गणना की पुस्तक के आठवें अध्याय में, परमेश्वर ने मूसा से बात की और उसे हारून के बारे में निर्देश दिए। यह कहानी इस्राएलियों के जंगल में भटकने के समय की है, जब वे मिस्र से छुटकारा पाकर वादा किए हुए देश की ओर बढ़ रहे थे। परमेश्वर ने मूसा से कहा, “हारून से कहो कि वह मण्डप के सामने सात दीपक जलाए। ये दीपक मेरे सामने सदैव जलते रहेंगे, क्योंकि यह मेरी उपस्थिति का प्रतीक है।”
मूसा ने हारून को परमेश्वर के वचन सुनाए। हारून ने तुरंत सात सोने के दीपक तैयार किए और उन्हें मण्डप के सामने रखा। उसने दीपकों को जलाया, और उनकी रोशनी मण्डप को प्रकाशित करने लगी। यह रोशनी न केवल भौतिक थी, बल्कि यह परमेश्वर की आध्यात्मिक उपस्थिति का भी प्रतीक थी। इस्राएलियों को यह याद दिलाने के लिए कि परमेश्वर हमेशा उनके साथ है, यह रोशनी सदैव जलती रहती थी।
फिर परमेश्वर ने मूसा से कहा, “लेवीयों को अलग करो और उन्हें शुद्ध करो। वे मेरी सेवा के लिए चुने गए हैं।” मूसा ने लेवीयों को एकत्र किया और उन्हें परमेश्वर के सामने खड़ा किया। उसने उन पर शुद्धि का जल छिड़का, जो उनके पापों को धोने का प्रतीक था। फिर उसने उन्हें अपने शरीर के बाल मुंडवाने और अपने वस्त्र धोने का आदेश दिया। यह सब उनकी शुद्धि और पवित्रता का प्रतीक था।
लेवीयों ने मूसा के आदेश का पालन किया। वे अपने शरीर के बाल मुंडवाकर और अपने वस्त्र धोकर परमेश्वर के सामने आए। फिर मूसा ने एक बलिदान चढ़ाया। उसने एक बछड़ा और अन्न का भेंट चढ़ाया। यह बलिदान परमेश्वर को प्रसन्न करने के लिए था और यह दिखाता था कि लेवीयों को परमेश्वर की सेवा के लिए समर्पित किया जा रहा है।
परमेश्वर ने मूसा से कहा, “लेवीयों को मेरी सेवा के लिए अर्पित करो। वे इस्राएल के सभी पहिलौठों के बदले में मेरे लिए हैं।” मूसा ने लेवीयों को परमेश्वर के सामने अर्पित किया। उसने उन्हें हाथों पर उठाकर परमेश्वर को समर्पित किया। यह एक महत्वपूर्ण क्षण था, क्योंकि लेवीयों को अब परमेश्वर की सेवा के लिए पूरी तरह से समर्पित कर दिया गया था।
लेवीयों ने अपनी सेवा शुरू की। वे मण्डप की देखभाल करते थे, बलिदान तैयार करते थे, और परमेश्वर की आराधना में सहायता करते थे। उनकी सेवा इस्राएलियों के लिए एक आशीष थी, क्योंकि वे परमेश्वर और उसके लोगों के बीच मध्यस्थ का काम करते थे।
परमेश्वर ने मूसा से कहा, “लेवीयों की सेवा का समय पच्चीस वर्ष से पचास वर्ष तक होगा। इस उम्र के बाद वे सेवा से सेवानिवृत्त हो सकते हैं, लेकिन वे अभी भी अपने भाइयों की सहायता कर सकते हैं।” यह आदेश लेवीयों के लिए एक दया था, क्योंकि यह उन्हें अपने जीवन के अंतिम वर्षों में आराम करने का अवसर देता था।
इस प्रकार, लेवीयों को परमेश्वर की सेवा के लिए पवित्र और अर्पित किया गया। उनकी सेवा इस्राएलियों के लिए एक आशीष थी, और यह परमेश्वर की महिमा को प्रकट करती थी। मूसा और हारून ने परमेश्वर के आदेशों का पालन किया, और इस्राएलियों ने देखा कि परमेश्वर उनके साथ है और वह उनकी हर जरूरत को पूरा करता है।
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि परमेश्वर की सेवा करना एक पवित्र और महत्वपूर्ण कार्य है। जब हम परमेश्वर के लिए समर्पित होते हैं, तो वह हमारी सेवा को आशीषित करता है और हमें उसकी महिमा प्रकट करने का अवसर देता है। लेवीयों की तरह, हमें भी परमेश्वर की सेवा में पूरी तरह से समर्पित होना चाहिए, क्योंकि यही हमारा सच्चा उद्देश्य है।