यहोशू 2 की कहानी हिंदी में विस्तार से:
यहोशू ने यरीहो शहर के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के लिए दो गुप्तचर भेजे। ये दोनों गुप्तचर यरीहो शहर में पहुंचे और वहां एक वेश्या के घर में ठहरे, जिसका नाम राहाब था। राहाब का घर शहर की दीवार के ऊपर बना हुआ था, जिससे वह शहर के अंदर और बाहर की गतिविधियों को आसानी से देख सकती थी।
जब यरीहो के राजा को यह खबर मिली कि इस्राएल के दो गुप्तचर शहर में आए हैं और राहाब के घर में ठहरे हैं, तो उसने तुरंत अपने सैनिकों को आदेश दिया कि वे राहाब के घर जाकर उन गुप्तचरों को पकड़ लें। राजा के सैनिक राहाब के घर पहुंचे और उससे कहा, “वे लोग जो तुम्हारे घर में आए हैं, उन्हें हमारे हवाले कर दो। वे इस्राएल के गुप्तचर हैं और हमारे शहर को नष्ट करने के लिए आए हैं।”
राहाब ने बुद्धिमानी से काम लिया। उसने राजा के सैनिकों से कहा, “हां, वे लोग मेरे घर में आए थे, लेकिन मुझे नहीं पता था कि वे कहां से आए हैं। वे शाम को शहर के फाटक बंद होने से पहले चले गए। अगर तुम जल्दी करोगे, तो शायद उन्हें पकड़ सकते हो।” राहाब ने सैनिकों को गुमराह कर दिया और उन्हें शहर से बाहर की ओर भेज दिया।
वास्तव में, राहाब ने दोनों गुप्तचरों को अपने घर की छत पर छिपा दिया था, जहां उसने सन के डंठल फैला रखे थे। जब सैनिक शहर से बाहर निकल गए, तो राहाब छत पर गई और गुप्तचरों से बात की। उसने कहा, “मैं जानती हूं कि यहोवा ने तुम्हें यह देश दिया है। हम सब यहां के लोग तुम्हारे डर से कांप रहे हैं। हमने सुना है कि यहोवा ने तुम्हारे लिए लाल सागर को फाड़ दिया था और तुमने अमोरी के दोनों राजाओं, सीहोन और ओग को हरा दिया। हमारे दिल डर से भर गए हैं, क्योंकि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर है, जो स्वर्ग और पृथ्वी का परमेश्वर है।”
राहाब ने गुप्तचरों से विनती की, “अब मैंने तुम्हारे साथ दया की है, इसलिए मैं चाहती हूं कि जब यहोवा तुम्हें यह देश दे दे, तो तुम मेरे परिवार के साथ दया करना। मेरे माता-पिता, भाई-बहन और उनके सभी परिवार को बचा लेना।” गुप्तचरों ने उससे वादा किया, “अगर तुम हमारे इस काम के बारे में किसी को नहीं बताओगी, तो जब यहोवा हमें यह देश देगा, तो हम तुम्हारे साथ दया और सच्चाई का व्यवहार करेंगे।”
राहाब के घर की दीवार शहर की दीवार से जुड़ी हुई थी, इसलिए उसने गुप्तचरों को एक रस्सी के सहारे खिड़की से नीचे उतार दिया। उसने उन्हें सलाह दी, “पहाड़ों की ओर भाग जाओ और तीन दिन तक वहीं छिपे रहो, ताकि तुम्हें पकड़ने वाले तुम्हें न ढूंढ सकें। फिर तुम अपने रास्ते पर चले जाना।” गुप्तचरों ने उसकी बात मानी और पहाड़ों की ओर भाग गए।
राहाब ने खिड़की में लाल रंग का धागा बांध दिया, ताकि जब इस्राएली सेना शहर पर हमला करे, तो वे उसके घर को पहचान सकें और उसके परिवार को बचा सकें। गुप्तचरों ने यहोशू को सारी बात बताई और कहा, “निश्चय ही यहोवा ने हमें यह सारा देश दे दिया है, क्योंकि वहां के सभी लोग हमारे डर से कांप रहे हैं।”
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि यहोवा की सामर्थ्य और उसकी योजना के आगे सभी लोग नतमस्तक हो जाते हैं। राहाब का विश्वास और उसकी बुद्धिमानी ने उसे और उसके परिवार को बचा लिया, क्योंकि उसने इस्राएल के परमेश्वर पर भरोसा किया। यहोवा उन लोगों के साथ दया और सच्चाई का व्यवहार करता है, जो उस पर विश्वास करते हैं और उसकी आज्ञा का पालन करते हैं।