पवित्र बाइबल

बाबुल की बंधुआई से यरूशलेम की वापसी

यह कहानी उस समय की है जब बाबुल की बंधुआई में इज़राइल के लोग दूर देश में बस गए थे। उनके हृदय में यरूशलेम की यादें ताज़ा थीं, और उनकी आत्मा विरह की पीड़ा से भरी हुई थी। बाबुल की नदियों के किनारे वे बैठे रहते थे, और सिय्योन की याद में उनकी आँखों से आँसू बहते थे। उनके मन में एक ही प्रश्न गूँजता था: “हम पराए देश में यहाँ कैसे गीत गाएँ? हमारे हृदय में तो सिर्फ़ यरूशलेम की धुन बजती है।”

एक दिन, बाबुल के लोग उनके पास आए और कहने लगे, “सुनाओ हमें तुम्हारे परमेश्वर के गीत! वे गीत जो तुम अपने मंदिर में गाया करते थे।” यह सुनकर इज़राइल के लोगों का हृदय टूट गया। उन्होंने जवाब दिया, “हम यहाँ पराए देश में बैठे हैं। हमारे हाथों में वीणा है, लेकिन हमारे होंठों पर गीत नहीं। हम कैसे यहोवा के गीत गाएँ, जब हमारा मन सिय्योन की याद में डूबा हुआ है?”

उन्होंने अपनी वीणाओं को विलो के पेड़ों पर टाँग दिया और कहा, “अगर हम तुम्हें अपने परमेश्वर के गीत सुनाएँगे, तो यह हमारे लिए एक बड़ा पाप होगा। हमारी आत्मा यरूशलेम से बँधी हुई है। हम उसकी याद में रोएँगे, लेकिन उसके गीत यहाँ नहीं गाएँगे।”

बाबुल के लोग उनकी बात सुनकर हैरान रह गए। उन्होंने कहा, “तुम्हारा परमेश्वर कहाँ है? क्या वह तुम्हें इस दुःख से नहीं बचा सकता?” इज़राइल के लोगों ने उत्तर दिया, “हमारा परमेश्वर सिय्योन में विराजमान है। वह हमारे साथ है, भले ही हम यहाँ बंधुआई में हैं। उसकी याद हमें जीवित रखती है।”

फिर उन्होंने एक दूसरे से कहा, “अगर हम यरूशलेम को भूल जाएँ, तो हमारा दाहिना हाथ सूख जाए। अगर हम उसकी याद न करें, तो हमारी जीभ हमारे तालु से चिपक जाए।” उनके हृदय में यरूशलेम के लिए इतना प्रेम था कि वे उसे कभी नहीं भूल सकते थे।

कुछ समय बाद, बाबुल के राजा ने इज़राइल के लोगों को बुलाया और कहा, “तुम्हारे परमेश्वर के बारे में सुना है। क्या वह सचमुच इतना महान है?” इज़राइल के लोगों ने उत्तर दिया, “हमारा परमेश्वर सृष्टिकर्ता है। उसने आकाश और पृथ्वी को बनाया है। वह हमारा रक्षक और मार्गदर्शक है।” राजा ने कहा, “तो फिर वह तुम्हें यहाँ क्यों लाया है?” उन्होंने जवाब दिया, “यह हमारे पापों का दंड है। लेकिन हम जानते हैं कि वह हमें वापस ले जाएगा।”

राजा ने उनकी बात सुनकर कहा, “तुम्हारा विश्वास अद्भुत है। मैं चाहता हूँ कि तुम अपने परमेश्वर के गीत सुनाओ।” लेकिन इज़राइल के लोगों ने फिर से मना कर दिया। उन्होंने कहा, “हमारे गीत सिर्फ़ यहोवा के लिए हैं। हम उन्हें यहाँ नहीं गा सकते।”

राजा ने उनकी दृढ़ता देखकर कहा, “तुम्हारा विश्वास सचमुच मजबूत है। मैं तुम्हें स्वतंत्र करता हूँ। तुम अपने देश वापस जा सकते हो।” यह सुनकर इज़राइल के लोगों की आँखों में खुशी के आँसू आ गए। उन्होंने यहोवा का धन्यवाद किया और यरूशलेम की ओर चल पड़े।

जब वे यरूशलेम पहुँचे, तो उन्होंने मंदिर में जाकर यहोवा की स्तुति की। उन्होंने गीत गाए और नृत्य किया। उनके हृदय में खुशी और कृतज्ञता भर गई। उन्होंने कहा, “यहोवा महान है! उसने हमें बंधुआई से छुड़ाया और हमें हमारे घर वापस लाया।”

इस तरह, इज़राइल के लोगों ने अपने विश्वास और धैर्य से यहोवा की महिमा को प्रकट किया। उनकी कहानी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बन गई, और उनके गीत यहोवा की स्तुति में सदैव गूँजते रहे।

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