पवित्र बाइबल

परमेश्वर की वाचा और चमत्कारी कहानी

भजन संहिता 105 एक ऐसा भजन है जो परमेश्वर के प्रेम, उसकी वाचा, और उसके चमत्कारी कार्यों को याद करता है। यह भजन इस्राएल के इतिहास को याद करता है और परमेश्वर की विश्वासयोग्यता को दर्शाता है। आइए, हम इस भजन को एक विस्तृत कहानी के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जो हमें परमेश्वर की महिमा और उसकी योजनाओं के बारे में गहराई से सोचने के लिए प्रेरित करे।

### **परमेश्वर की वाचा और उसके चमत्कार**

प्राचीन काल में, जब धरती पर मनुष्यों का बसना शुरू हुआ था, परमेश्वर ने एक विशेष लोगों को चुना। वे अब्राहम के वंशज थे, जिनसे परमेश्वर ने एक वाचा बाँधी थी। यह वाचा केवल एक वादा नहीं था, बल्कि एक पवित्र समझौता था, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलता रहा। परमेश्वर ने अब्राहम से कहा था, “मैं तुझे एक महान जाति बनाऊँगा, और तेरे वंश को आशीष दूँगा। तेरे द्वारा पृथ्वी के सारे कुल धन्य होंगे।”

अब्राहम ने परमेश्वर पर विश्वास किया, और उसकी आज्ञा का पालन किया। वह अपने परिवार के साथ एक नई भूमि की ओर चल पड़ा, जिसे परमेश्वर ने उसे दिखाया था। यह भूमि दूध और मधु से भरी हुई थी, और यह उसके वंशजों के लिए एक विरासत थी। परमेश्वर ने अब्राहम से कहा, “मैं तेरे वंश को यह भूमि दूँगा, और वे इसे हमेशा के लिए अपना धरोहर समझेंगे।”

समय बीतता गया, और अब्राहम के पोते याकूब के बारह पुत्र हुए। ये बारह पुत्र इस्राएल के बारह गोत्रों के पिता बने। परमेश्वर ने उन्हें आशीष दी, और उनकी संख्या बढ़ती गई। लेकिन एक समय ऐसा आया जब उन्हें मिस्र देश में जाना पड़ा। यूसुफ, याकूब का पुत्र, जो अपने भाइयों द्वारा बेच दिया गया था, वहाँ एक महान अधिकारी बन गया। परमेश्वर ने यूसुफ के माध्यम से अपने लोगों को बचाया, क्योंकि मिस्र में एक भयंकर अकाल पड़ा था। यूसुफ ने अपने परिवार को मिस्र में बुलाया, और वे वहाँ सुरक्षित रहने लगे।

लेकिन समय के साथ, मिस्र के राजा ने इस्राएलियों को दास बना लिया। वे कठोर श्रम में लगे रहते थे, और उनकी पुकार परमेश्वर तक पहुँची। परमेश्वर ने उनकी पीड़ा सुनी, और उन्हें बचाने के लिए मूसा को चुना। मूसा को परमेश्वर ने एक जलती हुई झाड़ी में दर्शन दिया, और उसे आज्ञा दी कि वह फिरौन के पास जाए और इस्राएलियों को आजाद करवाए।

मूसा ने परमेश्वर की आज्ञा का पालन किया, और उसने फिरौन के सामने परमेश्वर का संदेश सुनाया। लेकिन फिरौन का हृदय कठोर था, और उसने इस्राएलियों को जाने नहीं दिया। तब परमेश्वर ने मिस्र पर दस भयंकर विपत्तियाँ भेजीं। नील नदी का पानी खून में बदल गया, मेंढकों ने पूरे देश को भर दिया, मच्छरों और मक्खियों का आक्रमण हुआ, पशुओं की मृत्यु हुई, फोड़े और फुंसियों ने लोगों को घेर लिया, ओले गिरे, टिड्डियों ने फसलों को नष्ट कर दिया, और अंधेरा छा गया। लेकिन फिरौन का हृदय नहीं पिघला।

अंत में, परमेश्वर ने सबसे भयंकर विपत्ति भेजी। उसने कहा कि हर पहलौठे की मृत्यु होगी, चाहे वह मनुष्य हो या पशु। लेकिन इस्राएलियों को उसने बचाने का एक तरीका बताया। उन्हें एक मेमने का बलिदान करना था, और उसके खून को अपने दरवाजों के चौखट पर लगाना था। जब विनाशक दूत मिस्र से गुजरा, तो उसने उन घरों को छोड़ दिया जहाँ खून का निशान था। इस रात को “फसह” कहा गया, क्योंकि परमेश्वर ने उन्हें छोड़ दिया था।

इस भयंकर विपत्ति के बाद, फिरौन ने इस्राएलियों को जाने दिया। वे अपने सामान और पशुओं के साथ मिस्र से निकल पड़े। परमेश्वर ने उन्हें दिन में बादल के खंभे और रात में आग के खंभे के रूप में मार्गदर्शन दिया। वे लाल सागर के किनारे पहुँचे, और तब फिरौन ने अपना मन बदल लिया। उसने अपनी सेना को उनका पीछा करने के लिए भेजा।

जब इस्राएली लाल सागर के किनारे खड़े थे, तो उन्हें लगा कि वे फँस गए हैं। लेकिन परमेश्वर ने मूसा से कहा, “अपनी लाठी उठा और समुद्र पर हाथ बढ़ा।” मूसा ने ऐसा ही किया, और परमेश्वर ने एक तेज़ पूर्वी हवा चलाई, जिसने समुद्र के पानी को दो भागों में विभाजित कर दिया। इस्राएली समुद्र के बीच से सूखी जमीन पर चलते हुए पार हो गए। लेकिन जब मिस्र की सेना उनका पीछा करते हुए समुद्र में प्रवेश करने लगी, तो परमेश्वर ने पानी को वापस बहा दिया, और सारी सेना डूब गई।

इस्राएली स्वतंत्र हो गए, और उन्होंने परमेश्वर की स्तुति की। वे जंगल में चलते रहे, और परमेश्वर ने उनकी हर आवश्यकता को पूरा किया। उसने उन्हें मन्ना खाने के लिए दिया, और चट्टान से पानी निकाला। उसने उन्हें शत्रुओं से बचाया, और उन्हें विजय दिलाई।

भजन संहिता 105 हमें याद दिलाता है कि परमेश्वर अपनी वाचा के प्रति विश्वासयोग्य है। उसने अब्राहम, इसहाक, और याकूब से जो वादा किया था, वह उसने पूरा किया। उसने अपने लोगों को दासत्व से मुक्त किया, और उन्हें एक नई भूमि की ओर ले गया। परमेश्वर के चमत्कार और उसकी दया हमेशा याद रखने योग्य हैं।

यह कहानी हमें सिखाती है कि परमेश्वर हमेशा अपने वचन के प्रति सच्चा है। चाहे हम कितनी भी कठिन परिस्थितियों में हों, परमेश्वर हमें नहीं छोड़ता। वह हमारी पुकार सुनता है, और हमें बचाने के लिए चमत्कार करता है। हमें उसकी स्तुति करनी चाहिए, और उसके प्रेम और विश्वासयोग्यता को याद रखना चाहिए।

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