एक दिन, मूसा ने परमेश्वर से बात की और कहा, “हे प्रभु, तूने मुझे इस्राएलियों को मिस्र से निकालकर वादा किए हुए देश की ओर ले जाने का आदेश दिया है। परन्तु, हे प्रभु, मैं तेरे बिना इस यात्रा को पूरा नहीं कर सकता। यदि तेरी उपस्थिति हमारे साथ नहीं होगी, तो हम इस मार्ग पर कैसे चलेंगे? तेरी उपस्थिति ही हमें अन्य सभी लोगों से अलग करती है।”
परमेश्वर ने मूसा से कहा, “मूसा, मैं तेरे साथ चलूंगा और तुझे विश्राम दूंगा।” मूसा ने उत्तर दिया, “हे प्रभु, यदि तू हमारे साथ नहीं चलेगा, तो हमें यहां से आगे नहीं बढ़ना चाहिए। तेरी उपस्थिति ही हमारी पहचान है।”
तब परमेश्वर ने मूसा से कहा, “मैं तेरी इस प्रार्थना को स्वीकार करता हूं। मैं तेरे साथ चलूंगा और तुझे आशीर्वाद दूंगा।” मूसा ने फिर से परमेश्वर से कहा, “हे प्रभु, मुझे अपनी महिमा दिखा, ताकि मैं तुझे और अच्छी तरह से जान सकूं।”
परमेश्वर ने उत्तर दिया, “मैं अपनी सारी भलाई तेरे सामने से होकर निकलूंगा और तेरे सामने यहोवा का नाम प्रचार करूंगा। मैं जिस पर दया करूंगा, उस पर दया करूंगा और जिस पर करुणा करूंगा, उस पर करुणा करूंगा। परन्तु, मूसा, तू मेरे मुख को नहीं देख सकता, क्योंकि कोई मनुष्य मेरे मुख को देखकर जीवित नहीं रह सकता।”
तब परमेश्वर ने मूसा से कहा, “यहां एक चट्टान के पास खड़ा हो जा। जब मेरी महिमा वहां से होकर निकलेगी, तो मैं तुझे चट्टान की दरार में रखूंगा और अपने हाथ से तुझे ढक दूंगा, जब तक कि मैं वहां से निकल न जाऊं। फिर मैं अपना हाथ हटा लूंगा, और तू मेरी पीठ देख सकेगा, परन्तु मेरा मुख नहीं देख सकेगा।”
मूसा ने वैसा ही किया जैसा परमेश्वर ने उसे आदेश दिया था। वह चट्टान के पास गया और वहां खड़ा हो गया। तब परमेश्वर की महिमा उसके सामने से होकर निकली। परमेश्वर ने मूसा को चट्टान की दरार में रखा और अपने हाथ से उसे ढक दिया। जब परमेश्वर की महिमा निकल गई, तो उसने अपना हाथ हटा लिया, और मूसा ने परमेश्वर की पीठ देखी।
मूसा ने परमेश्वर की महिमा को देखकर उसकी स्तुति की और कहा, “हे प्रभु, तू दयालु और करुणामय है, धीरजवन्त और अत्यधिक प्रेम से भरा हुआ है। तू सच्चाई और न्याय का परमेश्वर है। तू हजारों पीढ़ियों तक अपनी दया को बनाए रखता है और अधर्म, अपराध और पाप को क्षमा करता है।”
परमेश्वर ने मूसा से कहा, “मैं एक वाचा बाँधता हूं। मैं तेरे सामने अपने सारे आश्चर्यकर्म करूंगा, जो किसी और देश में कभी नहीं किए गए हैं। तेरे सामने के सारे लोग देखेंगे कि यहोवा का कार्य कितना भयानक है, जो मैं तेरे लिए करूंगा।”
मूसा ने परमेश्वर की आज्ञा का पालन किया और इस्राएलियों को परमेश्वर के वचन सुनाए। उसने उन्हें बताया कि परमेश्वर उनके साथ चलेगा और उन्हें आशीर्वाद देगा। इस्राएलियों ने मूसा की बातों को सुना और परमेश्वर की महिमा के लिए उसकी स्तुति की।
इस प्रकार, मूसा और इस्राएलियों ने परमेश्वर की उपस्थिति में अपनी यात्रा जारी रखी, यह जानते हुए कि परमेश्वर उनके साथ है और उन्हें आशीर्वाद देगा।