पवित्र बाइबल

परमेश्वर की दया और इस्राएल का पश्चाताप

न्यायियों के दसवें अध्याय की कहानी हमें इस्राएल के इतिहास के एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर ले जाती है। यह कहानी उस समय की है जब इस्राएल के लोग परमेश्वर की आज्ञाओं को भूलकर मूर्तिपूजा में लिप्त हो गए थे। यह कहानी हमें परमेश्वर की दया, न्याय, और उनके लोगों के प्रति प्रेम को दर्शाती है।

उस समय, इस्राएल के लोगों पर तोला नामक एक न्यायी का शासन था। तोला इस्साकार के गोत्र से था और वह शमीर नगर में रहता था। उसने इस्राएल के लोगों को बाइस वर्ष तक न्याय किया। तोला एक धर्मी और परमेश्वर के प्रति वफादार व्यक्ति था। उसकी मृत्यु के बाद, याईर नामक एक और न्यायी उठा। याईर गिलाद का रहने वाला था और उसने इस्राएल को बाईस वर्ष तक न्याय किया। याईर के तीस पुत्र थे, जो तीस गधों पर सवार होकर चलते थे और उनके पास तीस नगर थे, जिन्हें आज तक हवोत-याईर कहा जाता है।

लेकिन याईर की मृत्यु के बाद, इस्राएल के लोग फिर से परमेश्वर की आज्ञाओं को भूल गए और बाल और अश्तोरेत जैसे देवताओं की पूजा करने लगे। वे सीरिया, सीदोन, मोआब, अम्मोन, और फिलिस्तीन के देवताओं के सामने झुकने लगे। उन्होंने यहोवा को त्याग दिया और उसकी उपासना नहीं की। इससे यहोवा का कोप इस्राएल पर भड़क उठा।

यहोवा ने इस्राएल को सीरिया के राजा के हाथ में सौंप दिया। सीरिया के लोगों ने इस्राएल को अठारह वर्ष तक दबाकर रखा। उन्होंने गिलाद के सभी नगरों को जीत लिया और इस्राएल के लोगों को बहुत दुःख दिया। इसके बाद, अम्मोन के लोगों ने भी इस्राएल पर आक्रमण किया और यहूदा, बिन्यामीन, और एप्रैम के नगरों को तबाह कर दिया। इस्राएल के लोग बहुत ही संकट में पड़ गए।

तब इस्राएल के लोगों ने यहोवा को पुकारा और कहा, “हमने तेरे साथ पाप किया है, क्योंकि हमने तुझे त्याग दिया और बाल देवताओं की उपासना की।” लेकिन यहोवा ने उनसे कहा, “क्या मैंने तुम्हें मिस्रियों, एमोरियों, अम्मोनियों, और फिलिस्तीनियों के हाथ से नहीं बचाया था? जब वे तुम्हें सताते थे, तब तुमने मुझे पुकारा और मैंने तुम्हें उनके हाथ से छुड़ाया। लेकिन तुमने मुझे त्याग दिया और अन्य देवताओं की उपासना की। इसलिए अब मैं तुम्हें फिर से नहीं बचाऊंगा। जाओ और उन देवताओं से मदद मांगो जिन्हें तुमने चुना है।”

इस्राएल के लोगों ने यहोवा से कहा, “हमने पाप किया है। तू हम पर जो चाहे वह कर, लेकिन कृपया आज हमें बचा ले।” उन्होंने अपने बीच से विदेशी देवताओं को हटा दिया और यहोवा की उपासना करने लगे। तब यहोवा का हृदय इस्राएल के लोगों के दुःख से द्रवित हुआ।

यहोवा ने अम्मोन के लोगों के विरुद्ध इस्राएल को बचाने के लिए एक उद्धारकर्ता भेजा। यह उद्धारकर्ता यिफ्तह था, जो गिलाद का एक वीर योद्धा था। यिफ्तह के बारे में हम आगे की कहानी में जानेंगे, कि कैसे यहोवा ने उसके द्वारा इस्राएल को अम्मोन के लोगों से छुड़ाया।

यह कहानी हमें सिखाती है कि परमेश्वर हमारे पापों से दुखी होता है, लेकिन जब हम सच्चे मन से पश्चाताप करते हैं, तो वह हम पर दया करता है और हमें बचाता है। इस्राएल के लोगों ने परमेश्वर को त्याग दिया था, लेकिन जब उन्होंने अपने पापों को स्वीकार किया और परमेश्वर की ओर लौटे, तो परमेश्वर ने उन पर दया की और उन्हें बचाने का मार्ग तैयार किया। यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करना और उसकी उपासना करना हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण है।

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