पवित्र बाइबल

एलियाह की बुद्धिमत्ता और नीतिवचन का ज्ञान

एक समय की बात है, जब एक छोटे से गाँव में एक बुद्धिमान बूढ़ा व्यक्ति रहता था। उसका नाम एलियाह था। एलियाह को उसकी बुद्धिमत्ता और न्यायप्रियता के लिए पूरे गाँव में सम्मान दिया जाता था। वह अक्सर लोगों को जीवन के मार्गदर्शन के लिए बाइबल की बातें सुनाता था। एक दिन, गाँव के कुछ युवक उसके पास आए और उन्होंने उससे पूछा, “एलियाह, हमें बताओ कि हम अपने जीवन में सही और गलत का फैसला कैसे करें? हम अक्सर भ्रमित हो जाते हैं।”

एलियाह ने उनकी ओर देखा और मुस्कुराया। उसने कहा, “मेरे बच्चों, परमेश्वर की बुद्धि हमें नीतिवचन 20 में बहुत कुछ सिखाती है। आओ, मैं तुम्हें इस अध्याय से कुछ महत्वपूर्ण सबक सुनाता हूँ।”

उसने आगे कहा, “नीतिवचन 20:1 कहता है, ‘दाखमधु ठट्ठा करनेवाला और मद्यरस हल्ला मचानेवाला होता है; और जो कोई इसके कारण भटकता है वह बुद्धिमान नहीं।’ यह हमें सिखाता है कि शराब और नशीले पदार्थ हमारे विवेक को धुंधला कर देते हैं। वे हमें गलत निर्णय लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इसलिए, हमें इनसे दूर रहना चाहिए।”

युवकों ने ध्यान से सुना और एलियाह ने आगे बताया, “नीतिवचन 20:3 में लिखा है, ‘झगड़ा करना मूर्ख का काम है, परन्तु जो कोई झगड़ा छोड़ दे वह महिमा पाता है।’ यह हमें सिखाता है कि लड़ाई-झगड़े से बचना चाहिए। शांति और समझदारी से बात करने से हम समस्याओं को सुलझा सकते हैं।”

एलियाह ने अपनी बात जारी रखी, “नीतिवचन 20:7 कहता है, ‘जो धर्म से चलता है, वह धन्य होता है; उसके बाद उसके बच्चे भी धन्य होते हैं।’ यह हमें सिखाता है कि ईमानदारी और धार्मिकता से जीवन जीने वाला व्यक्ति न केवल अपने लिए बल्कि अपने परिवार के लिए भी आशीष लाता है।”

युवकों ने एलियाह की बातों को गंभीरता से सुना और उन्होंने पूछा, “लेकिन एलियाह, कभी-कभी हमें लगता है कि हमारे आसपास के लोग बेईमानी से धन कमा रहे हैं और सफल हो रहे हैं। हमें क्या करना चाहिए?”

एलियाह ने गहरी सांस ली और कहा, “नीतिवचन 20:17 में लिखा है, ‘बेईमानी से प्राप्त की हुई वस्तुएँ मनुष्य को मीठी लगती हैं, परन्तु बाद में उसका मुंह कंकड़-पत्थर से भर जाता है।’ यह हमें सिखाता है कि बेईमानी से प्राप्त धन और सफलता अस्थायी होती है। अंत में, वह दुःख और पछतावे का कारण बनती है। इसलिए, हमें हमेशा ईमानदारी और परिश्रम से काम करना चाहिए।”

एलियाह ने आगे कहा, “नीतिवचन 20:22 में लिखा है, ‘तू कहता है कि मैं बदला लूंगा; परन्तु प्रभु की प्रतीक्षा कर, वही तुझे बचाएगा।’ यह हमें सिखाता है कि बदला लेने की इच्छा हमें अंधा बना देती है। हमें परमेश्वर पर भरोसा रखना चाहिए और उसके न्याय का इंतज़ार करना चाहिए।”

युवकों ने एलियाह की बातों को गहराई से समझा और उन्होंने उससे पूछा, “लेकिन एलियाह, कभी-कभी हमें लगता है कि हम अकेले हैं और कोई हमारी मदद नहीं करता। ऐसे समय में हम क्या करें?”

एलियाह ने मुस्कुराते हुए कहा, “नीतिवचन 20:24 में लिखा है, ‘मनुष्य के कदम प्रभु की ओर से नियुक्त होते हैं; तो फिर मनुष्य अपने मार्ग को क्योंकर समझ सकता है?’ यह हमें सिखाता है कि परमेश्वर हमारे जीवन के हर कदम को नियंत्रित करता है। हमें उस पर भरोसा रखना चाहिए और उसकी इच्छा के अनुसार चलना चाहिए।”

अंत में, एलियाह ने युवकों से कहा, “मेरे बच्चों, परमेश्वर की बुद्धि हमें सही मार्ग दिखाती है। हमें उसके वचनों को अपने जीवन में उतारना चाहिए। ईमानदारी, धैर्य, और परमेश्वर पर भरोसा रखने से हम एक सफल और आशीषित जीवन जी सकते हैं।”

युवकों ने एलियाह की बातों को गहराई से समझा और उन्होंने उसकी सलाह को अपने जीवन में उतारने का निर्णय लिया। वे जान गए कि परमेश्वर की बुद्धि ही उन्हें सही मार्ग दिखा सकती है। और इस तरह, उन्होंने अपने जीवन में शांति और आनंद पाया।

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