की आराधना की और उनकी आशीषों के भागी बने। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना और उनकी आराधना करना हमारे लिए आशीष का मार्ग है।

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