लैव्यवस्था 13 के आधार पर एक विस्तृत और विवरणात्मक कहानी:
एक समय की बात है, जब इस्राएल के लोग सीनै पर्वत के पास डेरे डाले हुए थे। वे मूसा के नेतृत्व में परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन कर रहे थे। परमेश्वर ने मूसा को विस्तृत नियम और आदेश दिए थे, जिनमें से एक था कोढ़ (कुष्ठ रोग) से संबंधित नियम। यह नियम इस्राएलियों को शुद्ध और अशुद्ध के बीच अंतर समझाने के लिए था, ताकि वे परमेश्वर के सामने पवित्र रह सकें।
एक दिन, एक व्यक्ति जिसका नाम एलीशाफा था, अपनी त्वचा पर एक अजीब सा दाग देखकर चिंतित हो गया। वह दाग सफेद और उभरा हुआ था, और उसकी त्वचा का रंग बदल गया था। एलीशाफा ने सोचा कि शायद यह कोढ़ का लक्षण है। वह डर गया क्योंकि उसे पता था कि कोढ़ एक गंभीर बीमारी है, और यदि यह सच है, तो उसे समुदाय से अलग कर दिया जाएगा।
एलीशाफा ने तुरंत मूसा और हारून के पास जाने का फैसला किया। वह उनके डेरे के पास पहुँचा और उन्हें अपनी त्वचा का दाग दिखाया। मूसा ने उसकी बात ध्यान से सुनी और फिर परमेश्वर के दिए हुए नियमों के अनुसार उसकी जाँच करने लगा। मूसा ने देखा कि दाग सफेद था और उसकी त्वचा का रंग फीका पड़ गया था। यह लक्षण कोढ़ के समान था।
मूसा ने एलीशाफा को सात दिनों के लिए अलग रहने का आदेश दिया। उसे समुदाय से दूर रहना था, ताकि यदि उसकी बीमारी फैलती है, तो दूसरे लोग सुरक्षित रहें। मूसा ने उसे समझाया कि यह परमेश्वर की आज्ञा है, और उसे इसका पालन करना चाहिए। एलीशाफा ने मूसा की बात मानी और सात दिनों तक अकेले रहा।
सात दिन बाद, मूसा ने फिर से एलीशाफा की जाँच की। इस बार, उसने देखा कि दाग फैल गया था और उसकी त्वचा और भी अधिक फीकी पड़ गई थी। मूसा ने निर्णय लिया कि यह कोढ़ है, और एलीशाफा को अशुद्ध घोषित कर दिया। उसे समुदाय से बाहर रहना था, और उसे अपने कपड़े फाड़ने, अपने सिर के बाल मुंडवाने, और अपने मुँह को ढककर चिल्लाना था, “अशुद्ध! अशुद्ध!” यह इसलिए था ताकि लोग उससे दूर रहें और वह उन्हें अशुद्ध न कर दे।
एलीशाफा बहुत दुखी हुआ, लेकिन उसने परमेश्वर की आज्ञा का पालन किया। वह समुदाय से दूर रहा और अपने दिन प्रार्थना और चिंतन में बिताने लगा। उसने परमेश्वर से प्रार्थना की कि वह उसे चंगा करे और उसकी पवित्रता को बहाल करे।
कुछ समय बाद, एलीशाफा ने देखा कि उसकी त्वचा के दाग धीरे-धीरे ठीक हो रहे हैं। उसकी त्वचा का रंग वापस सामान्य हो गया, और दाग गायब हो गए। वह बहुत खुश हुआ और फिर से मूसा के पास गया। मूसा ने उसकी जाँच की और देखा कि उसकी त्वचा पूरी तरह से ठीक हो गई थी। मूसा ने उसे शुद्ध घोषित कर दिया और उसे समुदाय में वापस लौटने की अनुमति दी।
एलीशाफा ने परमेश्वर का धन्यवाद किया और उसकी महिमा की। उसने सीखा कि परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करना कितना महत्वपूर्ण है, और कैसे वह अपने लोगों को पवित्र और शुद्ध रखना चाहता है। इस्राएल के लोगों ने भी इस घटना से सीख ली और परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करने का संकल्प लिया।
यह कहानी हमें सिखाती है कि परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करना और उसकी पवित्रता को महत्व देना कितना आवश्यक है। यह हमें यह भी दिखाती है कि परमेश्वर हमारी प्रार्थनाओं को सुनता है और हमें चंगा कर सकता है, यदि हम उस पर विश्वास रखें और उसकी इच्छा के अनुसार चलें।