यिर्मयाह 9 की कहानी हमें एक ऐसे समय में ले जाती है जब यहूदा के लोगों ने परमेश्वर की आज्ञाओं को तोड़ दिया था और उनके हृदयों में पाप और अविश्वास का बोलबाला था। यिर्मयाह, परमेश्वर के भविष्यद्वक्ता, इस समय में खड़े होकर लोगों को उनके पापों के लिए चेतावनी दे रहे थे। उनकी आवाज़ में दर्द और करुणा थी, क्योंकि वे जानते थे कि यदि लोगों ने मन नहीं फिराया, तो उन पर भयानक न्याय आएगा।
यिर्मयाह ने कहा, “काश मेरा सिर पानी का सोता होता, और मेरी आँखें आँसुओं की धारा बन जातीं! तब मैं रात-दिन अपने लोगों के विनाश के लिए रोता, जो घायल हो गए हैं।” यिर्मयाह का हृदय टूट गया था, क्योंकि वे देख रहे थे कि उनके लोगों ने परमेश्वर को छोड़ दिया था और झूठ और धोखे में जी रहे थे। उन्होंने कहा, “वे अपने जीभ को धनुष बना लेते हैं, और सच्चाई के बजाय झूठ को बाण बनाते हैं। वे पृथ्वी पर बलवा फैलाते हैं, और एक बुराई से दूसरी बुराई की ओर बढ़ते हैं। मुझे नहीं पता कि वे मुझे कैसे जानते हैं, यह परमेश्वर की वाणी है।”
यिर्मयाह ने लोगों को चेतावनी दी कि परमेश्वर उनके पापों को बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने कहा, “इसलिए परमेश्वर यहोवा यह कहता है: देखो, मैं उन्हें पिघलाऊंगा और उनकी परीक्षा लूंगा, क्योंकि मेरी बेटी के लोगों के कारण मैं और क्या कर सकता हूँ? उनकी जीभ एक घातक तीर है, वे धोखे से बोलते हैं। एक दूसरे के साथ शांति से बात करते हैं, लेकिन उनके मन में बुराई छिपी होती है। क्या मैं उन्हें दंड नहीं दूंगा? परमेश्वर यहोवा कहता है, क्या मैं ऐसे राष्ट्र से बदला नहीं लूंगा?”
यिर्मयाह ने लोगों से कहा कि वे अपने कर्मों पर विचार करें और मन फिराएं। उन्होंने कहा, “इस प्रकार परमेश्वर यहोवा कहता है: बुद्धिमान अपनी बुद्धि पर घमंड न करे, बलवान अपनी शक्ति पर घमंड न करे, और धनी अपने धन पर घमंड न करे। परन्तु जो घमंड करे, वह इस बात पर घमंड करे कि वह मुझे जानता है और समझता है कि मैं वही यहोवा हूँ जो पृथ्वी पर करुणा, न्याय और धर्म करता हूँ। क्योंकि मैं इन्हीं बातों से प्रसन्न होता हूँ।”
यिर्मयाह ने यह भी भविष्यवाणी की कि यदि लोगों ने मन नहीं फिराया, तो उन पर भयानक विपत्ति आएगी। उन्होंने कहा, “देखो, दिन आ रहे हैं जब मैं यरूशलेम और यहूदा के सभी नगरों को दंड दूंगा। मैं उन सभी को नष्ट कर दूंगा जिन्होंने मेरी आज्ञाओं को तोड़ा है और मेरी वाणी को नहीं सुना है। उनके घरों में शोक और विलाप होगा, और उनके खेतों में जंगली जानवर रहेंगे।”
यिर्मयाह की वाणी में दर्द और करुणा थी, क्योंकि वे जानते थे कि परमेश्वर का न्याय निकट है। उन्होंने लोगों से कहा, “इसलिए तुम सब जो बुद्धिमान हो, मेरी बात सुनो। मेरी वाणी पर ध्यान दो। परमेश्वर यहोवा कहता है, मन फिराओ और अपने पापों से दूर हो जाओ। क्योंकि मेरा क्रोध तुम पर भड़क उठेगा, और तुम्हें नष्ट कर दिया जाएगा।”
यिर्मयाह की कहानी हमें यह सिखाती है कि परमेश्वर की आज्ञाओं को मानना और उसके प्रति वफादार रहना कितना महत्वपूर्ण है। यदि हम उसकी वाणी को नहीं सुनते और उसके मार्ग पर नहीं चलते, तो हमारे जीवन में विपत्ति और विनाश आ सकता है। परन्तु यदि हम मन फिराते हैं और उसकी करुणा और न्याय को समझते हैं, तो हम उसकी कृपा और आशीष के भागी बन सकते हैं।