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यशायाह 53: मसीहा के दुख और बलिदान की भविष्यवाणी

यशायाह 53 की कहानी हमें एक गहरी और मार्मिक भविष्यवाणी के बारे में बताती है, जो परमेश्वर के सेवक के दुख और बलिदान को दर्शाती है। यह अध्याय मसीहा के आगमन और उनके द्वारा मानवजाति के लिए किए जाने वाले बलिदान की ओर इशारा करता है। आइए, इस कहानी को विस्तार से और जीवंत वर्णन के साथ समझते हैं।

बहुत समय पहले, यशायाह नामक एक भविष्यद्वक्ता थे, जिन्हें परमेश्वर ने इस्राएल के लोगों को उनके पापों के बारे में चेतावनी देने और उन्हें सच्चे मार्ग पर लौटने के लिए बुलाया था। एक दिन, यशायाह ने परमेश्वर से एक अद्भुत दर्शन प्राप्त किया। यह दर्शन एक ऐसे सेवक के बारे में था, जो आने वाला था और जो संसार के पापों को उठाने के लिए दुख सहने वाला था।

यशायाह ने देखा कि यह सेवक साधारण रूप में आएगा। उसकी सुंदरता या ऐश्वरिक तेज नहीं होगा जो लोगों को आकर्षित करे। वह एक साधारण मनुष्य की तरह दिखेगा, जिसे लोग तुच्छ समझेंगे और उसकी ओर ध्यान नहीं देंगे। यशायाह ने कहा, “उसने हमारे सामने एक कोमल अंकुर की तरह जन्म लिया, और वह सूखी भूमि से निकला। उसमें न तो सुंदरता थी और न ही ऐसा तेज जो हमें उसकी ओर आकर्षित करे।”

फिर भी, यह सेवक मनुष्यों के दुखों और पीड़ाओं को समझने वाला था। वह उनके दुखों को अपने ऊपर लेने वाला था। यशायाह ने कहा, “वह तिरस्कृत हुआ और मनुष्यों ने उसका त्याग किया। वह दुखों का मनुष्य था और रोगों से परिचित था। उसकी ओर देखने वाला कोई नहीं था, और हमने उसे तुच्छ जाना।”

यशायाह ने आगे बताया कि यह सेवक हमारे पापों के कारण घायल हुआ और हमारे अधर्म के कारण कुचला गया। उसने हमारे शांति के लिए दंड सहा, और उसके कोड़े खाने से हम चंगे हुए। यशायाह ने कहा, “हम सभी भेड़ों की तरह भटक गए थे, हम में से हर एक ने अपना-अपना मार्ग लिया। परन्तु यहोवा ने हमारे सारे अधर्म का भार उसी पर डाल दिया।”

यशायाह ने देखा कि यह सेवक चुपचाप अपना दुख सहेगा। वह उस भेड़ की तरह होगा जो वध के लिए ले जाई जाती है, और जिस तरह मेमना अपने ऊन कतरने वालों के सामने चुप रहता है, वह भी अपना मुंह नहीं खोलेगा। उसने कहा, “वह बंधकर और न्याय के लिए ले जाया गया, परन्तु उसकी पीढ़ी में से किसी ने यह नहीं सोचा कि वह जीवितों के देश से काट दिया गया है। वह मेरे लोगों के अपराध के कारण मारा गया।”

यशायाह ने आगे बताया कि यह सेवक दुष्टों के साथ अपनी कब्र में रखा जाएगा, फिर भी वह धनवान की मृत्यु मरेगा। यह इसलिए क्योंकि उसने किसी प्रकार का अत्याचार नहीं किया, और उसके मुंह से कभी छल की बात नहीं निकली। यशायाह ने कहा, “परमेश्वर की इच्छा थी कि वह उसे कुचले, और उसने उसे दुख दिया। जब वह अपने प्राणों को दोषबलि के रूप में अर्पित करेगा, तो वह अपने वंश को देखेगा और दीर्घायु होगा। परमेश्वर की इच्छा उसके हाथ से सफल होगी।”

यशायाह ने यह भी बताया कि इस सेवक के दुखों के बाद, वह संतुष्ट होगा। उसके ज्ञान से धर्मी सेवक बहुतों को धर्मी ठहराएगा, क्योंकि वह उनके अधर्म का भार उठाएगा। यशायाह ने कहा, “इसलिए मैं उसे महान लोगों में भाग दूंगा, और वह अपने साथ शक्तिशालियों को लूट बांटेगा। क्योंकि उसने अपने प्राणों को मृत्यु तक अर्पित किया, और वह अपराधियों में गिना गया। फिर भी, उसने बहुतों के पापों को उठाया और अपराधियों के लिए निवेदन किया।”

यशायाह का यह दर्शन एक गहरी भविष्यवाणी थी, जो यीशु मसीह के आगमन और उनके द्वारा क्रूस पर दिए गए बलिदान की ओर इशारा करती थी। यह सेवक, जिसे यशायाह ने देखा, वह यीशु थे, जो संसार के पापों को उठाने के लिए आए और हमें परमेश्वर के साथ मेल मिलाप करने का मार्ग दिखाया।

इस प्रकार, यशायाह 53 की कहानी हमें परमेश्वर के प्रेम और उनके सेवक के बलिदान की गहराई को समझाती है। यह हमें याद दिलाती है कि हमारे पापों के लिए एक मूल्य चुकाना पड़ा, और यह मूल्य यीशु मसीह ने अपने जीवन से चुकाया। उनके दुख और बलिदान के माध्यम से, हमें अनंत जीवन और परमेश्वर के साथ एक नया संबंध प्राप्त हुआ है।

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