एक समय की बात है, जब परमेश्वर के लोग एक सुंदर और शांत घाटी में इकट्ठे हुए थे। यह घाटी हरे-भरे पहाड़ों से घिरी हुई थी, जहाँ झरने की मधुर ध्वनि और पक्षियों के गीतों से वातावरण भरा हुआ था। लोगों के हृदय आनंद और उत्साह से भरे हुए थे, क्योंकि वे परमेश्वर की महिमा का गान करने के लिए एकत्रित हुए थे। उनके बीच एक बूढ़ा और बुद्धिमान व्यक्ति खड़ा हुआ, जिसका नाम एलियाह था। वह परमेश्वर के वचन का गहरा ज्ञाता था और उसकी आवाज़ में एक अद्भुत शक्ति थी। एलियाह ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा:
“आओ, हम परमेश्वर के सामने गाएँ और उसकी महिमा का जयजयकार करें! वह हमारी चट्टान है, हमारा मुक्तिदाता है। आओ, हम उसके सामने धन्यवाद के भजन गाएँ और उसकी स्तुति करें। क्योंकि परमेश्वर महान है, और वह सभी देवताओं से ऊपर है। उसके हाथ में पृथ्वी की गहराइयाँ हैं, और पहाड़ों की चोटियाँ उसकी हैं। समुद्र उसका है, क्योंकि उसने उसे बनाया, और सूखी भूमि भी उसके हाथों की रचना है।”
एलियाह की आवाज़ गूँजती रही, और लोगों के हृदय उसके शब्दों से भर गए। वे सभी एक साथ खड़े हुए और परमेश्वर की स्तुति करने लगे। उनकी आवाज़ें आकाश तक पहुँचती हुई प्रतीत होती थीं, और उनके गीतों में परमेश्वर के प्रति प्रेम और आदर झलक रहा था। एलियाह ने फिर कहा:
“आओ, हम उसके सामने झुकें और उसके चरणों में दंडवत करें। वह हमारा परमेश्वर है, और हम उसकी चरागाह के भेड़ हैं। आज, यदि तुम उसकी आवाज़ सुनो, तो अपने हृदय को कठोर मत करो, जैसा कि मरिबा और मसा में हुआ था, जब तुम्हारे पूर्वजों ने परमेश्वर की परीक्षा ली थी। उन्होंने उसके कार्यों को देखा था, फिर भी उन्होंने उस पर विश्वास नहीं किया। इसलिए, परमेश्वर ने कहा कि वे मेरे विश्राम में प्रवेश नहीं करेंगे।”
एलियाह के शब्दों ने लोगों के हृदय को छू लिया। वे उस समय को याद करने लगे जब उनके पूर्वजों ने परमेश्वर के प्रति अविश्वास दिखाया था। उन्हें याद आया कि कैसे परमेश्वर ने उन्हें मिस्र की दासता से छुड़ाया था, कैसे उन्हें लाल सागर के बीच से सुरक्षित पार किया था, और कैसे उन्हें जंगल में मन्ना और पानी प्रदान किया था। फिर भी, उनके पूर्वजों ने परमेश्वर की आज्ञा का पालन नहीं किया और उसके प्रति अविश्वास दिखाया।
एलियाह ने आगे कहा, “हे प्रिय लोगो, आज हमें परमेश्वर की आवाज़ सुननी चाहिए और उसके मार्ग पर चलना चाहिए। उसने हमें अपनी प्रेममयी करुणा से चुना है, और हमें उसके साथ विश्वासयोग्य रहना चाहिए। यदि हम उसकी आज्ञा का पालन करेंगे, तो वह हमें अपने विश्राम में ले जाएगा, जो कि एक ऐसा स्थान है जहाँ शांति और आनंद का साम्राज्य है।”
लोगों ने एलियाह की बातों को गंभीरता से सुना और उनके हृदय परमेश्वर के प्रति समर्पण से भर गए। वे एक साथ प्रार्थना करने लगे और परमेश्वर से अपने पापों के लिए क्षमा माँगने लगे। उन्होंने प्रतिज्ञा की कि वे परमेश्वर की आवाज़ सुनेंगे और उसके मार्ग पर चलेंगे।
उस दिन, घाटी में एक अद्भुत शांति छा गई। लोगों के हृदयों में परमेश्वर का प्रेम और उसकी महिमा का भाव भर गया। एलियाह ने उन्हें आशीर्वाद दिया और कहा, “परमेश्वर तुम्हारे साथ है, और वह तुम्हें अपने विश्राम में ले जाएगा। बस उसकी आवाज़ सुनो और उसके मार्ग पर दृढ़ता से चलो।”
और इस तरह, परमेश्वर के लोगों ने उस दिन उसकी महिमा का गान किया और उसके प्रति अपना विश्वास दृढ़ किया। वे जान गए कि परमेश्वर ही उनकी चट्टान और मुक्तिदाता है, और उसके सिवा कोई नहीं जो उन्हें सच्चे विश्राम और शांति में ले जा सकता है।