एक बार की बात है, जब एक व्यक्ति जिसका नाम एलियाह था, वह परमेश्वर के साथ गहरे संबंध में रहता था। वह एक ऐसे समय से गुजर रहा था जब उसका मन बहुत उदास और व्याकुल था। उसका हृदय परमेश्वर की उपस्थिति के लिए तरस रहा था, ठीक वैसे ही जैसे एक हिरण पानी की धाराओं के लिए तरसता है। एलियाह ने अपने आप से कहा, “मेरा प्राण परमेश्वर के लिए क्यों व्याकुल है? मैं उसके सामने क्यों रोता हूँ? मैं उसकी प्रतीक्षा क्यों करता हूँ?”
एलियाह को याद आया कि कैसे वह पहले परमेश्वर के मंदिर में जाता था, जहाँ वह आनंद और उत्सव के साथ परमेश्वर की स्तुति करता था। उस समय उसका हृदय खुशी से भरा रहता था, और वह परमेश्वर के सामने नाचता और गाता था। लेकिन अब, उसकी स्थिति बदल गई थी। वह एक ऐसी जगह पर था जहाँ उसे लग रहा था कि परमेश्वर उससे दूर है। उसके आसपास के लोग उससे पूछते थे, “तेरा परमेश्वर कहाँ है?” यह सवाल उसके मन को और भी दुखी कर देता था।
एलियाह ने अपने आप से कहा, “हे मेरे प्राण, तू क्यों उदास है? तू क्यों व्याकुल है? परमेश्वर पर भरोसा रख, क्योंकि मैं अभी भी उसकी स्तुति करूंगा। वह मेरा उद्धारकर्ता और मेरा परमेश्वर है।”
उसने अपने मन को सांत्वना देने की कोशिश की और परमेश्वर की दया और प्रेम को याद किया। उसने सोचा कि कैसे परमेश्वर ने उसके जीवन में अतीत में काम किया था, और कैसे उसने उसे कठिन समय में सहारा दिया था। एलियाह ने परमेश्वर से प्रार्थना की, “हे परमेश्वर, मेरे प्राण तेरे लिए तरसता है। मैं तेरी उपस्थिति में आना चाहता हूँ। तू मेरी आशा है, मेरी शक्ति है।”
एलियाह ने महसूस किया कि उसकी परीक्षा का समय अभी खत्म नहीं हुआ है। उसे लगा कि उसके चारों ओर अंधकार है, और उसके दुखों का कोई अंत नहीं है। लेकिन फिर भी, उसने परमेश्वर पर भरोसा रखा। उसने कहा, “मैं तेरी दया और प्रेम को याद करूंगा। तू मेरे साथ है, और तू मेरी सहायता करेगा।”
एलियाह ने अपने मन को शांत किया और परमेश्वर की स्तुति करने लगा। उसने गाया, “हे परमेश्वर, तू मेरा सहारा है। तू मेरी आशा है। मैं तेरे सामने आता हूँ, और तेरी महिमा का गुणगान करता हूँ।”
धीरे-धीरे, एलियाह का हृदय शांत होने लगा। उसे लगा कि परमेश्वर उसके साथ है, और उसकी प्रार्थनाओं का उत्तर देगा। उसने महसूस किया कि परमेश्वर की दया और प्रेम उसके लिए पर्याप्त है, और वह उसके साथ हर परिस्थिति में रहेगा।
अंत में, एलियाह ने अपने आप से कहा, “हे मेरे प्राण, तू क्यों उदास है? तू क्यों व्याकुल है? परमेश्वर पर भरोसा रख, क्योंकि मैं अभी भी उसकी स्तुति करूंगा। वह मेरा उद्धारकर्ता और मेरा परमेश्वर है।”
और इस तरह, एलियाह ने अपने उदास हृदय को परमेश्वर की स्तुति और प्रार्थना के माध्यम से शांत किया। उसने महसूस किया कि परमेश्वर उसके साथ है, और वह उसकी हर आवश्यकता को पूरा करेगा। एलियाह का विश्वास और भरोसा परमेश्वर में और मजबूत हो गया, और वह जान गया कि परमेश्वर की दया और प्रेम उसके लिए हमेशा बना रहेगा।