एक समय की बात है, एक युवक आशेर नाम का था। वह परमेश्वर के प्रति बहुत ही ईमानदार और विश्वासयोग्य था। वह हर रोज प्रार्थना करता और परमेश्वर की आराधना में लीन रहता। उसका मन शुद्ध था और वह धर्म के मार्ग पर चलने का प्रयास करता था। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, आशेर के मन में संदेह और कठिनाइयाँ उत्पन्न होने लगीं।
एक दिन, जब वह मंदिर में प्रार्थना कर रहा था, उसने अपने आसपास के लोगों को देखा। वे लोग जो परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन नहीं करते थे, वे धनवान और सफल थे। उनके पास सब कुछ था – धन, ऐश्वर्य, और सुख। वे लोग अहंकारी थे और दूसरों का शोषण करते थे, फिर भी उनके जीवन में कोई कमी नहीं थी। उनके चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहती थी और वे बिना किसी चिंता के जीवन जी रहे थे।
आशेर ने अपने जीवन की ओर देखा। वह परमेश्वर के मार्ग पर चलने का प्रयास कर रहा था, फिर भी उसके जीवन में कठिनाइयाँ थीं। वह गरीब था और उसे अपने जीवन में संघर्ष करना पड़ रहा था। उसके मन में प्रश्न उठने लगे – “क्या परमेश्वर वास्तव में न्यायी है? क्यों दुष्ट लोग सुखी हैं और मैं, जो उसके मार्ग पर चलने का प्रयास कर रहा हूँ, इतना दुखी हूँ?”
आशेर का मन व्याकुल हो गया। वह परमेश्वर के प्रति अपने विश्वास को लेकर संदेह में पड़ गया। उसने सोचा, “क्या मैंने व्यर्थ में अपने हृदय को शुद्ध रखा है? क्या मैंने व्यर्थ में परमेश्वर की आराधना की है?” उसका मन दुखी और भ्रमित था। वह समझ नहीं पा रहा था कि क्यों परमेश्वर दुष्टों को सफलता दे रहा है और उसके जैसे धर्मी लोगों को संघर्ष करना पड़ रहा है।
एक दिन, जब आशेर अपने विचारों में खोया हुआ था, वह परमेश्वर के सामने गया और उसने अपने मन की पीड़ा को व्यक्त किया। उसने कहा, “हे परमेश्वर, मैं तेरे मार्ग पर चलने का प्रयास कर रहा हूँ, फिर भी मेरे जीवन में इतनी कठिनाइयाँ हैं। दुष्ट लोग सुखी हैं और उनके जीवन में कोई कमी नहीं है। क्या तू वास्तव में न्यायी है?”
परमेश्वर ने आशेर की प्रार्थना सुनी और उसके हृदय में शांति भर दी। आशेर को एक दृष्टि दिखाई गई, जिसमें उसने देखा कि दुष्टों का अंत कितना भयानक होगा। उसने देखा कि जो लोग अहंकारी हैं और परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन नहीं करते, उनका अचानक पतन होगा। वे एक पल में अपने सारे ऐश्वर्य और सुख को खो देंगे और उनके जीवन का अंत बहुत ही दुखद होगा।
आशेर ने देखा कि परमेश्वर का न्याय सही समय पर होगा। दुष्टों का सुख अस्थायी है, लेकिन परमेश्वर के साथ चलने वालों का आशीर्वाद स्थायी है। उसने महसूस किया कि परमेश्वर हमेशा उसके साथ है और उसके जीवन की हर कठिनाई में उसकी सहायता करेगा।
आशेर का हृदय शांति से भर गया। उसने परमेश्वर की स्तुति की और कहा, “हे परमेश्वर, तू ही मेरा सहारा है। तेरे बिना मेरा जीवन व्यर्थ है। तू मेरी शक्ति और मेरा आश्रय है। मैं तेरे मार्ग पर चलता रहूँगा और तेरे प्रेम में सदैव बना रहूँगा।”
आशेर ने समझ लिया कि परमेश्वर का मार्ग सही है और उसके न्याय में कोई त्रुटि नहीं है। उसने अपने जीवन में फिर से विश्वास और आशा को जगाया और परमेश्वर के साथ चलने का निर्णय लिया। उसने जान लिया कि परमेश्वर का प्रेम और आशीर्वाद उसके जीवन में सदैव बना रहेगा, चाहे उसके सामने कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न हों।
और इस तरह, आशेर ने परमेश्वर के प्रति अपने विश्वास को मजबूत किया और उसके मार्ग पर दृढ़ता से चलता रहा। उसने जान लिया कि परमेश्वर का न्याय सही समय पर होगा और उसके प्रेम में सदैव सुरक्षित रहेंगे।