पवित्र बाइबल

पौलुस का तीमुथियुस को आत्मिक संदेश

2 तीमुथियुस 3 का वर्णन करते हुए एक विस्तृत कहानी:

एक बार की बात है, जब पौलुस ने अपने प्रिय शिष्य तीमुथियुस को एक पत्र लिखा। यह पत्र केवल शब्दों का संग्रह नहीं था, बल्कि यह एक आत्मिक विरासत थी, जो तीमुथियुस को उसकी सेवकाई में मजबूती और साहस देने के लिए लिखी गई थी। पौलुस ने अपने पत्र में आने वाले समय के बारे में चेतावनी दी, और उसने तीमुथियुस को सच्चाई के मार्ग पर दृढ़ रहने के लिए प्रोत्साहित किया।

पौलुस ने लिखा, “हे तीमुथियुस, यह जान ले कि अंतिम दिनों में कठिन समय आएंगे।” उसने विस्तार से बताया कि लोग स्वार्थी, लोभी, घमंडी, और अभिमानी होंगे। वे अपने माता-पिता की आज्ञा नहीं मानेंगे, और परमेश्वर के प्रति कृतज्ञता की भावना खो देंगे। लोग पवित्रता से दूर हो जाएंगे और बुराई के कामों में लिप्त रहेंगे। वे दिखावे की भक्ति करेंगे, परंतु उनके हृदय में सच्चाई नहीं होगी।

पौलुस ने तीमुथियुस को चेतावनी दी कि ऐसे लोगों से सावधान रहना चाहिए, क्योंकि वे लोगों को भ्रमित करेंगे और उन्हें सत्य के मार्ग से भटकाएंगे। उसने कहा, “परंतु तू उनके मार्ग पर न चलना। तू वही कर जो तुझे सिखाया गया है, और जो तूने मुझसे सीखा है, उस पर दृढ़ रह।”

पौलुस ने तीमुथियुस को याद दिलाया कि वह बचपन से ही पवित्र शास्त्रों से परिचित है, जो उसे मसीह में विश्वास के द्वारा उद्धार के लिए बुद्धिमान बना सकते हैं। उसने कहा, “सम्पूर्ण पवित्र शास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है, और वह शिक्षा, समझ, और सुधार के लिए लाभदायक है। यह तुझे हर एक भले काम के लिए तैयार करता है।”

पौलुस ने तीमुथियुस को प्रोत्साहित किया कि वह परमेश्वर के वचन का प्रचार करे, चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों। उसने कहा, “सहनशीलता और धैर्य के साथ सिखाता और समझाता रह। क्योंकि समय अच्छा हो या बुरा, तुझे अपने कर्तव्य का पालन करना है।”

इस पत्र के माध्यम से पौलुस ने तीमुथियुस को यह याद दिलाया कि परमेश्वर का वचन ही उसकी शक्ति और मार्गदर्शन का स्रोत है। उसने उसे सच्चाई के मार्ग पर चलने और दूसरों को भी उसी मार्ग पर ले चलने के लिए प्रेरित किया। पौलुस का यह पत्र तीमुथियुस के लिए केवल शब्द नहीं थे, बल्कि यह उसके हृदय में आत्मिक आग को प्रज्वलित करने वाला एक दिव्य संदेश था।

इस कहानी के माध्यम से हम सीखते हैं कि अंतिम दिनों में कठिनाइयाँ आएंगी, परंतु परमेश्वर का वचन हमारा मार्गदर्शन और शक्ति का स्रोत बना रहेगा। हमें सच्चाई के मार्ग पर दृढ़ रहना चाहिए और दूसरों को भी उसी मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

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