पवित्र बाइबल

मसीह में सच्चा धन: पौलुस का संदेश फिलिप्पी को

फिलिप्पियों 3 के आधार पर एक विस्तृत कहानी:

एक समय की बात है, जब प्रेरित पौलुस फिलिप्पी की कलीसिया को एक पत्र लिख रहे थे। वह एक गहरी आत्मिक चिंता और प्रेम से भरा हुआ था। पौलुस ने अपने शब्दों को बहुत सोच-समझकर चुना, क्योंकि वह जानता था कि उसके शब्दों का उनके जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। उसने लिखना शुरू किया:

“हे मेरे प्रिय भाइयों और बहनों, मैं तुम्हें यह याद दिलाना चाहता हूं कि हमारी आशा और आनंद केवल मसीह यीशु में है। इस संसार की चीजों पर भरोसा करने से सावधान रहो। मैं खुद भी एक समय में इन चीजों पर गर्व करता था। मैं एक यहूदी होने पर, व्यवस्था का पालन करने पर, और अपने पूर्वजों की परंपराओं पर गर्व करता था। लेकिन अब मैं इन सब को व्यर्थ समझता हूं।”

पौलुस ने अपनी कलम को थोड़ा रोका और अपने अतीत के बारे में सोचा। वह याद करने लगा कि कैसे वह एक समय में मसीहियों को सताने वाला था। उसने सोचा कि कैसे उसका जीवन पूरी तरह से बदल गया था जब वह दमिश्क की सड़क पर यीशु से मिला था। उसकी आँखों में आँसू आ गए जब उसने यीशु के प्रेम और कृपा को याद किया।

उसने फिर से लिखना शुरू किया: “मैं इन सब बातों को कूड़ा समझता हूं, ताकि मैं मसीह को प्राप्त कर सकूं और उसमें पाया जाऊं। मेरी धार्मिकता व्यवस्था के कारण नहीं, बल्कि मसीह पर विश्वास करने के कारण है। मैं उसकी पुनरुत्थान की शक्ति को जानना चाहता हूं और उसके दुखों में सहभागी होना चाहता हूं।”

पौलुस ने महसूस किया कि उसका हृदय भर आया है। उसने लिखा: “मैं यह नहीं कहता कि मैं पहले ही इसे प्राप्त कर चुका हूं या पूर्ण हो चुका हूं, लेकिन मैं आगे बढ़ता हूं ताकि वह लक्ष्य प्राप्त कर सकूं जिसके लिए मसीह यीशु ने मुझे पकड़ा है। हे भाइयों, मैं यह नहीं सोचता कि मैं इसे पकड़ चुका हूं, लेकिन एक बात करता हूं: जो पीछे है उसे भूलकर आगे की ओर बढ़ता हूं। मैं लक्ष्य की ओर दौड़ता हूं ताकि वह इनाम प्राप्त कर सकूं जिसके लिए परमेश्वर ने मुझे मसीह यीशु में ऊपर बुलाया है।”

पौलुस ने अपने शब्दों को पूरा करने के लिए एक गहरी सांस ली। उसने महसूस किया कि उसका संदेश स्पष्ट और प्रेरणादायक है। उसने लिखा: “इसलिए, हम जो पूर्ण हैं, हमें इसी प्रकार सोचना चाहिए। और यदि तुम किसी बात में और प्रकार से सोचते हो, तो परमेश्वर तुम्हें यह भी प्रकट करेगा। केवल इतना है कि जहां तक हम पहुंच चुके हैं, वहां तक हम एक मन होकर चलें।”

पौलुस ने अपना पत्र समाप्त करते हुए लिखा: “हे मेरे प्रिय भाइयों, तुम मेरे आनंद और मेरा मुकुट हो। इसलिए, प्रभु में दृढ़ रहो, हे प्रियों।”

पौलुस ने अपनी कलम को रख दिया और प्रार्थना करने लगा। उसने परमेश्वर से प्रार्थना की कि उसका संदेश फिलिप्पी की कलीसिया के हृदय को छूए और उन्हें मसीह की ओर और अधिक आकर्षित करे। उसने महसूस किया कि उसका काम पूरा हो गया है और उसने अपना पत्र एक विश्वासयोग्य सेवक के हाथों में सौंप दिया, ताकि वह इसे फिलिप्पी की कलीसिया तक पहुंचा सके।

इस प्रकार, पौलुस का पत्र फिलिप्पी की कलीसिया तक पहुंचा और उनके हृदयों को प्रेरित किया। उन्होंने पौलुस के शब्दों को गंभीरता से लिया और मसीह में अपने विश्वास को और मजबूत किया। उन्होंने समझा कि सच्चा धन और गौरव केवल मसीह यीशु में है, और उन्होंने अपने जीवन को उसके अनुसार जीने का संकल्प लिया।

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