पवित्र बाइबल

लाल गाय की राख: शुद्धता का परमेश्वरीय प्रतीक

गिनती 19 का अध्याय एक ऐसी घटना का वर्णन करता है जो इस्राएलियों के लिए शुद्धता और पवित्रता के महत्व को दर्शाता है। यह कहानी उस समय की है जब इस्राएल के लोग मिस्र से निकलकर जंगल में भटक रहे थे और परमेश्वर के साथ उनका संबंध गहरा हो रहा था। परमेश्वर ने मूसा और हारून को एक विशेष आज्ञा दी, जो उनके जीवन में शुद्धता बनाए रखने के लिए थी।

एक दिन, परमेश्वर ने मूसा से कहा, “हे मूसा, इस्राएल के लोगों को यह आज्ञा सुनाओ कि वे एक लाल रंग की बिना किसी दोष वाली गाय को लाएं, जिस पर कभी जुआ न चढ़ाया गया हो। यह गाय पूरी तरह से त्रुटिहीन होनी चाहिए। इसे एलीआजर याजक के पास ले जाओ, और वह इसे मिलापवाले तम्बू के बाहर ले जाकर मार डाले। फिर एलीआजर अपनी उंगली को गाय के खून में डुबोए और उस खून को मिलापवाले तम्बू के सामने सात बार छिड़के। इसके बाद, गाय को उसकी खाल, मांस, लहू और गोबर सहित जला दिया जाए। यह सब कुछ याजक के सामने होना चाहिए।”

मूसा ने परमेश्वर की आज्ञा का पालन किया और इस्राएल के लोगों को यह आदेश सुनाया। लोगों ने एक लाल गाय को चुना, जो पूरी तरह से निर्दोष थी। उसे एलीआजर याजक के पास ले जाया गया। एलीआजर ने गाय को मिलापवाले तम्बू के बाहर ले जाकर मार डाला। फिर उसने अपनी उंगली को गाय के खून में डुबोया और उसे तम्बू के सामने सात बार छिड़का। इसके बाद, गाय को पूरी तरह से जला दिया गया। उसकी खाल, मांस, लहू और गोबर सभी को आग में भस्म कर दिया गया।

जब गाय जल रही थी, तो एलीआजर ने देवदार की लकड़ी, जूफा और लाल ऊन को आग में डाल दिया। यह सब कुछ जलकर राख में बदल गया। फिर एलीआजर ने एक शुद्ध व्यक्ति को यह राख इकट्ठा करने के लिए कहा। उस राख को एक शुद्ध स्थान पर रखा गया, ताकि इस्राएल के लोग उसे शुद्धता के लिए उपयोग कर सकें।

परमेश्वर ने मूसा से कहा, “यह राख इस्राएल के लोगों के लिए शुद्धता का साधन होगी। जब कोई व्यक्ति मरे हुए व्यक्ति के शरीर को छू ले, तो वह सात दिनों तक अशुद्ध होगा। उसे तीसरे और सातवें दिन इस राख के पानी से शुद्ध किया जाएगा। यदि वह शुद्ध नहीं होगा, तो वह परमेश्वर की सभा से काट दिया जाएगा।”

इस प्रकार, परमेश्वर ने इस्राएल के लोगों को यह नियम दिया कि वे मृत्यु और अशुद्धता से बचने के लिए इस राख का उपयोग करें। यह एक प्रतीक था कि मृत्यु और पाप के कारण मनुष्य अशुद्ध हो जाता है, और उसे परमेश्वर की कृपा और शुद्धता की आवश्यकता होती है।

इस कहानी में हम देखते हैं कि परमेश्वर अपने लोगों को हर तरह की अशुद्धता से बचाना चाहता है। वह चाहता है कि उसके लोग पवित्र और शुद्ध रहें, ताकि वे उसके साथ संबंध बनाए रख सकें। यह राख और पानी का मिश्रण एक प्रतीक था कि परमेश्वर की कृपा और उसकी शुद्धता हमें हर तरह के पाप और अशुद्धता से मुक्त कर सकती है।

इस्राएल के लोगों ने इस आज्ञा का पालन किया और उस राख को शुद्धता के लिए उपयोग किया। यह उनके लिए एक स्थिर अनुस्मारक था कि परमेश्वर की उपस्थिति में रहने के लिए शुद्धता आवश्यक है। इस कहानी से हम सीखते हैं कि परमेश्वर हमें हमारे पापों से शुद्ध करना चाहता है और हमें उसके साथ एक पवित्र संबंध में बुलाता है।

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