पवित्र बाइबल

दाऊद की विजय: परमेश्वर की शक्ति पर भरोसा

एक बार की बात है, जब इस्राएल के राजा दाऊद एक बड़े संकट में थे। उनके दुश्मनों ने उनके खिलाफ एक विशाल सेना इकट्ठी कर ली थी, और वे युद्ध के लिए तैयार थे। दाऊद जानते थे कि उनकी अपनी ताकत और बुद्धि इस संकट को हल करने के लिए पर्याप्त नहीं होगी। उन्हें परमेश्वर की सहायता की आवश्यकता थी। इसलिए, उन्होंने अपने हृदय से प्रार्थना की, और उनके साथी भी उनके साथ खड़े होकर परमेश्वर से मदद मांगने लगे।

दाऊद ने अपने मन में भजन संहिता 20 को गाया, और उनके शब्दों में विश्वास और आशा की गहरी भावना थी। उन्होंने कहा, “हे परमेश्वर, संकट के दिन में तू हमारी सुन ले! याकूब के परमेश्वर का नाम हमें सुरक्षा प्रदान करे। तू हमारी सहायता करने के लिए पवित्रस्थान से हमारी ओर देख, और सिय्योन से हमें सहारा दे। हमारे सारे अन्नबलि और होमबलि को तू याद रख, और हमारे हृदय की इच्छाओं को पूरा कर। हमारे मन के सारे विचारों को तू पूरा कर, क्योंकि हम तेरे नाम पर भरोसा करते हैं।”

दाऊद के शब्दों में एक गहरी आस्था थी, और उनके साथी भी उनकी प्रार्थना में शामिल हो गए। वे सभी जानते थे कि परमेश्वर ही उनकी सच्ची शक्ति और सुरक्षा है। उन्होंने परमेश्वर से प्रार्थना की कि वह उनके राजा को बचाए और उनकी प्रार्थनाओं को सुने। उन्होंने कहा, “हे परमेश्वर, हम अपने राजा को तेरे नाम पर भरोसा करते हैं। तू उसे बचा ले, और उसकी प्रार्थनाओं को सुन ले।”

दाऊद और उनके साथियों की प्रार्थना सुनकर, परमेश्वर ने उन पर अपनी कृपा दृष्टि डाली। उन्होंने दाऊद को आश्वासन दिया कि वह उनके साथ है और उन्हें विजय दिलाएगा। परमेश्वर ने कहा, “मैं तुम्हारे राजा को बचाऊंगा, और उसकी प्रार्थनाओं को सुनूंगा। मैं उसे अपने पवित्र आकाश से सहायता दूंगा, और सिय्योन की शक्ति से उसे बचाऊंगा।”

दाऊद ने परमेश्वर के वचनों पर पूरा भरोसा किया, और उन्होंने अपनी सेना को युद्ध के लिए तैयार किया। उन्होंने अपने सैनिकों को बताया कि परमेश्वर उनके साथ है, और वे निश्चित रूप से विजयी होंगे। उन्होंने कहा, “कुछ लोग रथों पर भरोसा करते हैं, और कुछ घोड़ों पर, पर हम तो अपने परमेश्वर के नाम पर भरोसा करते हैं। वे झुककर गिर जाएंगे, पर हम खड़े रहेंगे और स्थिर बने रहेंगे।”

युद्ध के मैदान में, दाऊद और उनकी सेना ने परमेश्वर के नाम पर लड़ाई लड़ी। उनके दुश्मनों के पास बड़ी संख्या में सैनिक और शक्तिशाली हथियार थे, लेकिन दाऊद और उनके लोगों के पास परमेश्वर की शक्ति थी। परमेश्वर ने उनकी सहायता की, और उन्होंने अपने दुश्मनों को हरा दिया। दाऊद की सेना ने विजय प्राप्त की, और उनके दुश्मन भाग खड़े हुए।

युद्ध के बाद, दाऊद और उनके साथियों ने परमेश्वर का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा, “हे परमेश्वर, तूने हमें बचा लिया है! तू हमारे राजा को विजय दिलाई है! हम तेरे नाम का जयजयकार करते हैं, और तेरी महिमा का गुणगान करते हैं। तूने हमारी प्रार्थनाओं को सुना है, और हमें बचा लिया है।”

दाऊद ने अपने हृदय में परमेश्वर के प्रति कृतज्ञता महसूस की। उन्होंने जान लिया कि परमेश्वर ही उनकी सच्ची शक्ति और सुरक्षा है। उन्होंने अपने लोगों को भी यही सिखाया कि वे हमेशा परमेश्वर पर भरोसा रखें, और उनकी प्रार्थनाओं में विश्वास रखें।

इस तरह, दाऊद और उनके लोगों ने परमेश्वर की कृपा और सहायता से विजय प्राप्त की, और उन्होंने परमेश्वर के नाम का गुणगान किया। उन्होंने जान लिया कि परमेश्वर ही उनकी सच्ची शक्ति है, और वे हमेशा उन पर भरोसा करेंगे।

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