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गलातियों 5: मसीह की आज़ादी और प्रेम का मार्ग

गलातियों 5 की कहानी: आज़ादी और प्रेम का मार्ग

एक समय की बात है, जब प्रेरित पौलुस ने गलातिया के मसीही विश्वासियों को एक पत्र लिखा। यह पत्र उनके लिए एक मार्गदर्शक था, जो उन्हें मसीह की आज़ादी और प्रेम के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता था। पौलुस ने इस पत्र में गहरी बातें समझाईं, जो आज भी हमारे लिए प्रासंगिक हैं।

गलातिया के लोगों ने मसीह में विश्वास किया था, लेकिन कुछ लोग उन्हें यहूदी परंपराओं और कानूनों में वापस ले जाने की कोशिश कर रहे थे। वे कहते थे कि मसीह में विश्वास करने के साथ-साथ, मूसा की व्यवस्था का पालन करना भी ज़रूरी है। पौलुस ने इस गलतफहमी को दूर करने के लिए उन्हें समझाया।

पौलुस ने लिखा, “हे भाइयों और बहनों, मसीह ने हमें आज़ादी दी है। इसलिए दृढ़ता से खड़े रहो और फिर से दासता के जुए में न जुतो।” उन्होंने समझाया कि मसीह में विश्वास करने से हम व्यवस्था के अधीन नहीं रहते, बल्कि हम अनुग्रह के द्वारा बचाए जाते हैं। यह अनुग्रह हमें पाप से मुक्ति देता है और हमें परमेश्वर के साथ सही संबंध में लाता है।

पौलुस ने आगे कहा, “यदि तुम खतना करवाने की कोशिश करते हो, तो मसीह तुम्हारे लिए कुछ भी लाभदायक नहीं होगा।” उन्होंने समझाया कि विश्वास के द्वारा ही हम परमेश्वर के साथ जुड़ते हैं, न कि कर्मों के द्वारा। यह विश्वास ही हमें पवित्र आत्मा की शक्ति देता है, जो हमारे जीवन में परिवर्तन लाता है।

फिर पौलुस ने गलातियों को चेतावनी दी, “यदि तुम एक-दूसरे को काटते और खाते रहोगे, तो सावधान रहो, कहीं तुम एक-दूसरे को नष्ट न कर दो।” उन्होंने समझाया कि पवित्र आत्मा के द्वारा हमें प्रेम, आनंद, शांति, धैर्य, कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता और संयम जैसे फल मिलते हैं। ये फल हमारे जीवन में परमेश्वर की उपस्थिति को दर्शाते हैं।

पौलुस ने गलातियों को यह भी समझाया कि शरीर की इच्छाएं आत्मा के विरुद्ध होती हैं। उन्होंने कहा, “शरीर की इच्छाएं स्पष्ट हैं: व्यभिचार, अशुद्धता, लंपटता, मूर्तिपूजा, टोना-टोटका, शत्रुता, झगड़े, ईर्ष्या, क्रोध, स्वार्थ, फूट, विधर्म, डाह, मतवालापन और अन्य ऐसे काम। मैं तुम्हें पहले ही चेतावनी दे चुका हूं कि ऐसे काम करने वाले परमेश्वर के राज्य के वारिस नहीं होंगे।”

परन्तु पौलुस ने यह भी कहा कि जो लोग मसीह यीशु के हैं, उन्होंने शरीर को उसकी इच्छाओं और लालसाओं के साथ क्रूस पर चढ़ा दिया है। इसलिए, हमें आत्मा के द्वारा चलना चाहिए और शरीर की इच्छाओं को पूरा नहीं करना चाहिए।

पौलुस ने गलातियों को याद दिलाया कि प्रेम ही व्यवस्था की पूर्ति है। उन्होंने कहा, “पूरी व्यवस्था इस एक वचन में पूरी हो जाती है: ‘तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम कर।'” यदि हम प्रेम से चलते हैं, तो हम व्यवस्था के सभी नियमों को पूरा करते हैं।

अंत में, पौलुस ने गलातियों को प्रोत्साहित किया, “हमें व्यर्थ घमंड नहीं करना चाहिए, न ही एक-दूसरे से ईर्ष्या करनी चाहिए। बल्कि, हमें एक-दूसरे की सेवा करनी चाहिए, क्योंकि प्रेम ही सच्ची आज़ादी का मार्ग है।”

इस पत्र के माध्यम से, पौलुस ने गलातियों को यह समझाया कि मसीह में विश्वास करने से हमें सच्ची आज़ादी मिलती है। यह आज़ादी हमें पाप और मृत्यु के बंधन से मुक्त करती है और हमें परमेश्वर के प्रेम और अनुग्रह में जीने का अवसर देती है।

गलातियों ने पौलुस के शब्दों को गंभीरता से लिया और उन्होंने मसीह की आज़ादी और प्रेम के मार्ग पर चलने का निर्णय लिया। उन्होंने समझा कि सच्ची आज़ादी व्यवस्था के पालन में नहीं, बल्कि मसीह के प्रेम और अनुग्रह में है।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें मसीह की आज़ादी में दृढ़ता से खड़े रहना चाहिए और प्रेम के मार्ग पर चलना चाहिए। यही सच्ची आज़ादी और सच्चा जीवन है।

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