पवित्र बाइबल

आमोस का संदेश: परमेश्वर का न्याय और पश्चाताप का आह्वान

एक दिन, परमेश्वर ने आमोस नामक एक चरवाहे को बुलाया और उसे इस्राएल के लोगों के पास भेजा। आमोस एक साधारण व्यक्ति था, जो तेकोआ के पास भेड़-बकरियों को चराता था। परमेश्वर ने उसे एक महत्वपूर्ण संदेश दिया, जो उसे इस्राएल के लोगों तक पहुँचाना था। यह संदेश उनके पापों और उनके विरुद्ध परमेश्वर के न्याय के बारे में था।

आमोस ने अपनी यात्रा शुरू की और इस्राएल के विभिन्न शहरों में जाकर लोगों को परमेश्वर का वचन सुनाने लगा। उसने उन्हें बताया कि परमेश्वर उनके पापों से अत्यंत क्रोधित है। उसने कहा, “हे इस्राएल के लोगो, तुमने परमेश्वर की आज्ञाओं को तोड़ा है। तुमने निर्दोषों का खून बहाया है, गरीबों का शोषण किया है, और मूर्तियों की पूजा की है। तुमने परमेश्वर के प्रेम और उसकी दया को ठुकरा दिया है।”

आमोस ने उन्हें याद दिलाया कि परमेश्वर ने उन्हें मिस्र की दासता से छुड़ाया था और उन्हें एक समृद्ध और सुरक्षित देश दिया था। परन्तु उन्होंने परमेश्वर की उपस्थिति और उसकी आशीषों को भुला दिया था। उन्होंने अपने जीवन में अन्याय और अत्याचार को बढ़ावा दिया था। आमोस ने कहा, “तुमने धर्मी लोगों को बेच दिया है और गरीबों को जूतों के बदले में बेचा है। तुमने निर्दोषों को दबाया है और सत्य को तोड़ा है।”

आमोस ने उन्हें चेतावनी दी कि परमेश्वर का न्याय निकट है। उसने कहा, “परमेश्वर तुम्हारे पापों को क्षमा नहीं करेगा। वह तुम्हारे विरुद्ध खड़ा होगा और तुम्हें दण्ड देगा। तुम्हारे शहर उजाड़ हो जाएंगे, तुम्हारे खेत बंजर हो जाएंगे, और तुम्हारे लोग बंधुआई में जाएंगे।”

लोगों ने आमोस की बातों को गंभीरता से नहीं लिया। वे उस पर हँसे और उसे धमकाया। उन्होंने कहा, “तू कौन होता है हमें सिखाने वाला? तू तो केवल एक चरवाहा है। हमें तेरी बातों की परवाह नहीं है।”

परन्तु आमोस ने हार नहीं मानी। वह जानता था कि परमेश्वर ने उसे यह कार्य सौंपा है और उसे पूरा करना है। उसने लोगों को बताया कि परमेश्वर का न्याय अटल है और वह उनके पापों को अनदेखा नहीं करेगा। उसने कहा, “तुम्हारे पापों के कारण, परमेश्वर तुम्हारे ऊपर आग बरसाएगा। तुम्हारे शहरों में आग लग जाएगी और तुम्हारे दुश्मन तुम्हें घेर लेंगे। तुम्हारे पास कोई सहायता नहीं होगी, क्योंकि तुमने परमेश्वर को ठुकरा दिया है।”

आमोस ने यह भी कहा कि परमेश्वर ने उन्हें बार-बार चेतावनी दी थी, परन्तु उन्होंने उसकी बात नहीं मानी। उसने कहा, “परमेश्वर ने तुम्हें भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा चेतावनी दी, परन्तु तुमने उनकी बात नहीं सुनी। अब उसका क्रोध तुम पर उतरेगा और तुम्हें अपने पापों का फल भुगतना पड़ेगा।”

आमोस की बातों से कुछ लोग डर गए और उन्होंने पश्चाताप करने का निर्णय लिया। परन्तु अधिकांश लोगों ने उसकी बातों को नज़रअंदाज़ कर दिया। वे अपने पापों में डूबे रहे और परमेश्वर के न्याय को भुला दिया।

कुछ समय बाद, परमेश्वर का न्याय इस्राएल पर आ गया। उनके शहरों में आग लग गई, उनके खेत बंजर हो गए, और उनके दुश्मनों ने उन पर आक्रमण कर दिया। इस्राएल के लोग बंधुआई में चले गए और उन्हें अपने पापों का फल भुगतना पड़ा।

आमोस की भविष्यवाणी सच हो गई। परमेश्वर ने उनके पापों को क्षमा नहीं किया और उन्हें दण्ड दिया। इस्राएल के लोगों ने महसूस किया कि परमेश्वर का वचन सत्य है और उसका न्याय अटल है।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि परमेश्वर के वचन को गंभीरता से लेना चाहिए। हमें अपने पापों से पश्चाताप करना चाहिए और परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करना चाहिए। परमेश्वर का न्याय निश्चित है, और हमें उसके प्रेम और दया में बने रहना चाहिए।

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