पवित्र बाइबल

परमेश्वर का न्याय: आमोस की चेतावनी और इस्राएल का पतन

एक समय की बात है, जब इस्राएल के लोग परमेश्वर की आज्ञाओं को भूल चुके थे और उनके हृदय अहंकार और पाप से भर गए थे। उस समय, परमेश्वर ने एक चरवाहे, आमोस को बुलाया और उसे इस्राएल के लोगों के पास भेजा। आमोस तेकोआ के पहाड़ी क्षेत्र का एक साधारण चरवाहा था, जो भेड़-बकरियों की देखभाल करता था। परमेश्वर ने उसके हृदय में अपना वचन डाला और उसे इस्राएल के लोगों को चेतावनी देने के लिए भेजा।

आमोस ने परमेश्वर के वचन को सुना और उसके आदेश का पालन करते हुए इस्राएल के शहरों और गाँवों में जाने लगा। वह बेथेल और शोमरोन जैसे बड़े शहरों में गया, जहाँ लोग धन और ऐश्वर्य में डूबे हुए थे। उन्होंने परमेश्वर की आराधना को छोड़कर मूर्तियों की पूजा शुरू कर दी थी। वे गरीबों और कमजोरों का शोषण करते थे और न्याय को ताक पर रख चुके थे। आमोस ने देखा कि उनके हृदय कठोर हो चुके हैं और उनकी आँखें सत्य से मुंह मोड़ चुकी हैं।

एक दिन, आमोस ने इस्राएल के लोगों को इकट्ठा किया और परमेश्वर का संदेश सुनाने लगा। उसने कहा, “हे इस्राएल के लोगो, सुनो! परमेश्वर यह कहता है कि क्या दो व्यक्ति बिना मिले हुए साथ चल सकते हैं? क्या शेर जंगल में दहाड़ेगा, जब तक कि उसने शिकार न पकड़ा हो? क्या पक्षी जाल में फंसेगा, जब तक कि जाल में कुछ डाला न गया हो? जब तूफान शहर में आता है, तो क्या लोग डरते नहीं? हे इस्राएल, परमेश्वर ने तुम्हें चुना है, इसलिए तुम्हारे पापों के कारण वह तुम्हें दंड देगा।”

आमोस की आवाज़ गंभीर और दृढ़ थी। उसने लोगों को समझाया कि परमेश्वर ने उन्हें अन्यजातियों से अलग करके अपने लोग बनाया था, लेकिन उन्होंने उसकी आज्ञाओं को तोड़ दिया था। उसने कहा, “तुमने धन और सुख के पीछे भागकर परमेश्वर को भुला दिया है। तुमने गरीबों का शोषण किया है और न्याय को मुंह मोड़ लिया है। परमेश्वर तुम्हारे पापों को सहन नहीं करेगा। वह तुम्हें दंड देगा, क्योंकि वह न्यायी है।”

लोग आमोस की बातों को सुनकर क्रोधित हो गए। उन्होंने उस पर हंसा और उसे धमकाया। उन्होंने कहा, “तू कौन होता है हमें सिखाने वाला? तू तो केवल एक चरवाहा है। हमारे पास बड़े-बड़े मंदिर हैं और हमारे पुरोहित हैं। तू हमें डराने के लिए परमेश्वर का नाम ले रहा है।” लेकिन आमोस ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया। वह जानता था कि परमेश्वर ने उसे यह संदेश दिया है और उसे पूरा करना है।

आमोस ने फिर कहा, “हे इस्राएल, तुम्हारे पापों के कारण परमेश्वर तुम्हारे शहरों को नष्ट कर देगा। तुम्हारे महल और मंदिर ध्वस्त हो जाएंगे। तुम्हारे शत्रु तुम पर हमला करेंगे और तुम्हें बंधक बना लेंगे। तुम्हारी संपत्ति और धन सब कुछ लूट लिया जाएगा। परमेश्वर ने तुम्हें चेतावनी दी है, लेकिन तुमने उसकी बात नहीं सुनी। अब तुम्हारे लिए दंड का समय आ गया है।”

आमोस के शब्दों में इतनी शक्ति थी कि कुछ लोग डर गए। उन्होंने सोचा कि शायद यह सच है कि परमेश्वर उनसे नाराज है। लेकिन अधिकांश लोगों ने उसकी बातों को नज़रअंदाज कर दिया। वे अपने पापों में डूबे रहे और परमेश्वर की चेतावनी को अनसुना कर दिया।

कुछ समय बाद, परमेश्वर ने अपना न्याय इस्राएल पर लाया। अश्शूरियों ने इस्राएल पर हमला किया और उनके शहरों को नष्ट कर दिया। लोगों को बंधक बना लिया गया और उनकी संपत्ति लूट ली गई। जो लोग आमोस की बातों पर विश्वास नहीं करते थे, वे अब पछता रहे थे। उन्हें एहसास हुआ कि परमेश्वर ने उन्हें चेतावनी दी थी, लेकिन उन्होंने उसकी बात नहीं सुनी।

आमोस की कहानी हमें सिखाती है कि परमेश्वर न्यायी है और वह हमारे पापों को अनदेखा नहीं करता। वह हमें चेतावनी देता है और हमें सही रास्ते पर लौटने का मौका देता है। लेकिन अगर हम उसकी बात नहीं सुनते, तो हमें उसके न्याय का सामना करना पड़ता है। आमोस के माध्यम से परमेश्वर ने हमें यह संदेश दिया है कि हमें उसकी आज्ञाओं का पालन करना चाहिए और न्याय और दया के मार्ग पर चलना चाहिए।

LEAVE A RESPONSE

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *