पवित्र बाइबल

पौलुस का पत्र और कुरिन्थुस की पश्चाताप की कहानी

2 कुरिन्थियों 7 की कहानी को हिंदी बाइबल के संदर्भ में विस्तार से लिखने के लिए, हम पौलुस के पत्र के माध्यम से उनके हृदय की गहराई और उनकी चिंताओं को समझेंगे। यह कहानी पौलुस और कुरिन्थुस की मण्डली के बीच के संबंधों, पश्चाताप, और परमेश्वर की दया के बारे में है। यह एक ऐसी कहानी है जो हमें परमेश्वर के प्रेम और उसकी सच्चाई की ओर ले जाती है।

कुरिन्थुस की मण्डली को पौलुस का पत्र पहुँच चुका था। पत्र में पौलुस ने उन्हें उनके पापों के बारे में सच्चाई से समझाया था और उन्हें पश्चाताप करने के लिए प्रेरित किया था। पत्र पढ़ने के बाद, मण्डली के लोगों के हृदय में एक गहरी हलचल हुई। उन्हें एहसास हुआ कि उन्होंने परमेश्वर के मार्ग से भटककर कितनी गलतियाँ की थीं। उनके मन में पश्चाताप की भावना जाग उठी, और वे परमेश्वर के सामने झुक गए।

पौलुस को जब यह समाचार मिला कि कुरिन्थुस की मण्डली ने उसके पत्र को गंभीरता से लिया है और उन्होंने पश्चाताप किया है, तो उसका हृदय आनंद से भर गया। वह जानता था कि परमेश्वर की दया और प्रेम उनके लिए है, और उनका पश्चाताप उन्हें नए जीवन की ओर ले जाएगा। पौलुस ने अपने पत्र में लिखा था, “क्योंकि परमेश्वर का दु:ख ऐसा दु:ख उत्पन्न करता है, जो पश्चाताप लाता है और उद्धार की ओर ले जाता है, और इस पर पछतावा नहीं होता; परन्तु संसार का दु:ख मृत्यु को उत्पन्न करता है।” (2 कुरिन्थियों 7:10)

कुरिन्थुस की मण्डली ने पौलुस के शब्दों को गहराई से समझा। उन्होंने अपने पापों को स्वीकार किया और परमेश्वर के सामने अपने हृदय को खोल दिया। उनका पश्चाताप सच्चा था, और उन्होंने अपने जीवन में बदलाव लाने का निश्चय किया। वे जानते थे कि परमेश्वर की कृपा उन पर है, और वह उन्हें क्षमा करने के लिए तैयार है।

पौलुस ने अपने पत्र में यह भी लिखा था कि उसने कुरिन्थुस की मण्डली के लिए बहुत चिंता की थी। वह जानता था कि उनके पापों के कारण उनका संबंध परमेश्वर से कमजोर हो गया था, और वह चाहता था कि वे फिर से परमेश्वर के करीब आएँ। पौलुस ने लिखा, “मैंने तुम्हें दु:ख दिया, परन्तु इससे मुझे खेद नहीं हुआ; यद्यपि मैं देखता हूँ कि उस पत्र ने तुम्हें थोड़े समय के लिए दु:खी किया। अब मैं आनन्दित हूँ, इसलिए नहीं कि तुम दु:खी हुए, परन्तु इसलिए कि तुम्हारा दु:ख पश्चाताप की ओर ले गया।” (2 कुरिन्थियों 7:8-9)

पौलुस का हृदय उनके लिए प्रेम और चिंता से भरा हुआ था। वह जानता था कि परमेश्वर की इच्छा है कि उसके लोग पश्चाताप करें और उसके करीब आएँ। पौलुस ने कुरिन्थुस की मण्डली को यह भी याद दिलाया कि परमेश्वर की दया और प्रेम उनके लिए है, और वह उन्हें कभी नहीं छोड़ेगा।

कुरिन्थुस की मण्डली ने पौलुस के पत्र को पढ़कर अपने जीवन में बदलाव लाने का निश्चय किया। उन्होंने अपने पापों को छोड़ दिया और परमेश्वर के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। उनका पश्चाताप सच्चा था, और उन्होंने परमेश्वर की कृपा का अनुभव किया। वे जानते थे कि परमेश्वर उन्हें क्षमा करने के लिए तैयार है, और वह उन्हें नए जीवन की ओर ले जाएगा।

पौलुस ने अपने पत्र के अंत में कुरिन्थुस की मण्डली को यह भी याद दिलाया कि परमेश्वर की दया और प्रेम उनके लिए है। उसने लिखा, “इसलिए हे प्रियों, जब कि हमें ऐसी प्रतिज्ञाएँ मिली हैं, तो आओ, हम अपने आप को सब प्रकार की शारीरिक और आत्मिक अशुद्धता से शुद्ध करें, और परमेश्वर के भय में पवित्रता को पूरा करें।” (2 कुरिन्थियों 7:1)

कुरिन्थुस की मण्डली ने पौलुस के शब्दों को गंभीरता से लिया और अपने जीवन में बदलाव लाने का निश्चय किया। वे जानते थे कि परमेश्वर की दया और प्रेम उनके लिए है, और वह उन्हें कभी नहीं छोड़ेगा। उनका पश्चाताप सच्चा था, और उन्होंने परमेश्वर के सामने अपने हृदय को खोल दिया।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि परमेश्वर की दया और प्रेम हमारे लिए है। यदि हम अपने पापों को स्वीकार करें और पश्चाताप करें, तो परमेश्वर हमें क्षमा करेगा और हमें नए जीवन की ओर ले जाएगा। पौलुस का पत्र हमें यह याद दिलाता है कि परमेश्वर हमारे साथ है, और वह हमें कभी नहीं छोड़ेगा।

यह कहानी हमें परमेश्वर के प्रेम और उसकी दया की याद दिलाती है। यह हमें प्रोत्साहित करती है कि हम अपने पापों को स्वीकार करें और परमेश्वर के सामने पश्चाताप करें, क्योंकि वह हमें क्षमा करने के लिए तैयार है।

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