पवित्र बाइबल

अय्यूब का विश्वास और परमेश्वर की कृपा

एक समय की बात है, जब अय्यूब अपने जीवन के उन दिनों को याद कर रहा था जब परमेश्वर का आशीर्वाद उस पर बहुतायत से था। वह अपने अतीत को याद करते हुए गहरे विचारों में डूब गया। उसने अपने मन में कहा, “काश! वे दिन फिर से लौट आएं जब परमेश्वर मेरी रक्षा करता था और उसका दीपक मेरे सिर पर चमकता था। उन दिनों में मैं अंधकार में भी प्रकाश की ओर चलता था, क्योंकि परमेश्वर की कृपा मेरे साथ थी।”

अय्यूब ने याद किया कि कैसे उसके जीवन के वसंत के दिनों में, परमेश्वर का आशीर्वाद उस पर इतना अधिक था कि उसके बच्चे उसके आसपास रहते थे और उसका परिवार सुख और शांति से भरा हुआ था। उसने कहा, “उन दिनों में मेरे कदम दही से धुले हुए थे, और चट्टानें मेरे लिए तेल की धाराएं बहाती थीं। मैं नगर के फाटक पर जाता था, और वहां मेरी आसन लगाया जाता था। जवान लोग मुझे देखकर छिप जाते थे, और बूढ़े उठकर खड़े हो जाते थे। प्रधान लोग बोलना बंद कर देते थे, और उनकी जीभ तालु से चिपक जाती थी।”

अय्यूब ने यह भी याद किया कि कैसे वह गरीबों और असहायों की मदद करता था। उसने कहा, “जब कोई अनाथ मेरे पास आता था, तो मैं उसकी सहायता करता था। विधवा की सहायता करना मेरे लिए आनंद का विषय था। मैं अंधे को मार्ग दिखाता था और लंगड़े को उसके पैरों के सहारे चलने में मदद करता था। मैं गरीबों का पिता था, और मैं उनके मुकदमों की जांच करता था जिन्हें मैं नहीं जानता था। मैं दुष्ट के जबड़े को तोड़ देता था और उसके दांतों से शिकार छीन लेता था।”

अय्यूब ने यह भी याद किया कि कैसे लोग उसकी बातों को सुनते थे और उसकी सलाह को मानते थे। उसने कहा, “लोग मेरी बातों को ध्यान से सुनते थे, और मेरी सलाह पर चुपचाप विचार करते थे। मेरे बोलने के बाद वे फिर कुछ नहीं कहते थे, और मेरी बातें उन पर ओस की बूंदों की तरह गिरती थीं। वे मेरी प्रतीक्षा करते थे जैसे वर्षा की प्रतीक्षा करते हैं, और वे मेरे वचनों को खुली जुबान से पीते थे। जब मैं उनके साथ मुस्कुराता था, तो वे विश्वास नहीं कर पाते थे, और मेरे चेहरे की रोशनी उन्हें प्रोत्साहित करती थी। मैं उनके बीच नेता के रूप में चुना जाता था, और मैं एक राजा की तरह सेना के बीच में रहता था। जो लोग दुखी थे, मैं उन्हें सांत्वना देता था, और जो लोग उदास थे, मैं उनके मन को हल्का करता था।”

अय्यूब ने यह सब याद करते हुए अपने वर्तमान दुखों के बारे में सोचा। उसने कहा, “लेकिन अब मेरी हालत बदल गई है। जो लोग मुझे देखते हैं, वे मेरा मजाक उड़ाते हैं, और जो युवा हैं, वे मुझे तुच्छ समझते हैं। मेरे शत्रु मुझ पर हावी हो गए हैं, और जो लोग मुझसे घृणा करते हैं, वे मेरे विरुद्ध खड़े हो गए हैं। मेरी त्वचा मेरी हड्डियों से चिपक गई है, और मैं केवल अपने दांतों की चमड़ी से बचा हुआ हूं।”

अय्यूब ने परमेश्वर से प्रार्थना की और कहा, “हे परमेश्वर, मुझ पर दया करो और मेरी सहायता करो। मुझे याद है कि तू मेरा सहारा था, और तेरी कृपा मेरे साथ थी। कृपया मुझे फिर से उन दिनों की ओर ले चल, जब तेरा आशीर्वाद मेरे ऊपर था।”

अय्यूब की प्रार्थना सुनकर, परमेश्वर ने उसके दिल को छू लिया और उसे शांति दी। अय्यूब ने महसूस किया कि परमेश्वर उसके साथ है, और उसने अपने दुखों में भी उस पर भरोसा रखा। उसने कहा, “चाहे मेरी हालत कैसी भी हो, मैं परमेश्वर पर भरोसा रखूंगा और उसकी इच्छा को स्वीकार करूंगा।”

और इस तरह, अय्यूब ने अपने जीवन के उन दिनों को याद किया जब परमेश्वर का आशीर्वाद उस पर था, और उसने अपने वर्तमान दुखों में भी परमेश्वर पर भरोसा रखा। उसने सीखा कि परमेश्वर की योजनाएं मनुष्य की समझ से ऊपर हैं, और उसने अपने जीवन को परमेश्वर के हाथों में सौंप दिया।

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