एक समय की बात है, जब राजा दाऊद परमेश्वर की महिमा और उनकी सृष्टि के बारे में गहराई से सोच रहे थे। वह एक ऊँची पहाड़ी पर खड़े थे, जहाँ से आकाश और पृथ्वी का विस्तार उनकी आँखों के सामने फैला हुआ था। उन्होंने अपने हृदय में परमेश्वर की स्तुति करने की इच्छा महसूस की और उन्होंने भजन संहिता 19 को लिखा, जो आकाश और पृथ्वी की गवाही के बारे में था।
दाऊद ने लिखा, “आकाश परमेश्वर की महिमा का वर्णन करता है, और आकाशमंडल उनकी हस्तकला को प्रकट करता है।” उन्होंने देखा कि सूर्य, चंद्रमा और तारे परमेश्वर की सृष्टि के साक्षी हैं। वह सोचने लगे कि कैसे ये सभी चीज़ें बिना शब्दों के परमेश्वर की महिमा का बखान करती हैं। सूर्य की किरणें पृथ्वी को प्रकाशित करती हैं, और चंद्रमा की शीतलता रात को सुंदर बनाती है। तारे आकाश में टिमटिमाते हैं, मानो वे परमेश्वर की स्तुति कर रहे हों।
दाऊद ने महसूस किया कि परमेश्वर की व्यवस्था भी उतनी ही स्पष्ट और सुंदर है। उन्होंने लिखा, “यहोवा की व्यवस्था खरी है, वह मन को प्रसन्न करती है। यहोवा की आज्ञा स्पष्ट है, वह आँखों को ज्योति देती है।” उन्होंने सोचा कि कैसे परमेश्वर की व्यवस्था मनुष्य के लिए मार्गदर्शक है, जैसे सूर्य का प्रकाश पृथ्वी को रोशन करता है। परमेश्वर की व्यवस्था मनुष्य को पाप से बचाती है और उसे सही मार्ग पर चलने की शक्ति देती है।
दाऊद ने अपने हृदय में परमेश्वर की स्तुति की और कहा, “हे यहोवा, तू मेरी चट्टान और मेरा उद्धारकर्ता है। मेरे हृदय के गुप्त विचारों को शुद्ध कर, और मुझे अपने भय में स्थिर रख।” उन्होंने महसूस किया कि परमेश्वर की व्यवस्था और उनकी सृष्टि दोनों ही उनके लिए मार्गदर्शक हैं। वह जानते थे कि परमेश्वर की व्यवस्था उनके लिए सोने से भी अधिक मूल्यवान है और शहद से भी मीठी है।
दाऊद ने अपने भजन को समाप्त करते हुए कहा, “हे यहोवा, मेरे वचन और मेरे हृदय के विचार तेरी दृष्टि में ग्रहणयोग्य हों।” उन्होंने परमेश्वर से प्रार्थना की कि वह उनके हृदय और विचारों को शुद्ध करें और उन्हें सही मार्ग पर चलने की शक्ति दें। दाऊद जानते थे कि परमेश्वर की व्यवस्था और उनकी सृष्टि दोनों ही उनके लिए मार्गदर्शक हैं, और वह उनकी स्तुति करने के लिए तैयार थे।
इस प्रकार, दाऊद ने भजन संहिता 19 के माध्यम से परमेश्वर की महिमा और उनकी व्यवस्था की सुंदरता को व्यक्त किया। उन्होंने सिखाया कि परमेश्वर की सृष्टि और उनकी व्यवस्था दोनों ही मनुष्य के लिए मार्गदर्शक हैं, और हमें उनकी स्तुति करनी चाहिए। दाऊद का यह भजन आज भी हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है, और हमें याद दिलाता है कि परमेश्वर की महिमा और उनकी व्यवस्था हमारे जीवन में कितनी महत्वपूर्ण हैं।