पवित्र बाइबल

परमेश्वर के साथ सहभागिता और सेवकाई का संदेश

2 कुरिन्थियों 6 की कहानी को एक विस्तृत और जीवंत रूप में प्रस्तुत करते हुए, हम प्रेरित पौलुस के शब्दों को एक कथा के रूप में बुनते हैं। यह कहानी मसीही विश्वासियों को परमेश्वर के साथ सहभागिता और उनकी सेवकाई के महत्व को समझाने के लिए है।

एक बार की बात है, जब प्रेरित पौलुस ने कुरिन्थुस की कलीसिया को एक पत्र लिखा। वह उन्हें याद दिलाना चाहते थे कि परमेश्वर की कृपा उनके जीवन में कैसे काम कर रही है। पौलुस ने लिखा, “हे भाइयों और बहनों, हम तुम्हें यह बताना चाहते हैं कि हम परमेश्वर के सहकर्मी हैं। हम उसकी सेवकाई में लगे हुए हैं, और हम चाहते हैं कि तुम भी इस अनुग्रह को व्यर्थ न जाने दो।”

पौलुस ने आगे लिखा, “देखो, परमेश्वर ने कहा है, ‘मैंने अनुग्रह के समय में तुम्हारी सुनी, और उद्धार के दिन में तुम्हारी सहायता की।’ यह वह समय है जब हमें परमेश्वर की आवाज सुननी चाहिए और उसके साथ चलना चाहिए।”

फिर पौलुस ने अपने अनुभवों को साझा किया। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने परमेश्वर की सेवकाई में कठिनाइयों का सामना किया। “हमने बहुत सी परीक्षाओं में धैर्य दिखाया है,” उन्होंने लिखा। “हम परेशानियों, कष्टों, और संकटों में भी खड़े रहे हैं। हमें मारा गया, बंदी बनाया गया, और लोगों ने हमारे खिलाफ दंगे किए। परन्तु हमने हर परिस्थिति में परमेश्वर पर भरोसा रखा।”

पौलुस ने विस्तार से बताया कि कैसे उन्होंने शुद्धता, ज्ञान, और धैर्य के साथ परमेश्वर की सेवा की। “हमने पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से काम किया है,” उन्होंने लिखा। “हमने सच्चे प्रेम और सच्चाई के शब्दों से लोगों को परमेश्वर के पास लाया है। हमने दाएं और बाएं हाथ में परमेश्वर के हथियारों को धारण किया है—सम्मान और अपमान, बदनामी और प्रशंसा, सब कुछ सहते हुए।”

फिर पौलुस ने कुरिन्थुस के विश्वासियों से एक महत्वपूर्ण प्रश्न पूछा, “हे प्रियों, क्या तुम हमारे हृदय को खोलकर देख सकते हो? हमने तुम्हारे लिए अपने मन को विस्तार दिया है। तुम हमारे हृदय में हो, और हम चाहते हैं कि तुम भी हमारे साथ चलो।”

पौलुस ने उन्हें चेतावनी दी, “अविश्वासियों के साथ असमान जुए में न जुतो। क्योंकि धार्मिकता और अधर्म का क्या संबंध है? या प्रकाश और अंधकार का क्या मेल? मसीह और बेलियाल (शैतान) का क्या सहभागिता है? या विश्वासी और अविश्वासी का क्या संबंध है?”

उन्होंने आगे कहा, “परमेश्वर के मंदिर और मूर्तियों का क्या मेल है? क्योंकि हम जीवते परमेश्वर के मंदिर हैं, जैसा कि परमेश्वर ने कहा है, ‘मैं उनके बीच रहूंगा और उनके बीच चलूंगा; और मैं उनका परमेश्वर ठहरूंगा, और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे।’ इसलिए, हे प्रियों, अविश्वासियों से अलग रहो और अपने आप को शुद्ध करो।”

पौलुस ने अपने पत्र को समाप्त करते हुए कहा, “हम तुम्हें अपने हृदय से चाहते हैं। हमने तुम्हें किसी भी बात से दुखी नहीं किया है, परन्तु हम चाहते हैं कि तुम भी हमारे साथ परमेश्वर के राज्य के लिए काम करो। इसलिए, अपने हृदय को विस्तार दो और परमेश्वर के साथ चलो।”

इस प्रकार, पौलुस का पत्र कुरिन्थुस की कलीसिया को प्रोत्साहित करने और उन्हें परमेश्वर के साथ सहभागिता में बने रहने के लिए प्रेरित करने वाला बन गया। उनके शब्द आज भी हमें याद दिलाते हैं कि हमें परमेश्वर की सेवकाई में विश्वासयोग्य और शुद्ध बने रहना चाहिए।

यह कहानी 2 कुरिन्थियों 6 के संदेश को एक कथा के रूप में प्रस्तुत करती है, जो विश्वासियों को परमेश्वर के साथ चलने और उसकी सेवकाई में सक्रिय रहने के लिए प्रेरित करती है।

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