रोमियों 6 का सन्देश हृदय को छूने वाला और गहरा है। यह अध्याय हमें मसीह यीशु के साथ मृत्यु और जीवन के रहस्य के बारे में सिखाता है। आइए, इस सत्य को एक कहानी के माध्यम से समझते हैं, जो हमारे विश्वास को और गहरा करेगी।
एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में एक युवक रहता था जिसका नाम योनातान था। योनातान बचपन से ही परमेश्वर के वचन को सुनता और उस पर मनन करता था। उसके माता-पिता उसे बाइबल की कहानियाँ सुनाते और उसे परमेश्वर के प्रेम और अनुग्रह के बारे में सिखाते। लेकिन जैसे-जैसे योनातान बड़ा हुआ, वह दुनिया के आकर्षण में फँसने लगा। वह पाप के जाल में फँस गया और उसका जीवन अंधकारमय हो गया।
एक दिन, योनातान गाँव के पास के एक जंगल में भटक गया। वहाँ उसकी मुलाकात एक बूढ़े व्यक्ति से हुई, जो एक पेड़ के नीचे बैठा हुआ था। बूढ़े व्यक्ति का चेहरा शांत और प्रकाश से भरा हुआ था। योनातान ने उससे पूछा, “महोदय, आप कौन हैं और यहाँ क्या कर रहे हैं?”
बूढ़े व्यक्ति ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैं एक यात्री हूँ, और मैं तुम्हें एक महत्वपूर्ण सत्य बताना चाहता हूँ। क्या तुम सुनोगे?”
योनातान ने सिर हिलाया, और बूढ़े व्यक्ति ने कहा, “तुम्हारा जीवन पाप के अधीन है, और तुम मृत्यु की ओर बढ़ रहे हो। लेकिन परमेश्वर ने तुम्हारे लिए एक मार्ग तैयार किया है। यीशु मसीह, उसका पुत्र, तुम्हारे पापों के लिए मरा और फिर जी उठा। अगर तुम उस पर विश्वास करोगे, तो तुम भी उसके साथ मरोगे और उसके साथ जी उठोगे।”
योनातान ने पूछा, “इसका क्या अर्थ है? मैं कैसे मसीह के साथ मर सकता हूँ और जी सकता हूँ?”
बूढ़े व्यक्ति ने समझाया, “जब तुम मसीह में विश्वास करते हो, तो तुम उसकी मृत्यु और पुनरुत्थान में भागीदार बन जाते हो। तुम्हारा पुराना स्वभाव, जो पाप के अधीन था, मसीह के साथ क्रूस पर मर जाता है। और अब तुम एक नए जीवन में जीते हो, जो पाप से मुक्त है और परमेश्वर के प्रति समर्पित है।”
योनातान ने गहरी साँस ली और कहा, “मैं यह सब समझता हूँ, लेकिन मैं अपने पापों से कैसे छूट सकता हूँ? मैं इतना कमज़ोर हूँ।”
बूढ़े व्यक्ति ने उसकी आँखों में देखा और कहा, “तुम्हारी शक्ति नहीं, बल्कि मसीह की शक्ति तुम्हें बचाएगी। जब तुम उस पर भरोसा करते हो, तो तुम उसकी मृत्यु और जीवन में भागीदार बन जाते हो। तुम्हारा पुराना स्वभाव मर चुका है, और अब तुम एक नए जीवन में जीते हो। तुम्हें अब पाप के अधीन नहीं रहना है, क्योंकि तुम अनुग्रह के अधीन हो।”
योनातान ने अपने हृदय में एक गहरी शांति महसूस की। उसने बूढ़े व्यक्ति से कहा, “मैं मसीह पर विश्वास करता हूँ। मैं उसके साथ मरना और उसके साथ जीना चाहता हूँ।”
बूढ़े व्यक्ति ने मुस्कुराते हुए कहा, “तब तुम्हारा जीवन बदल जाएगा। तुम अब पाप के दास नहीं हो, बल्कि परमेश्वर के पुत्र हो। तुम्हारा जीवन उसकी महिमा के लिए होगा।”
योनातान ने उस दिन से अपना जीवन मसीह को समर्पित कर दिया। वह जानता था कि उसका पुराना स्वभाव मर चुका है, और अब वह एक नए जीवन में जी रहा है। उसने अपने पापों से मुंह मोड़ लिया और परमेश्वर की इच्छा के अनुसार जीने लगा। उसका जीवन एक साक्ष्य बन गया कि मसीह की मृत्यु और पुनरुत्थान में हमारा पुराना जीवन मर जाता है और हम एक नए जीवन में जीते हैं।
योनातान के जीवन से उसके गाँव के लोग प्रभावित हुए। उन्होंने देखा कि योनातान का जीवन बदल गया है, और वे भी मसीह के पास आने लगे। इस तरह, योनातान का जीवन एक प्रकाश बन गया, जो दूसरों को मसीह की ओर ले जाता था।
इस कहानी के माध्यम से हम समझते हैं कि रोमियों 6 का सन्देश कितना गहरा और परिवर्तनकारी है। जब हम मसीह में विश्वास करते हैं, तो हम उसकी मृत्यु और पुनरुत्थान में भागीदार बन जाते हैं। हमारा पुराना जीवन मर जाता है, और हम एक नए जीवन में जीते हैं, जो परमेश्वर के प्रति समर्पित है। यही है मसीह में नया जीवन।