पवित्र बाइबल

जकर्याह का दर्शन: पापों से मुक्ति और नया जीवन

यह कहानी जकर्याह नबी के समय की है, जब परमेश्वर ने उसे एक दर्शन दिखाया। यह दर्शन यरूशलेम के मंदिर के पुनर्निर्माण के समय का है, जब यहूदी लोग बाबुल की गुलामी से वापस लौटे थे और अपने शहर और मंदिर को फिर से बनाने का प्रयास कर रहे थे। यह समय परमेश्वर की कृपा और उसकी योजना को समझने का था, और जकर्याह को यह दर्शन इसी संदर्भ में दिया गया था।

जकर्याह ने देखा कि वह एक बड़े और विशाल प्रांगण में खड़ा है। यह प्रांगण स्वर्गीय लग रहा था, जहाँ चारों ओर दिव्य प्रकाश फैला हुआ था। वहाँ परमेश्वर के दूतों की उपस्थिति महसूस हो रही थी। तभी उसकी नज़र एक व्यक्ति पर पड़ी, जो यहोशू नामक महायाजक था। यहोशू मंदिर के सेवकों का प्रमुख था और परमेश्वर के सामने उसका प्रतिनिधित्व करता था। लेकिन उस समय यहोशू की स्थिति बहुत ही दयनीय थी। वह गंदे और फटे हुए वस्त्र पहने हुए था, जो उसके पापों और अपराधों का प्रतीक थे। उसके चेहरे पर शर्म और पश्चाताप की भावना साफ़ झलक रही थी।

तभी जकर्याह ने देखा कि शैतान यहोशू के सामने खड़ा हो गया। शैतान का रूप भयानक और डरावना था। उसकी आँखें आग की तरह जल रही थीं, और उसके चेहरे पर एक घृणित मुस्कान थी। शैतान यहोशू पर आरोप लगा रहा था, उसे उसके पापों के लिए दोषी ठहरा रहा था। वह चिल्ला-चिल्ला कर कह रहा था, “यह व्यक्ति पापी है! यह परमेश्वर के सामने खड़ा होने के योग्य नहीं है! इसे दंड दिया जाना चाहिए!”

यहोशू चुपचाप खड़ा था, उसके पास कोई जवाब नहीं था। वह जानता था कि शैतान के आरोप सही थे। उसने पाप किया था, और वह परमेश्वर के सामने अपराधी था। लेकिन तभी एक और आवाज़ सुनाई दी। यह आवाज़ कोमल और दयालु थी, लेकिन उसमें अधिकार और शक्ति भी थी। यह परमेश्वर के दूत की आवाज़ थी, जो यहोशू का बचाव करने के लिए आया था।

परमेश्वर के दूत ने शैतान से कहा, “हे शैतान, परमेश्वर तुझे डाँटे! यहोशू परमेश्वर का चुना हुआ है। क्या तू उसे दोषी ठहराने की कोशिश कर रहा है? क्या तू नहीं जानता कि यह एक जलते हुए लट्ठे को आग से निकाला गया है?”

यह सुनकर शैतान चुप हो गया। उसके पास कोई जवाब नहीं था। परमेश्वर के दूत ने फिर यहोशू से कहा, “तू अपने गंदे वस्त्र उतार दे। मैं तेरे पापों को दूर करता हूँ और तुझे नए वस्त्र पहनाता हूँ।”

यहोशू ने अपने गंदे वस्त्र उतार दिए, और परमेश्वर के दूत ने उसे सफेद और चमकदार वस्त्र पहनाए। ये वस्त्र पवित्रता और धार्मिकता का प्रतीक थे। यहोशू के चेहरे पर एक नई चमक आ गई, और उसकी आँखों में आशा और आनंद झलकने लगा।

तब परमेश्वर के दूत ने यहोशू से कहा, “यदि तू मेरे मार्गों पर चलेगा और मेरी आज्ञाओं का पालन करेगा, तो तू मेरे लोगों का नेतृत्व करेगा और मेरे मंदिर की देखभाल करेगा। मैं तुझे अपने दूतों के बीच स्थान दूँगा।”

यहोशू ने परमेश्वर के दूत के सामने सिर झुकाया और उसकी आज्ञा मानने का वचन दिया। उसे पता था कि परमेश्वर ने उसके पापों को क्षमा कर दिया था और उसे एक नया जीवन दिया था। वह अब पहले से अलग था, और उसके हृदय में परमेश्वर के प्रति कृतज्ञता और प्रेम भर गया था।

जकर्याह ने यह सब देखा और समझा कि यह दर्शन केवल यहोशू के लिए नहीं था, बल्कि पूरे इस्राएल के लिए था। परमेश्वर अपने लोगों को उनके पापों से शुद्ध करना चाहता था और उन्हें एक नया जीवन देना चाहता था। वह चाहता था कि उसके लोग उसके मार्गों पर चलें और उसकी सेवा करें।

इस दर्शन के माध्यम से परमेश्वर ने यह भी संकेत दिया कि वह एक दिन एक महायाजक को भेजेगा, जो न केवल इस्राएल के पापों को दूर करेगा, बल्कि पूरी मानवजाति के पापों का प्रायश्चित करेगा। यह महायाजक यीशु मसीह थे, जो परमेश्वर के मेमने के रूप में संसार के पापों को उठाने के लिए आए।

जकर्याह ने इस दर्शन को गहराई से समझा और परमेश्वर की महान योजना को जानकर उसके प्रति और भी अधिक विश्वास और भक्ति से भर गया। उसने यह संदेश इस्राएल के लोगों को दिया, ताकि वे भी परमेश्वर की कृपा और उद्धार को समझ सकें और उसके मार्गों पर चल सकें।

LEAVE A RESPONSE

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *