पवित्र बाइबल

दाऊद का परमेश्वर के प्रेम में डूबा हृदय

एक बार की बात है, जब राजा दाऊद परमेश्वर के प्रेम और उसकी महिमा के बारे में गहराई से सोच रहा था। वह अपने महल की छत पर खड़ा था, आकाश की ओर देखते हुए। उसके मन में परमेश्वर की स्तुति करने की इच्छा जाग उठी। उसने अपने हृदय में महसूस किया कि परमेश्वर का प्रेम और करुणा उसके जीवन में हर पल उपस्थित है। उसने अपने मन में कहा, “मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, हे प्रभु, अपने पूरे हृदय से। मैं तेरी महिमा गाऊंगा और तेरे नाम की स्तुति करूंगा।”

दाऊद ने अपने महल के आँगन में जाकर एक छोटा सा वीणा उठाया और उसे बजाने लगा। उसकी आवाज़ मधुर थी, और उसके गीत में परमेश्वर के प्रति प्रेम और कृतज्ञता झलक रही थी। उसने गाया, “हे प्रभु, तूने मेरी प्रार्थना सुनी है। तूने मुझे बल दिया है और मेरे मन को शांति से भर दिया है। तेरी करुणा और सच्चाई मेरे लिए सदैव बनी रहेगी।”

दाऊद ने अपने गीत में यह भी कहा, “जब मैं संकट में था, तूने मेरी सहायता की। तूने मुझे बचाया और मेरे शत्रुओं के सामने मेरी प्रतिष्ठा बढ़ाई। हे प्रभु, तेरा नाम सर्वोच्च है। तेरी महिमा आकाश और पृथ्वी को भर देती है।”

दाऊद ने अपने गीत को जारी रखते हुए कहा, “जब मैं तेरे मंदिर में आता हूं, तो मैं तेरी उपस्थिति को महसूस करता हूं। तेरी आत्मा मेरे चारों ओर है, और मैं तेरे प्रेम में डूब जाता हूं। हे प्रभु, तूने मुझे बुलाया है, और मैं तेरे पास आया हूं। तूने मुझे अपने साथ चलने का मार्ग दिखाया है।”

दाऊद ने अपने गीत में यह भी कहा, “हे प्रभु, तू दीनों और नम्रों को उठाता है। तू अभिमानियों को दूर करता है, लेकिन दीनों को अपने पास ले आता है। तू उनकी सहायता करता है जो तेरे नाम पर भरोसा रखते हैं। तू उन्हें बचाता है और उनकी रक्षा करता है।”

दाऊद ने अपने गीत को समाप्त करते हुए कहा, “हे प्रभु, तेरा प्रेम सदैव बना रहेगा। तूने मुझे बनाया है, और तू मेरे जीवन को पूरा करेगा। मैं तेरी स्तुति करूंगा और तेरे नाम का गुणगान करूंगा। तेरी करुणा और सच्चाई मेरे साथ रहेगी, और मैं तेरे प्रेम में सदैव बना रहूंगा।”

दाऊद ने अपने गीत को समाप्त किया और अपने हृदय में परमेश्वर के प्रति कृतज्ञता से भर गया। उसने महसूस किया कि परमेश्वर का प्रेम और करुणा उसके जीवन में हर पल उपस्थित है। उसने अपने मन में कहा, “हे प्रभु, तू मेरा सहारा है। मैं तेरे प्रेम में सदैव बना रहूंगा।”

दाऊद ने अपने महल में वापस जाकर अपने सेवकों को बुलाया और उनसे कहा, “आज मैंने परमेश्वर की महिमा का गीत गाया है। मैंने उसके प्रेम और करुणा का अनुभव किया है। तुम भी उसकी स्तुति करो और उसके नाम का गुणगान करो।”

दाऊद के सेवकों ने उसकी बात सुनी और उनके हृदय में भी परमेश्वर के प्रति प्रेम और कृतज्ञता जाग उठी। उन्होंने दाऊद के साथ मिलकर परमेश्वर की स्तुति की और उसके नाम का गुणगान किया।

इस प्रकार, दाऊद ने परमेश्वर के प्रेम और करुणा का अनुभव किया और उसकी स्तुति की। उसने अपने जीवन में परमेश्वर की उपस्थिति को महसूस किया और उसके प्रेम में सदैव बना रहा। उसने अपने लोगों को भी परमेश्वर की स्तुति करने के लिए प्रेरित किया, और वे सभी उसके प्रेम में डूब गए।

दाऊद का यह गीत आज भी हमें यह याद दिलाता है कि परमेश्वर का प्रेम और करुणा हमारे जीवन में हर पल उपस्थित है। हमें उसकी स्तुति करनी चाहिए और उसके नाम का गुणगान करना चाहिए। हमें उसके प्रेम में सदैव बने रहना चाहिए और उसकी करुणा का अनुभव करना चाहिए।

LEAVE A RESPONSE

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *