एक समय की बात है, जब इस्राएल के लोग मिस्र की गुलामी से छूटकर वादा किए हुए देश की ओर बढ़ रहे थे। मूसा, जो परमेश्वर के द्वारा चुना हुआ नेता था, लोगों को परमेश्वर के नियम और आदेश सिखा रहा था। उन्होंने लोगों को एकत्रित किया और उनसे कहा, “हे इस्राएल के लोगो, परमेश्वर ने तुम्हें आज्ञा दी है कि तुम हर सातवें वर्ष को ‘सुख का वर्ष’ मनाओ। इस वर्ष में तुम्हें अपने भाइयों के प्रति दयालु और उदार होना चाहिए।”
मूसा ने आगे कहा, “जब सुख का वर्ष आएगा, तो तुम्हें अपने भाइयों के सभी ऋण माफ कर देने चाहिए। यदि कोई तुमसे उधार लेकर देनदार हो गया है, तो उसका ऋण माफ कर दो। परमेश्वर ने तुम्हें आशीष दी है, इसलिए तुम भी दूसरों को आशीष दो। याद रखो, परमेश्वर ने तुम्हें मिस्र की गुलामी से छुड़ाया है, और अब तुम्हें दूसरों को भी स्वतंत्र करना चाहिए।”
लोगों ने मूसा की बातें ध्यान से सुनीं। उन्हें समझ आया कि परमेश्वर चाहता है कि वे एक-दूसरे के प्रति प्रेम और दया दिखाएं। मूसा ने आगे कहा, “यदि तुम्हारे बीच कोई गरीब हो, तो उसकी मदद करने से मत हिचकिओ। उसे उधार दो, भले ही सुख का वर्ष नजदीक हो। परमेश्वर तुम्हें आशीष देगा क्योंकि तुमने उसके आदेश का पालन किया।”
मूसा ने लोगों को यह भी याद दिलाया कि परमेश्वर ने उन्हें एक विशेष आशीष दी है। “तुम्हारे देश में कोई गरीब नहीं होगा, यदि तुम परमेश्वर के आदेशों का पालन करोगे। वह तुम्हें इतना आशीष देगा कि तुम्हारे पास हमेशा पर्याप्त होगा। लेकिन यदि तुम्हारे बीच कोई गरीब हो, तो उसकी मदद करने से मत कतराओ। उसे दान दो और उसकी जरूरतों को पूरा करो।”
मूसा ने लोगों को यह भी सिखाया कि यदि कोई इस्राएली गरीबी के कारण अपने आप को गुलाम के रूप में बेच दे, तो उसे छह साल तक सेवा करनी चाहिए, लेकिन सातवें साल उसे स्वतंत्र कर देना चाहिए। “जब तुम उसे स्वतंत्र करोगे, तो उसे खाली हाथ न भेजो। उसे अपने मवेशियों, अनाज और दाखमधु में से कुछ दो, ताकि वह अपने जीवन की शुरुआत कर सके। याद रखो, तुम भी मिस्र में गुलाम थे, और परमेश्वर ने तुम्हें छुड़ाया। इसलिए, तुम्हें भी दूसरों को स्वतंत्र करना चाहिए।”
लोगों ने मूसा की बातों को गंभीरता से लिया। उन्होंने परमेश्वर के आदेशों का पालन करने का निर्णय लिया। वे जानते थे कि परमेश्वर उनके साथ है और उन्हें आशीष देगा यदि वे उसकी आज्ञाओं का पालन करेंगे।
मूसा ने आगे कहा, “यदि तुम्हारा कोई दास तुमसे प्रेम करता है और तुम्हारे साथ रहना चाहता है, तो उसके कान में छेद कर दो और वह तुम्हारा सदा के लिए दास बन जाएगा। लेकिन याद रखो, यह उसकी इच्छा से होना चाहिए। तुम उसे जबरदस्ती न रोको।”
लोगों ने मूसा की बातों को माना और परमेश्वर के आदेशों का पालन करने का वचन दिया। वे जानते थे कि परमेश्वर उनके साथ है और उन्हें आशीष देगा यदि वे उसकी आज्ञाओं का पालन करेंगे।
इस प्रकार, इस्राएल के लोगों ने परमेश्वर के आदेशों को अपने जीवन में उतारा और एक-दूसरे के प्रति प्रेम और दया दिखाई। वे जानते थे कि परमेश्वर उनके साथ है और उन्हें हमेशा आशीष देगा।