यहोशू अध्याय 22 की कहानी हिंदी में:
यहोशू के समय में, इस्राएल के लोगों ने कनान देश को जीत लिया था और उसे अपने बारह गोत्रों में बाँट दिया था। यहोशू ने इस्राएल के लोगों को परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करने और उसकी सेवा करने के लिए प्रोत्साहित किया था। अब जबकि युद्ध समाप्त हो चुका था और देश का बँटवारा हो गया था, यहोशू ने रूबेनी, गादी और मनश्शे के आधे गोत्र के लोगों को बुलाया। ये वे लोग थे जिन्होंने मूसा के समय में यरदन नदी के पूर्वी किनारे की भूमि को अपना भाग बनाया था, लेकिन उन्होंने अपने भाइयों के साथ यरदन के पश्चिमी किनारे की भूमि को जीतने में भी सहायता की थी।
यहोशू ने उनसे कहा, “तुमने अपने भाइयों के साथ वह सब कुछ किया है जो परमेश्वर के सेवक मूसा ने तुम्हें आज्ञा दी थी। तुमने मेरी बात भी मानी है और परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन किया है। अब परमेश्वर ने तुम्हारे भाइयों को विश्राम दिया है, जैसा कि उसने तुम्हें दिया है। इसलिए अब तुम अपने तंबुओं में लौट जाओ और यरदन नदी के पूर्वी किनारे की भूमि में जाओ, जो परमेश्वर के सेवक मूसा ने तुम्हें दी है। परन्तु यह स्मरण रखो कि तुम्हें परमेश्वर की व्यवस्था और आज्ञाओं का पालन करना है। उससे प्रेम करो और उसकी सेवा पूरे मन से करो।”
यहोशू ने उन्हें आशीर्वाद दिया और कहा, “तुम अपने साथ बहुत सा धन, पशु, चाँदी, सोना, काँसे और लोहा ले जाओ। इन्हें अपने भाइयों के साथ बाँट लो।” इसके बाद रूबेनी, गादी और मनश्शे के आधे गोत्र के लोग यरदन नदी के पूर्वी किनारे की ओर चल पड़े। जब वे यरदन नदी के पास पहुँचे, तो उन्होंने नदी के किनारे एक बड़ा वेदी बनाया। यह वेदी बहुत बड़ी और दिखने में भव्य थी। उन्होंने इसे इस्राएल के परमेश्वर की महिमा के लिए बनाया था।
जब इस्राएल के अन्य गोत्रों को इस बात का पता चला कि रूबेनी, गादी और मनश्शे के लोगों ने यरदन नदी के पास एक वेदी बनाई है, तो वे बहुत क्रोधित हुए। उन्हें लगा कि ये लोग परमेश्वर की व्यवस्था को तोड़ रहे हैं और उसके विरुद्ध पाप कर रहे हैं। उन्होंने सोचा कि यह वेदी परमेश्वर के सामने बलिदान चढ़ाने के लिए बनाई गई है, जो कि केवल शिलो में स्थित मिलापवाले तम्बू के सामने ही चढ़ाए जाने चाहिए। इसलिए इस्राएल के लोगों ने युद्ध करने के लिए तैयार हो गए और रूबेनी, गादी और मनश्शे के गोत्रों के विरुद्ध लड़ने के लिए इकट्ठे हुए।
इस्राएल के लोगों ने पीनहास को, जो एलीआजार का पुत्र और याजक था, और दस प्रधानों को रूबेनी, गादी और मनश्शे के गोत्रों के पास भेजा। उन्होंने उनसे कहा, “तुमने यह क्या किया है? क्या तुम परमेश्वर के विरुद्ध पाप कर रहे हो? क्या तुम हमारे परमेश्वर की व्यवस्था को तोड़ रहे हो? क्या तुम हमारे साथ विश्वासघात कर रहे हो? क्या तुम्हें याद नहीं कि पहले पियोर में क्या हुआ था, जब परमेश्वर ने हमारे लोगों को दण्ड दिया था? क्या तुम फिर से ऐसा ही करना चाहते हो?”
रूबेनी, गादी और मनश्शे के लोगों ने उत्तर दिया, “हे परमेश्वर, हे यहोवा, तू जानता है कि हमारे मन में क्या है। यदि हमने तेरे विरुद्ध पाप किया है, तो हमें दण्ड दे। परन्तु हमने यह वेदी इसलिए नहीं बनाई कि हम बलिदान चढ़ाएँ या होमबलि करें। हमने यह वेदी केवल इसलिए बनाई है कि यह हमारे और तुम्हारे बीच एक गवाही बने। हम चाहते हैं कि भविष्य में हमारे बच्चे तुम्हारे बच्चों से यह न कहें कि तुम्हारा परमेश्वर हमारा परमेश्वर नहीं है। हम चाहते हैं कि यह वेदी हमारे और तुम्हारे बीच एक साक्षी बने कि हम सभी एक ही परमेश्वर की उपासना करते हैं।”
जब पीनहास और इस्राएल के प्रधानों ने यह सुना, तो वे संतुष्ट हो गए। उन्होंने समझा कि रूबेनी, गादी और मनश्शे के लोगों का इरादा अच्छा था और वे परमेश्वर के विरुद्ध पाप नहीं कर रहे थे। पीनहास ने कहा, “आज हमने जान लिया कि परमेश्वर हमारे बीच में है और तुमने उसके विरुद्ध पाप नहीं किया है। अब हम तुम्हारे विरुद्ध युद्ध नहीं करेंगे।”
इस्राएल के लोगों ने रूबेनी, गादी और मनश्शे के लोगों को आशीर्वाद दिया और वे अपने-अपने घरों को लौट गए। रूबेनी, गादी और मनश्शे के लोगों ने उस वेदी को “गवाही” नाम दिया, क्योंकि यह इस बात की गवाही थी कि यहोवा ही परमेश्वर है और वही इस्राएल का एकमात्र उपास्य है।
इस प्रकार, इस्राएल के लोगों के बीच एकता बनी रही और वे सभी परमेश्वर की सेवा करते रहे। यह कहानी हमें सिखाती है कि परमेश्वर के प्रति वफादारी और एकता बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है। यह हमें यह भी सिखाती है कि गलतफहमी को दूर करने के लिए संवाद और समझदारी कितनी आवश्यक है।