एस्तेर 8 की कहानी हमें बताती है कि कैसे परमेश्वर ने अपने लोगों को बचाने के लिए एस्तेर और मोर्दकै के माध्यम से काम किया। यह कहानी बड़ी ही रोमांचक और प्रेरणादायक है, जो हमें परमेश्वर की सर्वशक्तिमानता और उसकी योजनाओं के बारे में सिखाती है।
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**एस्तेर 8: राजा का नया फरमान**
जब हामान का अंत हो गया और उसकी दुष्ट योजनाएँ विफल हो गईं, तब भी यहूदियों के लिए खतरा बना हुआ था। हामान ने राजा अहश्वेरोश के नाम पर एक फरमान जारी किया था, जिसमें सभी यहूदियों को मार डालने का आदेश दिया गया था। यह फरमान राजा की मुहर से मंजूर हो चुका था, और फारसी साम्राज्य के नियम के अनुसार, इसे रद्द नहीं किया जा सकता था। यहूदियों के लिए यह एक बड़ा संकट था, क्योंकि उनका विनाश निश्चित प्रतीत हो रहा था।
एस्तेर, जो अब रानी थी और यहूदी थी, ने इस संकट को समझा। वह जानती थी कि केवल परमेश्वर ही उन्हें बचा सकता है। उसने फिर से राजा के सामने जाने का निर्णय लिया, भले ही इसके लिए उसे अपनी जान जोखिम में डालनी पड़े। वह राजा के सिंहासन के सामने गई और उसके पैरों पर गिरकर रोने लगी। उसने राजा से विनती की, “हे राजा, यदि आपको मेरी प्रसन्नता है और यदि आप मेरी विनती स्वीकार करें, तो कृपया हामान के फरमान को रद्द कर दें, जो उसने यहूदियों के विनाश के लिए लिखा था।”
राजा अहश्वेरोश ने एस्तेर की ओर देखा। उसके आँसू और विनती ने उसके हृदय को छू लिया। उसने एस्तेर को उठाया और कहा, “हे एस्तेर, तुम्हारी इच्छा क्या है? मैं तुम्हारी हर बात मानने को तैयार हूँ। तुम चाहो तो मेरे आधे राज्य की माँग कर सकती हो।”
एस्तेर ने राजा से कहा, “हे राजा, यदि आपको मेरी प्रसन्नता है, तो कृपया यहूदियों को बचाने के लिए एक नया फरमान जारी करें। हामान के फरमान को रद्द नहीं किया जा सकता, लेकिन आप एक नया फरमान लिख सकते हैं, जो यहूदियों को अपने बचाव का अधिकार दे।”
राजा ने एस्तेर की बात मान ली। उसने तुरंत अपने मंत्रियों को बुलाया और मोर्दकै को बुलवाया, जो अब राजा के विश्वासपात्र बन चुके थे। राजा ने मोर्दकै से कहा, “तुम एस्तेर के लोगों के बारे में जानते हो। तुम्हारे हाथ से एक नया फरमान लिखवाओ, जो यहूदियों को बचाने के लिए हो।”
मोर्दकै ने तुरंत कार्यवाही की। उसने राजा के लेखकों को बुलाया और एक नया फरमान लिखवाया। इस फरमान में यहूदियों को यह अधिकार दिया गया कि वे अपने शत्रुओं के विरुद्ध खड़े हो सकें और उन्हें मार सकें। यह फरमान राजा की मुहर से मंजूर हुआ और पूरे साम्राज्य में भेजा गया। यह फरमान हर प्रांत में, हर भाषा में लिखा गया, ताकि सभी लोग इसे समझ सकें।
जब यह फरमान पूरे साम्राज्य में पहुँचा, तो यहूदियों के हृदय में आनंद और उत्साह भर गया। उन्हें लगा कि परमेश्वर ने उनकी प्रार्थनाएँ सुन ली हैं और उन्हें बचाने के लिए हस्तक्षेप किया है। वे जानते थे कि यह परमेश्वर की कृपा थी, जिसने उन्हें इस संकट से बचाया।
मोर्दकै ने राजा के वस्त्र पहने और सोने का मुकुट धारण किया। वह शहर में घूमता रहा, और लोग उसकी प्रशंसा करते थे। यहूदियों के लिए यह एक बड़ा दिन था, क्योंकि उन्हें न केवल बचाया गया था, बल्कि उन्हें सम्मान भी मिला था।
इस प्रकार, परमेश्वर ने अपने लोगों को बचाया और उन्हें विजय दिलाई। यह कहानी हमें सिखाती है कि परमेश्वर हमेशा अपने लोगों के साथ रहता है और उनकी रक्षा करता है। चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों, परमेश्वर की योजनाएँ हमेशा सर्वोत्तम होती हैं।
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यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि हमें परमेश्वर पर भरोसा रखना चाहिए और उसकी इच्छा के अनुसार कार्य करना चाहिए। एस्तेर और मोर्दकै ने अपने विश्वास और साहस के माध्यम से परमेश्वर की महिमा को प्रकट किया, और हम भी उनके जैसे बन सकते हैं, यदि हम परमेश्वर पर भरोसा रखें और उसकी आज्ञाओं का पालन करें।