2 शमूएल 18 की कहानी हमें दाऊद और उसके पुत्र अबशालोम के बीच हुए संघर्ष के बारे में बताती है। यह कहानी दाऊद के जीवन के एक दुखद और नाटकीय पल को दर्शाती है, जहाँ पिता और पुत्र के बीच का संघर्ष एक युद्ध में बदल जाता है। आइए, इस कहानी को विस्तार से समझें।
### दाऊद की सेना तैयार होती है
दाऊद ने अपने सैनिकों को इकट्ठा किया और उन्हें तीन टुकड़ियों में बाँट दिया। एक टुकड़ी का नेतृत्व योआब ने किया, दूसरी का अबीशै ने, और तीसरी का गत के इत्तै ने। दाऊद ने सेना को आदेश दिया कि वे उसके पुत्र अबशालोम को बख्श दें। दाऊद का हृदय पिता के प्रेम से भरा हुआ था, और वह चाहता था कि उसका पुत्र सुरक्षित रहे। सेना ने दाऊद की बात मानी और युद्ध के लिए तैयार हो गई।
### युद्ध का आरंभ
युद्ध एप्रैिम के जंगल में शुरू हुआ। दाऊद की सेना और अबशालोम की सेना आमने-सामने थीं। जंगल घना और खतरनाक था, और युद्ध के दौरान कई सैनिक जंगल में भटक गए। युद्ध भयंकर था, और दाऊद की सेना ने अबशालोम की सेना को हराना शुरू कर दिया। उस दिन बीस हज़ार से अधिक लोग मारे गए। युद्ध का परिणाम दाऊद की सेना के पक्ष में था।
### अबशालोम की दुर्दशा
अबशालोम, जो अपने घोड़े पर सवार था, जंगल में भटक गया। उसका घोड़ा एक बड़े ओक के पेड़ की शाखाओं में फंस गया, और अबशालोम उसी में लटक गया। वह बेबस और असहाय हो गया। योआब के एक सैनिक ने उसे देखा और योआब को सूचना दी। योआब ने सैनिक से कहा, “तुमने उसे क्यों नहीं मार डाला? मैं तुम्हें दस चाँदी के सिक्के और एक करधनी देता।” लेकिन सैनिक ने जवाब दिया, “यदि मैंने उसे मार डाला होता, तो भी राजा दाऊद ने मुझे कभी माफ़ नहीं किया होता। उसने हमें स्पष्ट आदेश दिया था कि अबशालोम को बख्श दिया जाए।”
### योआब का निर्णय
योआब ने सैनिक की बात सुनी, लेकिन उसने खुद ही निर्णय लिया। वह अबशालोम के पास गया और उसे तीन भालों से मार डाला। अबशालोम की मृत्यु हो गई। योआब ने तुरंत अपने सैनिकों को आदेश दिया कि वे युद्ध रोक दें, क्योंकि अबशालोम मर चुका था। उसके बाद, योआब ने अबशालोम के शव को जंगल में एक गड्ढे में फेंक दिया और उसके ऊपर पत्थरों का ढेर लगा दिया।
### दाऊद को सूचना
योआब ने अहीमास को बुलाया और उसे दाऊद के पास जाकर यह समाचार सुनाने के लिए कहा। लेकिन अहीमास ने कहा, “मैं नहीं जा सकता, क्योंकि मैं अबशालोम की मृत्यु का समाचार नहीं सुना सकता।” योआब ने फिर कूशी को बुलाया और उसे दाऊद के पास जाने का आदेश दिया। कूशी ने दाऊद के पास जाकर कहा, “हे राजा, अबशालोम मर चुका है।” दाऊद ने यह सुनकर बहुत दुख व्यक्त किया। वह रोने लगा और कहने लगा, “हे मेरे पुत्र अबशालोम, हे मेरे पुत्र, मैं तुम्हारे स्थान पर मर जाता!”
### दाऊद का शोक
दाऊद का शोक इतना गहरा था कि उसकी सेना भी उदास हो गई। योआब ने दाऊद से कहा, “हे राजा, आपका शोक हमारी जीत को शर्मसार कर रहा है। आपको अपने सैनिकों के लिए मजबूत होना चाहिए।” दाऊद ने योआब की बात मानी और अपने शोक को छिपाने की कोशिश की। लेकिन उसका हृदय टूट चुका था। उसने अपने पुत्र को खो दिया था, और यह उसके लिए एक बहुत बड़ी क्षति थी।
### कहानी का सार
यह कहानी हमें दिखाती है कि पाप और विद्रोह के परिणाम कितने भयानक हो सकते हैं। अबशालोम ने अपने पिता के खिलाफ विद्रोह किया, और इसका परिणाम उसकी मृत्यु के रूप में सामने आया। दाऊद, एक पिता के रूप में, अपने पुत्र के लिए दुखी था, लेकिन उसे यह भी समझना था कि परमेश्वर का न्याय सही है। यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि परमेश्वर की इच्छा के आगे हमें झुकना चाहिए और उसके न्याय पर भरोसा रखना चाहिए।