पवित्र बाइबल

पहाड़ियों के गाँव में मसीही एकता और वरदानों की कहानी

1 कुरिन्थियों 12 के आधार पर एक विस्तृत कहानी:

एक छोटे से गाँव में, जो पहाड़ियों की गोद में बसा हुआ था, एक मसीही समुदाय रहता था। यह समुदाय छोटा था, लेकिन उनके विश्वास और प्रेम में कोई कमी नहीं थी। वे प्रभु यीशु मसीह में एक होकर रहते थे और उनके जीवन में पवित्र आत्मा की उपस्थिति स्पष्ट रूप से दिखाई देती थी। एक दिन, गाँव के बुजुर्ग नेता, यूसुफ, ने सभी को इकट्ठा किया और कहा, “भाइयों और बहनों, आज हम प्रभु के वचन पर मनन करेंगे। पौलुस प्रेरित ने कुरिन्थुस की कलीसिया को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने हमें यह सिखाया कि हम सब एक देह के अंग हैं, और हर एक का अपना महत्व है।”

यूसुफ ने 1 कुरिन्थियों 12 का पाठ शुरू किया: “हे भाइयों, मैं नहीं चाहता कि तुम आत्मिक वरदानों के विषय में अज्ञान रहो।” उन्होंने समझाया कि पवित्र आत्मा हर एक विश्वासी को अलग-अलग वरदान देता है, लेकिन ये सभी वरदान एक ही आत्मा से मिलते हैं। “किसी को ज्ञान का वचन दिया जाता है, तो किसी को विश्वास का वरदान। किसी को चंगा करने का वरदान मिलता है, तो किसी को भविष्यवाणी करने का। लेकिन ये सभी वरदान एक ही आत्मा से आते हैं, और वही आत्मा हर एक को अपनी इच्छा के अनुसार बाँटता है।”

गाँव के लोगों ने ध्यान से सुना। उनमें से एक युवक, दानिय्येल, जो गाँव का शिक्षक था, ने कहा, “यूसुफ दादा, इसका मतलब यह है कि हम सब अलग-अलग हैं, लेकिन हम सब एक ही देह के अंग हैं। जैसे हमारे शरीर के अलग-अलग अंग अलग-अलग काम करते हैं, लेकिन सब मिलकर एक शरीर बनाते हैं, वैसे ही हम भी मसीह की देह के अंग हैं।”

यूसुफ ने मुस्कुराते हुए कहा, “बिल्कुल सही, दानिय्येल। अगर पूरा शरीर आँख होता, तो सुनने के लिए कान कहाँ होते? और अगर सब कान होते, तो सूँघने के लिए नाक कहाँ होती? परमेश्वर ने हर एक को अलग-अलग वरदान दिए हैं, ताकि हम सब मिलकर उसकी महिमा कर सकें।”

गाँव की एक बुजुर्ग महिला, राहेल, जो बीमारों की सेवा करती थी, ने कहा, “मैंने हमेशा महसूस किया है कि मेरा काम छोटा है, लेकिन अब मैं समझती हूँ कि सेवा करना भी एक वरदान है। जब मैं बीमारों की देखभाल करती हूँ, तो मैं मसीह की देह की सेवा कर रही होती हूँ।”

यूसुफ ने उसकी बात को सराहा और कहा, “हाँ, राहेल, तुम्हारा काम बहुत महत्वपूर्ण है। जैसे पैर कह सकते हैं कि ‘मैं हाथ नहीं हूँ, इसलिए मैं देह का अंग नहीं हूँ,’ लेकिन ऐसा नहीं है। हर एक अंग का अपना महत्व है। तुम्हारी सेवा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है, जितना कि किसी और का वरदान।”

गाँव के एक युवक, शमूएल, जो गाँव का संगीतकार था, ने कहा, “मैं संगीत के माध्यम से परमेश्वर की स्तुति करता हूँ। क्या यह भी एक वरदान है?” यूसुफ ने उत्तर दिया, “हाँ, शमूएल, संगीत के माध्यम से परमेश्वर की स्तुति करना भी एक वरदान है। जब तुम गाते हो, तो तुम मसीह की देह को प्रोत्साहित करते हो और परमेश्वर की महिमा करते हो।”

गाँव के लोगों ने महसूस किया कि उनके पास जो कुछ भी है, वह परमेश्वर की ओर से है। उन्होंने समझा कि वे सब एक हैं, और उनके अलग-अलग वरदान मसीह की देह को मजबूत करने के लिए हैं। यूसुफ ने उन्हें याद दिलाया, “जब हम में से एक दुखी होता है, तो सब दुखी होते हैं। और जब एक आनन्दित होता है, तो सब आनन्दित होते हैं। हम एक देह हैं, और हमें एक दूसरे की देखभाल करनी चाहिए।”

उस दिन के बाद, गाँव के लोगों ने अपने वरदानों को और अधिक गंभीरता से लेना शुरू किया। वे जानते थे कि उनके पास जो कुछ भी है, वह परमेश्वर की ओर से है, और उन्हें उसकी महिमा के लिए उसका उपयोग करना है। वे एक दूसरे की मदद करने लगे, और उनका समुदाय और भी मजबूत हो गया।

यूसुफ ने अंत में कहा, “हे प्रभु, हम तेरे धन्यवाद करते हैं कि तूने हमें अलग-अलग वरदान दिए हैं। हमें सिखा कि हम एक दूसरे की सेवा करें और तेरी महिमा करें। हम सब एक देह हैं, और तेरे नाम में हम एक हैं। आमीन।”

और इस तरह, उस छोटे से गाँव में, मसीह की देह के सदस्यों ने अपने वरदानों को पहचाना और उनका उपयोग करके परमेश्वर की महिमा की। वे जानते थे कि उनके बीच प्रेम और एकता ही उनकी सबसे बड़ी ताकत थी।

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