यशायाह 33 की कहानी एक ऐसे समय की है जब यहूदा का राज्य संकट और अशांति से घिरा हुआ था। यहूदा के लोगों ने परमेश्वर की उपेक्षा की थी और उनके पापों ने उन्हें दुश्मनों के हाथों में डाल दिया था। अश्शूरियों का साम्राज्य शक्तिशाली था, और उनकी सेना यहूदा की सीमाओं पर मंडरा रही थी। लोग डरे हुए थे, और उनके हृदयों में भय और निराशा भर गई थी। परन्तु इस संकट के बीच, परमेश्वर ने यशायाह नबी के माध्यम से अपने लोगों को एक संदेश दिया।
यशायाह ने यरूशलेम की गलियों में खड़े होकर लोगों को बुलाया और कहा, “हे यहूदा के लोगो, सुनो! तुम्हारे पापों ने तुम्हें इस संकट में डाल दिया है। तुमने परमेश्वर की आज्ञाओं को तोड़ा है और उसकी उपेक्षा की है। परन्तु अब भी समय है कि तुम अपने हृदयों को फिर से उसकी ओर मोड़ो। परमेश्वर तुम्हें बचाने के लिए तैयार है, यदि तुम सच्चे मन से उसकी ओर लौटो।”
यशायाह ने आगे कहा, “परमेश्वर कहता है, ‘हे दुष्टों, तुम जो दूसरों को लूटते हो और अन्याय करते हो, तुम्हारा अंत निकट है। तुम्हारी शक्ति और धन तुम्हें नहीं बचा सकते। परमेश्वर का क्रोध तुम पर आएगा, और तुम्हारे सभी कर्मों का फल तुम्हें मिलेगा।'”
यशायाह ने परमेश्वर के वचनों को सुनाते हुए कहा, “परन्तु हे धर्मी लोगो, तुम्हारे लिए आशा है। परमेश्वर तुम्हारा रक्षक है। वह तुम्हें अपनी शक्ति से बचाएगा। उसकी उपस्थिति तुम्हारे बीच होगी, और वह तुम्हें शांति और सुरक्षा प्रदान करेगा। तुम्हारे शत्रु तुम्हें नहीं हरा सकते, क्योंकि परमेश्वर तुम्हारे साथ है।”
यशायाह ने लोगों को एक दर्शन दिखाया। उसने कहा, “मैंने देखा कि परमेश्वर अपने सिंहासन पर विराजमान है। उसके चारों ओर स्वर्गदूत खड़े हैं, और उसकी महिमा से आकाश भर गया है। उसकी उपस्थिति में सभी शक्तियां कांप उठती हैं। वह न्याय करेगा और धर्मी को बचाएगा। उसके राज्य में शांति और न्याय होगा।”
यशायाह ने आगे कहा, “हे यहूदा के लोगो, तुम्हारे शत्रु अश्शूरियों की शक्ति नश्वर है। परमेश्वर उन्हें नष्ट कर देगा। वह उनकी सेना को तितर-बितर कर देगा और उनके गर्व को धूल में मिला देगा। तुम्हें केवल परमेश्वर पर भरोसा रखना है। वह तुम्हारा सहारा और शक्ति है।”
यशायाह ने लोगों को प्रोत्साहित करते हुए कहा, “परमेश्वर तुम्हारे लिए एक सुरक्षित नगर बनाएगा। तुम्हारे पास भोजन और पानी की कमी नहीं होगी। तुम्हारे राजा, हिजकिय्याह, परमेश्वर के साथ चलेंगे, और वह तुम्हें सही मार्ग दिखाएगा। तुम्हारे दुश्मन तुम्हारे सामने ठहर नहीं सकेंगे, क्योंकि परमेश्वर तुम्हारे साथ है।”
यशायाह ने अंत में कहा, “हे लोगो, परमेश्वर की महिमा को देखो। उसकी स्तुति करो और उसके नाम का गुणगान करो। वह तुम्हारा उद्धारकर्ता है। उसके राज्य में कोई भय नहीं होगा, कोई संकट नहीं होगा। वह तुम्हें शांति और आनंद से भर देगा। तुम्हारे हृदयों में उसकी प्रतिज्ञाएं पूरी होंगी।”
इस प्रकार, यशायाह के वचनों ने यहूदा के लोगों को आशा और साहस दिया। उन्होंने परमेश्वर की ओर मुड़ने का निर्णय लिया और उसकी प्रतिज्ञाओं पर भरोसा किया। परमेश्वर ने उनकी प्रार्थनाओं को सुना और उन्हें अश्शूरियों के हाथों से बचाया। यहूदा के लोगों ने परमेश्वर की महिमा का गुणगान किया और उसकी दया के लिए धन्यवाद दिया।
यशायाह 33 की यह कहानी हमें सिखाती है कि परमेश्वर हमेशा अपने लोगों के साथ है। चाहे हम कितने भी संकट में क्यों न हों, यदि हम उसकी ओर मुड़ें और उस पर भरोसा रखें, तो वह हमें बचाएगा और हमें शांति प्रदान करेगा। उसकी महिमा और न्याय सदैव हमारे साथ रहेंगे।