1 शमूएल अध्याय 5 की कहानी को हिंदी में विस्तार से लिखा गया है:
फिलिस्तीनियों ने इस्राएल के लोगों को हराकर परमेश्वर की वाचा का सन्दूक छीन लिया था। यह सन्दूक परमेश्वर की महिमा और उपस्थिति का प्रतीक था। फिलिस्तीनियों ने इसे अपने देवता दागोन के मंदिर में ले जाकर रख दिया, यह सोचकर कि उनका देवता इस्राएल के परमेश्वर से श्रेष्ठ है। लेकिन उन्हें जल्द ही पता चलने वाला था कि सच्चा परमेश्वर कौन है।
जब फिलिस्तीनियों ने सन्दूक को दागोन के मंदिर में रखा, तो वे बहुत खुश थे। उन्हें लगा कि उनकी जीत पूरी हो गई है। लेकिन अगली सुबह जब वे मंदिर में गए, तो उन्होंने देखा कि दागोन की मूर्ति सन्दूक के सामने गिरी हुई है, मुँह के बल जमीन पर पड़ी है। उन्होंने मूर्ति को उठाकर फिर से उसकी जगह पर खड़ा कर दिया। लेकिन अगले दिन फिर वही हुआ। इस बार दागोन की मूर्ति न केवल गिरी हुई थी, बल्कि उसके सिर और हाथ टूटकर अलग हो गए थे। केवल धड़ ही बचा था। यह देखकर फिलिस्तीनियों के मन में भय समा गया। उन्हें समझ में आ गया कि यह कोई साधारण घटना नहीं है। यह परमेश्वर की शक्ति का प्रदर्शन था।
लेकिन यह केवल शुरुआत थी। परमेश्वर ने फिलिस्तीनियों को और भी दंड देना शुरू किया। अशदोद के लोगों पर परमेश्वर का क्रोध भड़क उठा। उनके शहर में बीमारी फैल गई। लोगों के शरीर पर फोड़े निकल आए, जो बहुत दर्दनाक थे। यह बीमारी इतनी भयानक थी कि लोग चिल्लाते हुए दर्द से तड़पते थे। अशदोद के लोग समझ गए कि यह सब सन्दूक के कारण हो रहा है। उन्होंने फिलिस्तीनियों के सरदारों को बुलाया और कहा, “इस्राएल के परमेश्वर का सन्दूक हमारे बीच नहीं रह सकता। यह हमें और हमारे देवता दागोन को नष्ट कर देगा।”
सरदारों ने फैसला किया कि सन्दूक को अशदोद से दूसरे शहर गत में भेज दिया जाए। लेकिन जब सन्दूक गत पहुँचा, तो वहाँ के लोगों पर भी वही बीमारी फैल गई। फोड़े निकल आए, और लोग दर्द से चिल्लाने लगे। गत के लोगों ने भी सन्दूक को अपने शहर से दूर भेजने का फैसला किया। इस बार सन्दूक को एक्कोन शहर भेजा गया। लेकिन एक्कोन में भी वही हुआ। जहाँ कहीं भी सन्दूक जाता, वहाँ के लोगों पर परमेश्वर का क्रोध भड़क उठता। फोड़े और बीमारी से लोग तड़पते थे।
फिलिस्तीनियों के सरदार एक साथ इकट्ठे हुए और कहा, “हमें इस सन्दूक को इस्राएल के लोगों को वापस भेज देना चाहिए। यह हमारे लिए बहुत बड़ा संकट बन गया है। हमारे देवता दागोन की मूर्ति टूट गई है, और हमारे लोग बीमारी से मर रहे हैं। अगर हमने इसे नहीं भेजा, तो हम सब नष्ट हो जाएंगे।”
इस तरह, फिलिस्तीनियों ने परमेश्वर की शक्ति को पहचान लिया। उन्हें एहसास हुआ कि इस्राएल का परमेश्वर ही सच्चा परमेश्वर है, और उनके देवता दागोन की कोई शक्ति नहीं है। उन्होंने सन्दूक को इस्राएल के लोगों को वापस भेजने का फैसला किया, ताकि उन पर परमेश्वर का क्रोध शांत हो सके।
यह कहानी हमें सिखाती है कि परमेश्वर की महिमा और शक्ति को कोई नहीं झुठला सकता। वह सभी मूर्तियों और झूठे देवताओं से ऊपर है। जो लोग उसकी अवहेलना करते हैं, उन पर उसका क्रोध भड़क उठता है। लेकिन जो उसे मानते और उसकी आराधना करते हैं, उन पर उसकी कृपा बनी रहती है।