पवित्र बाइबल

दाऊद का पश्चाताप और परमेश्वर की क्षमा

एक बार की बात है, जब दाऊद, इस्राएल का महान राजा, परमेश्वर के सामने गहरी पश्चाताप की स्थिति में था। वह अपने पापों से भरा हुआ था और अपने मन की गहराई से परमेश्वर से क्षमा माँग रहा था। यह वह समय था जब दाऊद ने उरिय्याह की पत्नी बतशेबा के साथ पाप किया था और उरिय्याह को युद्ध में मरवा दिया था। नाथान नबी ने उसे उसके पाप के बारे में सचेत किया था, और अब दाऊद का हृदय टूटा हुआ था।

दाऊद ने अपने कक्ष में प्रवेश किया और धरती पर गिरकर परमेश्वर के सामने रोने लगा। उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे, और उसका मन पश्चाताप से भरा हुआ था। उसने अपने हृदय में महसूस किया कि उसने न केवल एक मनुष्य के साथ पाप किया है, बल्कि उसने परमेश्वर के विरुद्ध पाप किया है। उसने सोचा, “मैंने तेरी आज्ञाओं को तोड़ा है, हे परमेश्वर! मैंने तेरी पवित्रता को ठेस पहुँचाई है।”

दाऊद ने अपने हाथ उठाए और प्रार्थना करने लगा, “हे परमेश्वर, तू दया करने वाला है। तेरी करुणा अथाह है। मैं तेरी दया के लिए तरस रहा हूँ। मेरे पापों को धो दे, हे परमेश्वर, और मुझे शुद्ध कर दे। मैं अपने अधर्म के कारण गहरे दुःख में हूँ। मेरा पाप मुझे दिन-रात सताता है।”

दाऊद ने महसूस किया कि उसका पाप उसके अस्तित्व के हर कोने में समा गया है। उसने कहा, “मैं तो पाप में ही पैदा हुआ हूँ। मेरी माँ ने मुझे पाप की स्थिति में ही जन्म दिया। हे परमेश्वर, तू हृदय की सच्चाई चाहता है। मुझे अपने भीतर का ज्ञान दो, ताकि मैं शुद्ध हो सकूँ।”

दाऊद ने अपने आँसुओं से भीगे हुए चेहरे को ऊपर उठाया और परमेश्वर से विनती की, “मुझे हिस्सोप की डाली से शुद्ध कर दे, और मैं स्वच्छ हो जाऊँगा। मुझे धो दे, और मैं हिम से भी अधिक श्वेत हो जाऊँगा। मुझे आनन्द और आशीष की वापसी का अनुभव करा। मेरी टूटी हुई हड्डियों को फिर से मजबूत कर।”

दाऊद ने महसूस किया कि उसका पाप उसके और परमेश्वर के बीच एक दीवार बन गया है। उसने कहा, “हे परमेश्वर, मेरे पापों को मुझसे दूर कर दे, और मेरे अधर्म का पापमोचन कर दे। हे परमेश्वर, मेरे भीतर एक शुद्ध हृदय उत्पन्न कर, और मेरे भीतर एक स्थिर आत्मा को नया कर दे। मुझे तेरे सामने से दूर न कर, और तेरे पवित्र आत्मा को मुझसे छीन न ले।”

दाऊद ने परमेश्वर से विनती की कि वह उसे फिर से आनन्द और उद्धार का अनुभव कराए। उसने कहा, “मुझे अपने उद्धार के आनन्द की वापसी करा, और मेरी इच्छाओं को संयमित करने वाली आत्मा से मुझे सहारा दे। तब मैं अपराधियों को तेरे मार्ग सिखाऊँगा, और पापी तेरी ओर फिरेंगे।”

दाऊद ने परमेश्वर से कहा, “हे परमेश्वर, मेरे उद्धार के देवता, मेरी जीभ तेरे धर्म का गुणगान करेगी। हे प्रभु, मेरे होठ खोल दे, और मेरा मुख तेरी स्तुति का वर्णन करेगा। तू बलिदान से प्रसन्न नहीं होता, नहीं तो मैं उसे चढ़ाता। होमबलि से तू प्रसन्न नहीं होता। परमेश्वर के लिए टूटा हुआ हृदय ही वह बलिदान है। हे परमेश्वर, तू टूटे और पिसे हुए हृदय को तुच्छ नहीं जानता।”

दाऊद ने परमेश्वर से प्रार्थना की कि वह सिय्योन की भलाई करे और यरूशलेम की दीवारों को बनाए। उसने कहा, “तब तू धर्म के बलिदानों से प्रसन्न होगा, होमबलि और सर्वांगबलि से। तब लोग बैलों को तेरी वेदी पर चढ़ाएँगे।”

दाऊद की प्रार्थना समाप्त हुई, और उसने महसूस किया कि परमेश्वर ने उसकी विनती सुन ली है। उसका हृदय हल्का हो गया, और उसे लगा कि उसके पापों का बोँध उतर गया है। दाऊद ने परमेश्वर की महिमा की और उसकी दया के लिए धन्यवाद दिया। उसने जान लिया कि परमेश्वर की क्षमा और करुणा उसके लिए नई शुरुआत का मार्ग है।

इस तरह, दाऊद ने अपने पापों से पश्चाताप किया और परमेश्वर की क्षमा प्राप्त की। उसकी कहानी हमें सिखाती है कि कोई भी पाप परमेश्वर की दया से बड़ा नहीं है, और यदि हम सच्चे मन से पश्चाताप करें, तो परमेश्वर हमें क्षमा कर देता है और हमारे हृदय को नया कर देता है।

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