एक समय की बात है, जब अय्यूब नाम के एक धर्मी व्यक्ति थे। वह ईश्वर से बहुत प्रेम करते थे और उनके आदेशों का पालन करते थे। अय्यूब धनी थे, उनके पास बहुत सारी संपत्ति, पशुधन और एक बड़ा परिवार था। वह अपने समाज में सम्मानित थे और सभी उनकी प्रशंसा करते थे। लेकिन एक दिन, अचानक उनके जीवन में बड़ी परेशानियाँ आ गईं। उनके सभी पशु मर गए, उनके बच्चों की मृत्यु हो गई, और उनके शरीर पर दर्दनाक फोड़े निकल आए। अय्यूब ने अपनी सारी संपत्ति और प्रियजनों को खो दिया, लेकिन फिर भी वह ईश्वर पर विश्वास करते रहे।
अय्यूब के दुख की खबर सुनकर उनके तीन मित्र—एलीफज, बिलदद और सोफर—उनके पास आए। वे अय्यूब को सांत्वना देने और उसकी मदद करने के लिए आए थे। जब वे अय्यूब को देखे, तो उन्होंने उसके दुख को समझा और सात दिन तक चुपचाप उसके साथ बैठे। लेकिन जब अय्यूब ने अपने दुखों के बारे में बोलना शुरू किया और ईश्वर से शिकायत की, तो उसके मित्रों ने उसे समझाने की कोशिश की।
बिलदद, जो शूही लोगों में से था, ने अय्यूब से बात करना शुरू किया। उसने कहा, “अय्यूब, तुम कब तक ऐसी बातें कहते रहोगे? क्या तुम सच में मानते हो कि ईश्वर अन्यायी है? क्या तुम सोचते हो कि वह तुम्हारे साथ गलत कर रहा है? यदि तुम्हारे बच्चों ने पाप किया है, तो ईश्वर ने उन्हें दंड दिया है। लेकिन यदि तुम सच्चे और निष्कलंक हो, तो ईश्वर तुम्हें बचाएगा और तुम्हारे घर को फिर से भर देगा।”
बिलदद ने आगे कहा, “पुराने समय के लोगों से पूछो, उनके अनुभवों पर ध्यान दो। हमारे पूर्वजों ने हमें बहुत कुछ सिखाया है। वे कहते हैं कि जो लोग ईश्वर को भूल जाते हैं, उनकी आशा टूट जाती है। वे ऐसे पौधे की तरह हैं जो पानी के बिना सूख जाते हैं। उनकी जड़ें कमजोर हो जाती हैं, और वे मिट्टी में गिर जाते हैं। लेकिन जो लोग ईश्वर पर भरोसा रखते हैं, वे हमेशा फलते-फूलते हैं। उनकी जड़ें मजबूत होती हैं, और वे हर मुश्किल का सामना करते हैं।”
बिलदद ने अय्यूब को समझाने की कोशिश की कि यदि वह सच्चे मन से ईश्वर की ओर लौटे, तो ईश्वर उसकी स्थिति को बदल देगा। उसने कहा, “ईश्वर कभी भी धर्मी को नहीं छोड़ता। यदि तुम शुद्ध और निष्कलंक हो, तो वह तुम्हारे लिए हस्तक्षेप करेगा और तुम्हारे घर को फिर से समृद्ध करेगा। तुम्हारा अंत तुम्हारी शुरुआत से भी बेहतर होगा।”
बिलदद की बातों में सच्चाई थी, लेकिन वह अय्यूब के दुख को पूरी तरह से नहीं समझ पाया। अय्यूब ने अपने मित्र की बातें सुनीं, लेकिन उसने महसूस किया कि उसके मित्र उसके दर्द को नहीं समझ रहे हैं। अय्यूब ने ईश्वर से प्रार्थना की और उससे अपने दुखों का कारण पूछा। वह जानता था कि ईश्वर न्यायी है, लेकिन वह अपने दुखों का अर्थ नहीं समझ पा रहा था।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि ईश्वर हमेशा हमारे साथ है, चाहे हम किसी भी परिस्थिति में हों। हमें उस पर भरोसा रखना चाहिए और उसकी इच्छा को समझने की कोशिश करनी चाहिए। जब हम ईश्वर के साथ चलते हैं, तो वह हमारे जीवन को आशीर्वाद से भर देता है।